गर्मी में हरा चारा भी हो सकता है जानलेवा15 मिनट में पशु की हो सकती है मौत!

गर्मियों के मौसम में यह हरा चारा पशुओं को देते वक्त कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए. क्योंकि गर्मियों के मौसम में हरे चारे में हाइड्रोसायनिक एसिड बनने लगता है. जिसकी वजह से पशुओं की मौत भी हो सकती है

गर्मी में हरा चारा भी हो सकता है जानलेवा15 मिनट में पशु की हो सकती है मौत!
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : पशुओं को स्वस्थ रखने और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए हरा चारा बेहद जरूरी है. हरे चारे में पानी के साथ-साथ विटामिन और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. पशु भी हरा चारा बड़े चाव से खाते है. नियमित हरा चारा देने से पशुओं की प्रजनन क्षमता बढ़ती है. लेकिन गर्मियों में पशुओं को हरा चारा देते वक्त कुछ सावधानियां बरतने की भी जरूरत है. वरना के पशुओं की सेहत को बिगाड़ सकता है. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के पशुपालन विभाग के एक्सपर्ट डॉ. शिवकुमार यादव ने बताया कि हरा चारा पशुओं की सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद होता है. अगर पशुओं को हरा चारा देते हैं तो फिर दाने की मात्रा को कम कर सकते हैं. क्योंकि हरे चारे में पर्याप्त पानी, विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं. जिससे पशु को पूरा पोषण मिलता है. पशु अच्छा दुग्ध उत्पादन देता है. लेकिन गर्मियों के मौसम में यह हरा चारा पशुओं को देते वक्त कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए. क्योंकि गर्मियों के मौसम में हरे चारे में हाइड्रोसायनिक एसिड बनने लगता है. जिसकी वजह से पशुओं की मौत भी हो सकती है. हर 4 दिन में पानी देना जरूरी डॉ. शिवकुमार यादव ने पशुओं को गर्मियों में अगर पशुओं को हरा चारा देते हैं तो ध्यान रखें कि फूल आने से पहले चारे की कटाई कर लें. किसान गर्मियों के मौसम में बार-बार काटी जाने वाली चरी की बुवाई करते हैं. जिसमें तीन से चार दिन में पानी देना बेहद जरूरी होता है. क्योंकि अगर खेत में नमी बरकरार नहीं रखते हैं तो चरी में हाइड्रोसायनिक एसिड बनने लगता है. जो कि एक विषाक्त पदार्थ होता है. जिसको खाने से पशु की सेहत बिगड़ सकती है. 15 मिनट में दिखते हैं लक्षण डॉ. शिवकुमार यादव ने बताया कि हाइड्रोसायनिक एसिड वाला हरा चारा खाने के बाद 15 से 20 मिनट में इसके लक्षण दिखने लगते हैं. क्योंकि हाइड्रोसायनिक एसिड से लाल रक्त कणिकाएं टूटने लगते हैं. जिससे पशुओं को सांस लेने में दिक्कत होती है. साथ ही रक्त प्रवाह भी प्रभावित होता है. जिसके बाद श्वसन प्रणाली में फेलियर आता है. शुरुआती दौर में पशु के मुंह से झाग गिरता है. यूरिन से खून आने लगता है. जानवर की मौत हो जाती है. सूरज निकलने से पहले करें चारे की कटाई डॉ. शिवकुमार यादव ने बताया कि अगर किसी कारण वश हरे चारे में सिंचाई नहीं हो पा रही है और खेत में नमी पर्याप्त नहीं है. ऐसे में सुबह सूरज निकलने से पहले हरे चारे की कटाई कर लें. क्योंकि उस वक्त हरे चारे में हाइड्रोसायनिक एसिड की मात्रा कम होती है. चारा काटने से पहले करें ये उपाय डॉ. शिवकुमार यादव ने बताया कि पशुपालक अगर सुबह सूरज निकलने से पहले हरे चारे की कटाई नहीं कर पाते हैं. हरे-चारे में सिंचाई भी नहीं कर पाएं हैं तो चारा काटने के बाद उस पर पानी का छिड़काव कर दें. 90 मिनट चारे को रखा रहने दें. उसके बाद उसको महीन काट कर पशु को आहार में हरा चारा दिया जा सकता है. तुरंत करें ये उपचार डॉ शिवकुमार यादव ने बताया कि अगर पशुओं में हाइड्रोसायनिक एसिड के लक्षण दिखने लगे तो पशु को तुरंत मेथिलीन ब्लू नाम की दवा दे दें. यह दवा हर सरकारी अस्पताल पर उपलब्ध रहती है. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : May 29, 2024, 14:11 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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