बृहस्पति के पास 95 चंद्रमा शनि के पास 146 चंद्रमा पृथ्वी के पास एक ही क्यों

सवाल है कि केवल कुछ ग्रहों के पास कई चन्द्रमा क्यों हैं जबकि कुछ के पास एक भी चंद्रमा क्यों नहीं है? हमारी पृथ्वी से रात में ऊपर देखने पर आप सैकड़ों हजारों मील दूर चमकते हुए चंद्रमा को देख सकते हैं लेकिन अगर आप शुक्र...

बृहस्पति के पास 95 चंद्रमा शनि के पास 146 चंद्रमा पृथ्वी के पास एक ही क्यों
हमारी पृथ्वी से रात में ऊपर देखने पर आप सैकड़ों हजारों मील दूर चमकते हुए चंद्रमा को देख सकते हैं लेकिन अगर आप शुक्र ग्रह पर जाएं तो ऐसा नहीं होगा. इसका मतलब है कि पृथ्वी जो खुद एक ग्रह है, अन्य ग्रहों से कई मायनों में अलग है. इसका मतलब यह भी है कि हर ग्रह के पास चंद्रमा नहीं होता लेकिन साथ ही एक सच और है कि हर ग्रह के पास एक ही चंद्रमा हो जरूरी नहीं. बृहस्पति के 95 चंद्रमा हैं जबकि शनि के 146 चंद्रमा हैं. द कन्वर्सेशन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, हर ग्रह के पास चन्द्रमा नहीं होता. सवाल है कि केवल कुछ ग्रहों के पास कई चन्द्रमा क्यों हैं जबकि कुछ के पास एक भी चंद्रमा क्यों नहीं है? सबसे पहले चंद्रमा को प्राकृतिक उपग्रह कहा जाता है. खगोलशास्त्री उपग्रहों को अंतरिक्ष में मौजूद ऐसी वस्तुओं के रूप में देखते हैं जो बड़े पिंडों की परिक्रमा करते हैं. चूंकि चंद्रमा मानव निर्मित नहीं है, इसलिए यह एक प्राकृतिक उपग्रह है. दिलचस्प यह है कि कुछ ग्रहों के पास चंद्रमा होने के दो मुख्य कारण हैं. चंद्रमा अगर ग्रह के हिल स्फीयर रेडियस के भीतर होते हैं या सौर मंडल के साथ मिलकर बनते हैं तो गुरुत्वाकर्षण द्वारा खींच लिए या पकड़ लिए जाते हैं. क्या है हिल स्फीयर रेडियस ? वस्तुएं आस-पास की अन्य वस्तुओं पर गुरुत्वाकर्षण बल लगाती हैं. इससे वे उन्हें एक दूसरे की तरफ खींचती हैं. जो वस्तु जितनी बड़ी होगी उसका आकर्षण बल उतना ही अधिक होगा. गुरुत्वाकर्षण बल ही वह कारण है जिसके चलते हम सभी पृथ्वी से दूर जाने के बजाय उससे जुड़े रहते हैं, क्योंकि इसके कारण ही पृथ्वी हमें अपनी तरफ खींचती है. सौरमंडल पर सूर्य के विशाल गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभुत्व है जो सभी ग्रहों को अपनी कक्षा में बनाए रखता है. सूर्य हमारे सौरमंडल में सबसे विशाल चीज है इसलिए ग्रहों जैसी वस्तुओं पर इसका सबसे अधिक गुरुत्वाकर्षण प्रभाव है. किसी उपग्रह को किसी ग्रह की परिक्रमा करने के लिए उसे ग्रह के इतना करीब होना चाहिए कि ग्रह उसे अपनी कक्षा में रखने के लिए पर्याप्त बल लगा सके. किसी उपग्रह को कक्षा में रखने के लिए ग्रह द्वारा तय की गई न्यूनतम दूरी को हिल स्फीयर रेडियस कहा जाता है. हिल स्फीयर रेडियस बड़ी वस्तु और छोटी वस्तु दोनों के द्रव्यमान यानी मास पर आधारित है. अधिक गुरुत्वाकर्षण बल का है खेल! पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला चंद्रमा इस बात का एक अच्छा उदाहरण है कि हिल स्फीयर त्रिज्या कैसे काम करती है. पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, लेकिन चंद्रमा पृथ्वी के इतना करीब है कि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल उसे पकड़ लेता है. चंद्रमा सूर्य के बजाय पृथ्वी की परिक्रमा करता है, क्योंकि यह पृथ्वी के हिल स्फीयर रेडियस के भीतर है. बुध और शुक्र जैसे छोटे ग्रहों की हिल स्फीयर रेडियस बहुत छोटी होती है, क्योंकि वे बहुत अधिक गुरुत्वाकर्षण बल नहीं लगा सकते. ऐसे में किसी भी संभावित चंद्रमा को संभवतः सूर्य ही अपनी तरफ खींच लेगा. मंगल के दो चंद्रमा फोबोस और डेमोस कहां से आए… कई वैज्ञानिक अभी भी यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इन ग्रहों के पास अतीत में छोटे चंद्रमा रहे होंगे. सौर मंडल के निर्माण के दौरान उनके पास ऐसे चंद्रमा रहे हो सकते हैं जो अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं के साथ टकराव के कारण नष्ट हो गए. मंगल के दो चंद्रमा हैं जिनका नाम फोबोस और डेमोस है. वैज्ञानिक अभी भी इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या ये क्षुद्रग्रहों यानी स्टेरॉयड से आए थे जो मंगल के हिल स्फीयर त्रिज्या के करीब से गुजरे और ग्रह द्वारा खींच लिए गए या क्या वे सौर मंडल के साथ ही बने थे. पहले सिद्धांत का समर्थन करने वाले सबूत अधिक हैं क्योंकि मंगल क्षुद्रग्रह पट्टी के करीब है. बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून की हिल स्फीयर रेडियस बड़ी है, क्योंकि वे पृथ्वी, मंगल, बुध और शुक्र से बहुत बड़े हैं और वे सूर्य से दूर हैं. उनके गुरुत्वाकर्षण बल चंद्रमा जैसे कई प्राकृतिक उपग्रहों को अपनी तरफ खींच सकते हैं और उन्हें कक्षा में रख सकते हैं. उदाहरण के लिए बृहस्पति के 95 चंद्रमा हैं जबकि शनि के 146 चंद्रमा हैं. कुछ चंद्रमा सौरमंडल से बने… एक अन्य सिद्धांत बताता है कि कुछ चंद्रमा अपने सौर मंडल के साथ ही बने थे. सौर मंडल की शुरुआत सूर्य के चारों ओर घूमते गैस के एक बड़े चक्र से होती है. गैस जैसे-जैसे सूर्य के चारों ओर घूमती है यह ग्रहों और चंद्रमाओं में संघनित हो जाती है जो उनके चारों ओर घूमते हैं. ग्रह और चंद्रमा फिर एक ही दिशा में घूमते हैं. लेकिन हमारे सौर मंडल में केवल कुछ ही चंद्रमा इस तरह से बने होंगे. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बृहस्पति और शनि के आंतरिक चंद्रमा हमारे सौर मंडल की उत्पत्ति के दौरान बने थे, क्योंकि वे बहुत पुराने हैं. बृहस्पति और शनि के बाहरी चंद्रमाओं सहित हमारे सौर मंडल के बाकी चंद्रमा संभवतः उनके ग्रहों द्वारा गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से खींच लिए गए या आकर्षित कर लिए गए थे. पृथ्वी का चंद्रमा क्यों है खास. .. पृथ्वी का चंद्रमा इसलिए खास है क्योंकि संभवतः इसका निर्माण अलग तरीके से हुआ है. वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि बहुत पहले मंगल ग्रह के आकार की एक बड़ी वस्तु पृथ्वी से टकराई थी. उस टक्कर के दौरान एक बड़ा टुकड़ा पृथ्वी से टूटकर उसकी कक्षा में चला गया और चंद्रमा बन गया. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी का चंद्रमा इसी तरह से बना है क्योंकि उन्हें चंद्रमा की सतह पर मिट्टी में बेसाल्ट नामक चट्टान मिली है. चंद्रमा का बेसाल्ट पृथ्वी के अंदर पाए जाने वाले बेसाल्ट जैसा ही प्रतीत होता है. इस प्रश्न पर अभी भी व्यापक बहस होती है कि कुछ ग्रहों के पास चंद्रमा क्यों हैं. ग्रह का आकार, गुरुत्वाकर्षण बल, हिल स्फीयर रेडियस और उस ग्रह का सौरमंडल किस प्रकार बना, जैसे कारक इसमें भूमिका निभा सकते हैं. (भाषा से इनपुट) Tags: Earth, Science news, Space knowledgeFIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 15:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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