आतिशी-सुषमा में क्या है समानता भाजपा नेता नहीं करा पाई थीं नैय्या पार

Delhi Politics: आप नेता आतिशी दिल्ली की नई सीएम होंगी. उनको सीएम चुने जाने की कहानी काफी हद तक 1998 में वरिष्ठ भाजपा नेता सुषमा स्वराज को सीएम बनाए जाने की कहानी जैसी है. सुषमा की तरह आतिशी के सामने भी चुनाव में आप को जीत दिलाने की जिम्मेदारी है.

आतिशी-सुषमा में क्या है समानता भाजपा नेता नहीं करा पाई थीं नैय्या पार
दिल्ली के कथित शराब घोटाले में बुरी तरह घिरी आम आदमी पार्टी ने राज्य का सीएम बदल दिया है. अरविंद केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ बतौर सीएम आतिशी का चुनाव किया गया है. वह इसी सप्ताह सीएम पद की शपथ लेंगी. दिल्ली की राजनीति में हुए इस उठापटक को देखते हुए एक पुरानी कहानी की यादें ताजा हो गई हैं. जिन परिस्थितियों में आतिशी को दिल्ली की कमान मिली है ठीक वैसी स्थिति में करीब 26 साल पहले भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज को दिल्ली का सीएम बनाया गया था. उस वक्त भ्रष्टाचार के आरोपों, आंतरिक कलह और महंगाई की वजह से बुरी तरह अलोकप्रिय हो चुकी दिल्ली की भाजपा को सरकार को पांच साल के भीतर तीन-तीन मुख्यमंत्री देने पड़े थे. उस कार्यकाल में चुनाव से मात्र 52 दिन पहले सुषमा स्वाराज को सीएम बनाया गया था. लेकिन, सुषमा स्वराज अपने करिश्माई व्यक्तित्व के बावजूद पार्टी की नैय्या नहीं पार करा सकीं. 1998 की कहानी दरअसल, यह पूरी कहानी 1998 की है. दिल्ली में 1993 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 70 में से 49 सीटों पर जीत मिली थी. यह एक शानदार जीत थी. यह चुनाव दिग्गज भाजपाई मदनलाल खुराना के नेतृत्व में लड़ा गया और चुनाव बाद वह सीएम बनाए गए. लेकिन हवाला घोटाले में नाम आने के बाद 26 फरवरी 1996 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. फिर वरिष्ठ नेता साहिब सिंह वर्मा को सीएम बनाया गया. लेकिन उनके कार्यकाल में भी दिल्ली में महंगाई से बुरा हाल हो गया. चुनाव से ठीक पहले प्याज की कीमत आसमान छूने लगी. ऐसी स्थिति में भाजपा ने चुनाव से केवल 52 दिन पहले साहिब सिंह वर्मा को हटाकर सुषमा स्वराज को सीएम बना दिया. वह दिल्ली की विधायक भी नहीं थीं. सुषमा स्वाराज भाजपा की तेज-तर्राज नेता थीं. वह मात्र 27 साल की उम्र में हरियाणा भाजपा की अध्यक्ष बन गई थीं. वह युवा अवस्था में ही हरियाणा में देवीलाल सरकार में मंत्री बनाई गई थीं. दिल्ली के सीएम के रूप में वह 52 दिनों में काफी काम किया. महंगाई पर काबू पाने के लिए कमेटी बनाई, बावजूद इसके दिसंबर 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार हुई. फिर कांग्रेस को बहुमत मिला और शीला दीक्षित दिल्ली की सीएम बनीं. वह लगातार तीन बार दिल्ली की सीएम रहीं. उस वक्त की सुषमा स्वराजा और आज की आतिशी में काफी समानताएं हैं. आतिशी 2000 में पहली बार विधायक चुनी गईं. फिर मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद 2023 में दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री बनीं. अब वह दिल्ली की सीएम बनने जा रही है. उनकी छवि एक तेज-तर्रार नेता की रही है. आप की स्थिति 1998 जैसी  1998 में भाजपा की जैसी स्थिति थी कुछ वैसी ही स्थिति आज आम आदमी पार्टी की है. आप के शीर्ष नेतृत्व पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. उस समय भाजपा का प्रदेश नेतृत्व भी कुछ ऐसी ही स्थिति से जूझ रही थी. उस वक्त सुषमा स्वराज एक युवा नेता थीं. वह राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के चेहरे के रूप में उभर रही थीं. सुषमा स्वराजा और आतिशी दोनों में आज की तारीख में समानता यह है कि चुनाव से पहले दोनों पार्टियों ने इन नेताओं पर नैय्या पार कराने की जिम्मेदारी दी है. दिल्ली में आप प्रंचड बहुमत के साथ सत्ता में लेकिन, इसका मतलब कतई नहीं है कि अगले चुनाव में आप की राह बिल्कुल आसान है. दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को भ्रष्टाचार के खिलाफ उसके रुख पर वोट दिया था. लेकिन, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने जनता में एक सवाल तो जरूर ही छोड़ दिया है कि क्या वाकई आम आदमी पार्टी कोई अलग पार्टी है या फिर वह भी अन्य पार्टियों की ही तरह है. Tags: Arvind kejriwal, Delhi CM, Sushma SwarajFIRST PUBLISHED : September 17, 2024, 17:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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