दास्तान-गो : कमल हासन एक ‘कंप्लीट अभिनेता’ पर नेता ‘अभी शायद इन्कंप्लीट’!

Daastaan-Go ; Kamal Haasan Birth Anniversary : ‘दशावतारम्’, जो साल 2008 में आई. इसमें कमल हासन साहब 10 मुख़्तलिफ़ किरदारों में नज़र आए हैं. हिन्दुस्तानी सिनेमा में ये ऐसा शायद पहला तज़रबा हुआ, जो कमल हासन साहब कर गुज़रे. ऐसे कारनामों को अंग्रेज़ी ज़बान में ‘आउट ऑफ़ द बॉक्स अचीवमेंट’ कहा जाता है. और कमल हासन साहब के ख़ाते में ऐसे ‘आउट ऑफ़ द बॉक्स’ अचीवमेंट की तो भरमार है.

दास्तान-गो : कमल हासन एक ‘कंप्लीट अभिनेता’ पर नेता ‘अभी शायद इन्कंप्लीट’!
दास्तान-गो : किस्से-कहानियां कहने-सुनने का कोई वक्त होता है क्या? शायद होता हो. या न भी होता हो. पर एक बात जरूर होती है. किस्से, कहानियां रुचते सबको हैं. वे वक़्ती तौर पर मौज़ूं हों तो बेहतर. न हों, बीते दौर के हों, तो भी बुराई नहीं. क्योंकि ये हमेशा हमें कुछ बताकर ही नहीं, सिखाकर भी जाते हैं. अपने दौर की यादें दिलाते हैं. गंभीर से मसलों की घुट्‌टी भी मीठी कर के, हौले से पिलाते हैं. इसीलिए ‘दास्तान-गो’ ने शुरू किया है, दिलचस्प किस्सों को आप-अपनों तक पहुंचाने का सिलसिला. कोशिश रहेगी यह सिलसिला जारी रहे. सोमवार से शुक्रवार, रोज़… ———– जनाब, मशहूर शा‘इर निदा फ़ाज़ली साहब का शे’र है, ‘हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी,जिस को भी देखना हो कई बार देखना’. ये शे’र यूं तो ज़िंदगी से जुड़े किसी दूसरे मसले की तरफ़ इशारा करता है अलबत्ता. फिर भी, हिन्दुस्तानी फिल्मों के बड़े अदाकार कमल हासन साहब की बात करना हो, उन्हें कुछ जानना-समझना हो तो यह वहां भी पूरी तरह सटीक बैठ जाता है. क्योंकि जैसे-जैसे कमल हासन साहब के बारे में जानेंगे, ज़ेहन में ये ख़्याल ठहरता जाएगा कि इस क़िस्म की शख़्सियत होना किसी एक आदमी के वश की बात नहीं है. इसके लिए वाक़’ई में दस-बीस आदमियों की क़ाबिलियत लगती होगी. बल्कि लगती ही है. वरना, तो कोई बिरला ही होता है सदियों में, जिस एक के भीतर इतनी चीज़ें मिल जाएं. और सच में, कमल हासन साहब बिरले ही हैं, कई मायनों में. शायद इसीलिए वह हिन्दुस्तानी सिनेमा के ‘पहले कंप्लीट अभिनेता’ कहलाते हैं. और ऐसा कहा जाता है तो यूं ही नहीं है. इसके सबूत हैं और मिसालें भी. मसलन- कमल हासन शायद इक़लौते अदाकार हैं, जो एक साथ छह ज़बानों में फिल्में करते हैं. और सब ज़बानें वे ख़ुद जानते हैं- हिन्दी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और बांग्ला. वे भरतनाट्यम, कूचीपुड़ी जैसे शुद्ध शास्त्रीय नृत्यों में पारंगत हैं. नृत्य-मुद्राओं और नृत्य-स्वरूपों में नई आज़ामाइश करने के लिए भी जाने जाते हैं. जब महज 18 साल के थे, तब से फिल्मों की कहानी भी लिख रहे हैं. इस हैसियत से अब तक उन्होंने जितनी कहानियां लिखी हैं, वे फिल्मी दुनिया में अमर हो चुकी हैं, ऐसा कहा जाता है. उनकी अब तक सात फिल्में ऑस्कर के लिए नामांकित हो चुकी हैं. यानी उस अवॉर्ड के लिए जो फिल्मों की दुनिया में सबसे बड़ा कहा जाता है. और रही बात अदाकारी की तो एक-दो नहीं, 18 बार कमल हासन साहब को अदाकारी के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड मिल चुका है. अब उनकी फिल्मों और उनमें किए गए तजरबात की कुछ मिसालें देखिए. मसलन- ‘दशावतारम्’, जो साल 2008 में आई. इसमें कमल हासन साहब 10 मुख़्तलिफ़ किरदारों में नज़र आए हैं. हिन्दुस्तानी सिनेमा में ये ऐसा शायद पहला तज़रबा हुआ, जो कमल हासन साहब कर गुज़रे. ऐसे कारनामों को अंग्रेज़ी ज़बान में ‘आउट ऑफ़ द बॉक्स अचीवमेंट’ कहा जाता है. और कमल हासन साहब के ख़ाते में ऐसे ‘आउट ऑफ़ द बॉक्स’ अचीवमेंट की तो भरमार है. मसलन- इनकी एक फिल्म है, ‘पुष्पक विमान’ (1987). कन्नड़ फिल्म है. पर चूंकि ‘अबोली’ है, तो बिना रद्द-ओ-बदल के यह ‘पुष्पक’ के नाम से पूरे हिन्दुस्तान में देखी गई. इसे फिल्मी दुनिया की ‘पहली रंगीन अबोली (साइलेंट) फिल्म’ कहा जाता है. ग़ौर कीजिए, ये कारनामा बोलती फिल्मों के दौर में किया गया. और हिन्दी फिल्मों में इनकी अदाकारी देखनी हो तो ‘सदमा’ है, जो 1983 में आई थी. इसके अलावा, ‘एक दूजे के लिए’, ‘सागर’, ‘चाची 420’ जैसी तमाम फिल्में हैं, जो कमल हासन साहब की सलाहिय्यत-ए-अदाकारी के नमूने दिया करती हैं. और ये नमूना भी कोई आज का नहीं है. पैदाइशी है. बताते हैं, जब कमल हासन साहब महज चार या छह साल के थे शायद, तभी उन्हें उनकी फिल्म ‘कलाथुर कन्नम्मा’ में अदाकारी के लिए राष्ट्रपति का गोल्ड मैडल मिल गया था. ये बात है, 1960 की. इस अदाकारी के साथ कोई नृत्य-स्वरूपों में कमल हासन साहब की पकड़ देखना चाहे तो उसके लिए साल 2003 की फिल्म ‘अंबे शिवम’ है. साल 2001 की ‘आलावंधन’ में भी उनके डांस का नमूना है. और हिन्दी फिल्म ‘एक दूजे के लिए’ में भी. इन फिल्मों में इनके डांस के ऐसे-ऐसे नमूने दिख जाएंगे कि देखने वाले तो क्या, डांस में महारत रखने वाले भी अवाक् रह जाएं एकबारगी. फिर इनकी लिखी कहानियों के नमूने देखने हों तो वे भी हाज़िर हैं भरपूर. साल 2000 की फिल्म ‘हे राम’ कमल हासन साहब की लेखनी की एक आला मिसाल है. इसके अलावा ‘वीरुमंदी’, ‘महानदी’, ‘विश्वरूपम’ और ‘दशावतारम्’ जैसी तमाम फिल्मों की कहानियां उनकी क़लम से निकली हैं. पर बात यहां भी नहीं ठहरती. कमल हासन साहब अपनी फिल्मों में नई-नई तकनीकें इस्तेमाल करने के लिए भी जाने जाते हैं. मसलन-1996 में उनकी एक फिल्म आई ‘इंडियन’. इसमें कमल हासन साहब ने  ‘सेनापति’ के नाम का किरदार निभाया है, जो हिन्दुस्तान की आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा ले चुके हैं. इसमें कमल हासन साहब का चेहरा-मोहरा उन्हीं बुज़ुर्ग की तरह दिखाने के लिए पहली बार प्रोस्थेटिक मेकअप तकनीक का इस्तेमाल किया गया. ऐसे ही, आजकल को जो डिजिटल फॉर्मेट की बात खूब होती है न, उसका तज़रबा पहली बार फिल्मों में कमल हासन साहब ने किया था, ऐसा कहते हैं. ‘मुंबई एक्सप्रेस’ (2005 ) फिल्म में. उनकी दो फिल्में ‘वीरूमंदी’ और ‘विश्वरूपम्’ में साउंड तकनीक से जुड़े अलहदा तज़रबे किए गए हैं. जिनकी दिलचस्पी हो, वे समझ सकते हैं. और दिलचस्प तो ये कि आम तौर पर जिस हिन्दुस्तानी फिल्मी दुनिया पर ये तोहमत लगती है कि वह हमेशा पश्चिम की नक़ल किया करती है, उसी में कमल हासन साहब मुख़्तलिफ़ मिसाल पेश करते हैं. उनकी फिल्म ‘आलावंधन’ हॉलीवुड वालों को भी नया रास्ता दिखा जाती है. वह भी तकनीक के मामले में. ऐसा ख़ुद हॉलीवुड के फिल्मकार क़ेंटिन टैंरेंटीनो ने माना था. टैरेंटीनो ने 2003 में ‘किल बिल’ के नाम से फिल्म बनाई थी. उनके मुताबिक, उन्होंने तकनीक के मामले में इसके लिए ‘आलावंधन’ से प्रेरणा ली थी. यही नहीं, 1987 की कमल हासन साहब की फिल्म ‘नायकन’ (1987) को तो मशहूर मैगज़ीन ‘टाइम’ ने दुनियाभर में अब तक बनीं 100 आला दर्ज़े की फिल्मों की फ़ेहरिस्त शुमार किया था. मतलब फिल्मों की दुनिया में ऐसा शायद ही कोई ऐसा पहलू बचा होगा, जहां कमल हासन साहब ने अपनी छाप न छोड़ी हो. शायद, यही वजह है कि उन्हें 1994 में ही एक फिल्म की फीस एक करोड़ रुपए मिलने लगी थी. यानी उस दौर में जब शायद अमिताभ बच्चन को भी इतनी फीस न मिलती रही होगी.  फिल्मों के बाद समाज सेवा की बात करें तो उसमें भी उनका नाम आगे है. मुख़्तलिफ़ ख़्याल होने के बावज़दू कमल हासन साहब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को बढ़ावा देते हैं. उनका एक जलकल्याण संगठन है. इसके ज़रिए वे मेडिकल की पढ़ाई के लिए ज़रूरतमंद बच्चों को माली-मदद देते हैं. अब तक 10,000 से ज़्यादा लोगों के लिए नेत्रदान का बंदोबस्त कर चुके हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने इंतिक़ाल के बाद शरीर को मद्रास मेडिकल कॉलेज में दान देने की घोषणा भी कर रखी है. मतलब यहां भी उन्हें ‘कंप्लीट’ कहा जा सकता है. लेकिन यही कमल हासन साहब जब सियासत में उतरते हैं, तो ‘इन्कंप्लीट’ नज़र आते हैं. वे साल 2018 में उस दक्षिण (तमिलनाडु) की सियासत में उतरते हैं, जहां फिल्मी सितारों को राजनीति में देवता की तरह पूजा जाता  है. एम जी रामचंद्रन, एनटी रामाराव, जे जयललिता इसकी यादग़ार मिसालें हैं. लेकिन उसी इलाके में ‘कंप्लीट कमल हासन’ साहब का सिक्का सियासत में नहीं चलता. क्यों? इसकी वज़ह तो शायद वे ही बेहतर बता सकते हैं. लेकिन कहते हैं, उनकी बेटियों ने उन्हें रोका था, सियासत में आने के लिए. पर वे माने नहीं थे. ख़ैर, बेटियों की बात आई तो कुछ घर-परिवार की बात भी हो जाए. कमल हासन साहब के बारे में यह ख़ास सुर्खि़यों में रहा है कि उनकी दोनों बेटियां, अदाकारा सारिका से उनकी शादी के पहले हो गईं थीं. फिर बेटियों के लिए ही उन्होंने सारिका से शादी की. और इस शादी से बाहर आने के लिए 17 साल का इंतिज़ार भी. जी जनाब, ख़ुद कमल हासन साहब ने एक इंटरव्यू के दौरान ख़ुलासा किया था कि सारिका से उनकी शादी कब की ख़त्म हो जाती. लेकिन बेटियों के बचपन पर इस अलगाव का असर न हो, उनका बचपन उनसे छिन न जाए, इसलिए वे और सारिका इस शादी को चलाते रहे. और कुछ-कुछ इसी तरह का मसला उनकी पहली शादी के मामले में भी रहा, जो 10 साल में ख़त्म हो गई. पहली शादी उन्होंने दक्षिण की ही अदाकारा वाणी गणपति से की थी. इसी तरह, ज़ाती ज़िंदगी के अलावा ईश्वर को लेकर उनकी सोच पर भी कई लोगों को ए’तिराज़ रहा करता है. क्योंकि, ऊपर वाले के बारे में भी उनके ख़्याल दूसरों से ज़ुदा-ज़ुदा से पाए जाते हैं. लेकिन छोड़िए जनाब, क्या फ़र्क पड़ता है इन सब बातों से. वैसे भी, मुक़म्मल कहलाने वाली शख़्सियत में भी कुछ न कुछ, किसी न किसी पहलू पर आधा-अधूरा तो रहता ही है. नहीं तो, ख़ुदा के बंदे ख़ुद ख़ुदा न हो जाएं. आज के लिए बस इतना ही. ख़ुदा हाफ़िज़. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Birth anniversary, Hindi news, Kamal haasan, up24x7news.com Hindi OriginalsFIRST PUBLISHED : November 07, 2022, 08:24 IST