US से दूरी चीन से करीबी! LAC पर यूं ही नहीं हिंदी-चीनी भाई-भाई जानें कहानी

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर विवाद सुलझ गया है. इसी के साथ दोनों देशों के रिश्तों में बीते कई सालों से जमी बर्फ भी पिघलती दिखी. कई लोग इसे भारतीय विदेश नीति में एक बड़े बदलाव की तरह देख रहे हैं... समझें इस पूरे घटनाक्रम के पीछे की कहानी...

US से दूरी चीन से करीबी! LAC पर यूं ही नहीं हिंदी-चीनी भाई-भाई जानें कहानी
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर विवाद सुलझ गया है. इसी के साथ दोनों देशों के रिश्तों में बीते कई सालों से जमी बर्फ भी पिघलती दिखी. इसका साफ उदाहरण रूस के कजान शहर में हुए 16वें ब्रिक्स समिट के दौरान देखने को मिला, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई. पूर्वी लद्दाख के गलवान में 15 जून 2020 को हुई सैन्य झड़प के बाद भारत और चीन के बीच रिश्ते काफी तल्ख हो गए थे. इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. इस झड़प में कई चीनी सैनिक भी मारे गए थे, लेकिन चीन की तरफ से आधिकारिक तौर पर कोई संख्या जारी नहीं की गई थी. इसके बाद एलएसी पर हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे और दोनों देशों की ओर सेना की तैनाती बढ़ा दी गई थी. इस बीच भारत की अमेरिकी से नजदीकियां बढ़ने लगीं, जो चीन का खासा नगावर गुजरीं. इस दौरान भारत ने कई ऐसे डील किए, जिससे वह दक्षिण एशिया में अमेरिका का करीबी साझेदार और सहयोगी बन गया. शी जिनपिंग ने इसे ‘चीन को रोकने’ के लिए अमेरिकी नीति का हिस्सा माना. इस बीच अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने मिलकर क्वाड का गठन किया. क्वाड के गठन का मकसद वैसे तो चारों देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ाना था, लेकिन चीन ने इसे अपने खिलाफ उठाया कदम माना. एशियन टाइम्स की खबर के मुताबिक, भारत को अमेरिका से करीबी का फायदा कम और नुकसान ही ज्यादा हुआ. ‘अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक है, लेकिन अमेरिका का दोस्त होना घातक हो सकता है.’ अखबार ने पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंगर की इस प्रसिद्ध लाइन का हवाला देते हुए कहा कि भारत के अनुभवों पर यह लाइन बिल्कुल फिट बैठती है. भारत और चीन के बीच रिश्तों में कड़ुवाहट के बावजूद दोनों देशों के बीच कारोबार लगातार बढ़ता ही रहा. दोनों पड़ोसी देशों को भी यह एहसास है कि आर्थिक वृद्धि के लिए दोनों का साथ होना जरूरी है. दूसरी तरफ, यूक्रेन युद्ध के बाद, पश्चिमी देशों ने भारत पर रूस का विरोध करने का दबाव बढ़ा दिया. इस दबाव के बावजूद, भारत रूस से सस्ता तेल खरीदता रहा है और वर्तमान में रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है. रूस भारत के लगभग 36% हथियार आयात का स्रोत है. अमेरिका का भारत पर रूस से हथियार और तेल न खरीदने का दबाव भारत के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है. उधर खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा से भारत के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं. वहीं गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित कोशिश को लेकर अमेरिका के साथ रिश्तों में कड़वाहट की आशंका है. विशेषज्ञों की नजर में चीन और भारत के बीच रिश्तों में जमी बर्फ पिघलने की बड़ी वजह अमेरिका सहित पश्चीमी देशों के साथ कड़वाहट को ही वजह माना जा रहा है. Tags: China, India china disputeFIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 16:42 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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