इस मंदिर में नहीं है भगवान की कोई प्रतिमा फिर भी लोगों का है आस्था केंद्र

मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए अभिषेक मिश्रा ने बताया कि सैकड़ों वर्ष पुराना यह मंदिर है. युगल किशोर के नाम से इस मंदिर को जाना जाता है. इस मंदिर की अपनी अलग पहचान है और अपनी ही एक अलग मानता भी है.

इस मंदिर में नहीं है भगवान की कोई प्रतिमा फिर भी लोगों का है आस्था केंद्र
निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा : वृंदावन को श्री कृष्ण की क्रीडा स्थल कहा जाता है. वहां की माटी श्री कृष्ण की गाथाओं को गाती हुई सुनाई देगी. वृंदावन का जर्रा – जर्रा राधा कृष्ण की भक्ति को दर्शाता है. श्री कृष्ण की नगरी में आपको ऐसे रहस्य आज भी सुनने को मिलेंगे, जिसकी आपने कभी कल्पना नहीं की होगी. आइये सुनाते हैं, यहां के रहस्य और गाथाओं की कहानी. बिना प्रतिमा का है यह मंदिर  कृष्ण की पटरानी यमुना महारानी  आज भी  कृष्ण की भक्ति में डूबी हुई  है.  कृष्ण की लीलाओं से जुड़े हुए अनेकों साक्ष्य इस घाट पर दिख जाएंगे. पौराणिक मान्यताओं को आज भी वृंदावन की गली-गली और घाट घाट पर देखा और सुना जा सकता है. वृंदावन के यमुना किनारे बने घाट पर एक ऐसा मंदिर है, जो कि  करोड़ों की क़ीमत का है. यह वृंदावन का इकलौता ऐसा मंदिर है, जो कि बिना प्रतिमा का है. इस मंदिर के अंदर आपको प्रतिमा नहीं दिखाई देगी. भले ही मंदिर में प्रतिमा न हो, लेकिन अपने अंदर यह मंदिर रहस्य को समेटे हुए है. यहां की पौराणिक मान्यताओं की गाथा यह मंदिर सुनता है. यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है. आज भी इस मंदिर का रहस्य मध्य प्रदेश के पन्ना से जुड़ा हुआ है. इस मंदिर को देखने के लिए हर दिन हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस मंदिर की अलौकिक कलाकारी अपनी ओर आकर्षित करती है. इस मंदिर के मुख्य गेट पर जहां भगवान श्री कृष्ण एक उंगली पर पर्वत को उठाते हुए नजर आते हैं, तो वहीं दूसरी छवि आपको गोचरण की देखने को मिलेगी. भगवान श्री कृष्ण की यह छवि उनकी लीलाओं की  दर्शन कराती  है. इस युगल किशोर मंदिर की नक्काशी भी बेहद अलौकिक है. इस नकाशी का हर कोई दीवाना है. हर कोई इस नक्काशी को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है. मुस्लिम आक्रांताओं के आक्रमण को देखते हुए ले जाया गया पन्ना मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए अभिषेक मिश्रा ने बताया कि सैकड़ों वर्ष पुराना यह मंदिर है. युगल किशोर के नाम से इस मंदिर को जाना जाता है. इस मंदिर की अपनी अलग पहचान है और अपनी ही एक अलग मानता भी है. उन्होंने कहा कि भगवान श्री युगल किशोर की यह मूर्ती हरिराम व्यास को 1620 की माघ शुक्ल एकादशी को वृंदावन के किशोर वन नामक स्थान पर मिली थी. हरिराम व्यास ने प्रतिमा को उसी स्थान पर प्रतिष्ठित किया. ओरछा के राजा मधुकर शाह ने किशोर वन के पास मंदिर बनवाया. इस मंदिर में भगवान श्री युगल किशोर जी कई सैकड़ों साल तक विराजे रहे, परन्तु अत्याचारी औरंगजेब के समय पर  वृन्दावन के अनेकों मंदिरों को तोड़ दिया गया. तब भगवान श्री युगल किशोर जी की प्रतिमा को उनके भक्त ओरछा के पास पन्ना (मध्य प्रदेश) ले गए. आज भी ठाकुर जी पन्ना के पुराने युगल किशोर मंदिर मे दर्शन दे रहे हैं. Tags: Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : July 31, 2024, 08:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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