हरतालिका तीज और हरियाली तीज में क्या है अंतर जानें नियम और परंपरा
हरतालिका तीज और हरियाली तीज में क्या है अंतर जानें नियम और परंपरा
हरियाली तीज सावन तो वहीं हरतालिका तीज भाद्रपद मास में मनाया जाता है. हालांकि इन दोनों त्योहारों को एक ही तरह से मनाया जाता है, लेकिन इनके बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है.
वाराणसी : हिंदू पंचांग के अनुसार,हरतालिका तीज 5 सितंबर को मनाया जाएगा, इस व्रत में अब कुछ दिन रह गया है. खास बात यह है कि इसकी तैयारी को लेकर महिलाएं बेहद उत्सुक रहती हैं. भारत में तीज का पर्व महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जिसमें हरियाली तीज और हरतालिका तीज प्रमुख रूप से मनाए जाते हैं. हरियाली तीज सावन तो वहीं हरतालिका तीज भाद्रपद मास में मनाया जाता है. हालांकि इन दोनों त्योहारों को एक ही तरह से मनाया जाता है, लेकिन इनके बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया है.
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि हरियाली तीज का पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है. हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त को मनाया गया था. यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तरी भारत में धूमधाम से मनाया जाता है और इसे प्रकृति के साथ जुड़ाव का प्रतीक माना जाता है. इस दिन महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, और झूले का आनंद लेती हैं. पंडित संजय उपाध्याय के अनुसार, “हरियाली तीज का उद्देश्य पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करना और वर्षा ऋतु का स्वागत करना है. यह पर्व सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है.
कब मनाया जाता है हरतालिका तीज?
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. यह व्रत देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा के लिए रखा जाता है. पंडित उपाध्याय ने बताया कि इस व्रत की कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. उनकी सहेली ने उन्हें अपहरण कर लिया था ताकि वे विवाह न कर सकें, और इसी कारण इस व्रत का नाम ‘ हरतालिका पड़ा.
किसने की थी हरतालिका तीज की पहली पूजा
पंडित संजय उपाध्याय के अनुसार, ” हरतालिकातीज की पहली पूजा देवी पार्वती ने स्वयं की थी. उनके तप और समर्पण के परिणामस्वरूप भगवान शिव ने उन्हें पति रूप में स्वीकार किया. इस व्रत को करने से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं.
हरतालिका तीज व्रत के नियम और परंपरा
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और रात्रि जागरण करती हैं. हरतालिकातीज की पूजा में विशेष रूप से बालू या मिट्टी से शिवलिंग का निर्माण किया जाता है, और शिव-पार्वती की पूजा की जाती है. यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, और इसे अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है.
Tags: Dharma Aastha, Local18, Religion 18, Uttar Pradesh News Hindi, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : August 27, 2024, 17:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed