Loan Wolves of China: जानें चीन में बैठे लोग कैसे भारतीयों को लोन देकर सुसाइड के लिए कर रहे मजबूर

Loan Wolves of China: जब दुनिया कोविड महामारी से जूझ रही थी, तब कुछ चीनी नागरिक इसे गलत तरीके से हासिल करने के अवसर के रूप में इस्तेमाल करने में व्यस्त थे. भारत में संदिग्ध लोन ऐप्स का एक बड़ा विस्तार पहले लॉकडाउन के बाद शुरू हुआ. स्कैमर्स उन भारतीयों की तलाश कर रहे थे, जिन्हें पैसे की सख्त जरूरत थी. पढ़ें ये डिटेल रिपोर्ट...

Loan Wolves of China: जानें चीन में बैठे लोग कैसे भारतीयों को लोन देकर सुसाइड के लिए कर रहे मजबूर
नई दिल्ली. आजकल इंस्टेंट का जमाना है. इंस्टेंट नूडल्स और इंस्टेंट कॉफी तक तो ठीक है, लेकिन इंस्टेंट लोन…. जी हां…. इंस्टेंट लोन ऐप (Instant Loan Apps) से कर्ज ले चुके कई लोगों के खुदकुशी के मामले कई राज्यों से आ रहे हैं. जांच में पता चला है कि इनमें से कई इंस्टेंट लोन ऐप के तार चीन (China) और हांगकांग ( Hong Kong) से जुड़े हैं. कई चीनी नागरिकों और उनके भारतीय सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद भी इस तरह के ऐप का इस्तेमाल रुका नहीं है. ये ऐप इज़ी स्टेप्स और मिनिमम डॉक्यूमेंट्स के जरिए इंस्टेंट लोन देकर ग्राहकों को कर्ज के जाल में फंसाते हैं. फिर उनके स्मार्टफोन से डेटा चुराने (Smartphone data) के बाद बड़ी रकम की वसूली करते हैं. इस सीरीज में up24x7news.com धोखाधड़ी की मानवीय लागत पर प्रकाश डालेगा. साथ ही चीनी द्वारा भारतीयों के डेटा की राष्ट्रीय सुरक्षा के निहितार्थ की जांच करेगा. जब दुनिया कोविड महामारी से जूझ रही थी, तब कुछ चीनी नागरिक इसे गलत तरीके से हासिल करने के अवसर के रूप में इस्तेमाल करने में व्यस्त थे. भारत में संदिग्ध लोन ऐप्स का एक बड़ा विस्तार पहले लॉकडाउन के बाद शुरू हुआ. स्कैमर्स उन भारतीयों की तलाश कर रहे थे, जिन्हें पैसे की सख्त जरूरत थी. कोविड महामारी और लॉकडाउन की वजह से भारी तादाद में लोगों की नौकरी चली गई थी. जिनकी नौकरी बच गई, उनकी कमाई घट गई थी. बड़ी संख्या में लोग आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे. इंस्टेंट लोन ऐप ने ऐसे लोगों को बड़ी आसानी से अपने जाल में फंसाया. जांच से जुड़े अधिकारियों ने up24x7news.com को बताया कि इंस्टेंट लोन ऐप के काम के पीछे कई शातिर दिमाग हैं. ये सबकुछ चीन के नागरिकों की ओर से किया जाता है. हालांकि, जांच में वो बड़ी सफाई से बच निकलते हैं. यही वजह है कि भारत में उनके अपराध के कोई निशान या सबूत नहीं मिलते. दिल्ली पुलिस ने ऐसे एक मामले में 150 लोगों को गिरफ्तार किया. इनमें कुछ फर्जी डायरेक्टर भी शामिल हैं. दिल्ली पुलिस को जांच में पता चला है कि चीन के कई नागरिक गिरफ्तार किए गए लोगों से ऐप के माध्यम से जुड़े थे. ऐप का सर्वर सिंगापुर में डिटेक्ट किया गया. डायरेक्टर को वहीं से काम के निर्देश मिलते थे. कुछ मामलों में तो ये भी पाया गया कि पेटेंट कंपनियां चीन में ग्वांगझू, शेनजेन और बीजिंग जैसे शहरों में रजिस्टर्ड हैं. हालांकि, जांच एजेंसियां ऐसे 90 फीसदी मामलों में चीनी नागरिकों को गिरफ्तार करने में नाकाम रहीं. इसकी वजह इन ऐप्स के काम करने का जटिल सिस्टम था. ऐसे लोन ऐप की जांच का पहला मामला भारत में तेलंगाना पुलिस से जुड़ा है. यहां के तत्कालीन जॉइंट पुलिस कमिश्नर अविनाश मोहंती ने बताया कि एक बेटिंग मामले की जांच के दौरान सारा खेल सामने आया. मोहंती बताते हैं, ‘हमें पता चला कि एक लोन ऐप चीन के नागरिकों द्वारा चलाया जा रहा है. कुछ मामलों में हमने पाया कि जो लोग ग्राहकों को धमकी दे रहे थे, उन्हें इंडोनेशिया से ऐसा करने के निर्देश मिल रहे थे. पूरा ऑपरेशन चीन के नागरिकों की तरफ से चलाया जा रहा था.’ चूंकि ऑपरेशन भारत के बाहर से चलाया जा रहा था, इसलिए दिक्कतें ज्यादा थीं. क्योंकि जांच एजेंसियों की तरफ से जारी सर्कुलर का फायदा तभी मिलता है, जब मामले से जुड़े लोग भारत में हों. अगर उनलोगों ने देश छोड़ दिया, तब इंटरपोल की मदद लेनी पड़ती है. वहीं, ओडिशा पुलिस के डीआईजी जेएन पंकज ने up24x7news.com को बताया, ‘2019 में हमने चीन के नागरिक लियू वी के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था. उसने कई कंपनियां बनाई थी, जिसके शेल डायरेक्टर भी थे. उसकी एक कंपनी से जुड़े ऐप के कुल 1.5 लाख डाउनलोड्स थे. पेरेंट कंपनी Jianbing Technology चीन के हैंगझोऊ में थी. वी Omelette Technology Private Limited का डायरेक्टर था. हालांकि, उसका कंट्रोल ऐसी दूसरी कंपनियों पर था, जिसके दर्जनों इंस्टेंट लोन ऐप थे.’ एक दूसरे केस में दिल्ली पुलिस की जांच में सामने आया कि पैसे को क्रिप्टोकरेंसी में बदलने के लिए दुबई भेजा गया. ये ऐप बेटिंग ऐप से भी जुड़े हुए हैं. मामले में एक आरोपी ने बताया कि पहले वह इन ऐप से लोन लेकर इसका शिकार बना, फिर ऐप के कुछ लोगों ने उससे वैसा ही काम करने को कहा. काम के बदले कुछ पैसे भी मिलते थे. रिपोर्ट के मुताबिक, चूंकि इंस्टेंट ऐप से जुड़ी कंपनियां रुपये को क्रिप्टोकरेंसी में बदल देते हैं. ऐसे में भारत के फाइनेंशियल सिस्टम के लिए ये बड़ा खतरा हो सकता है. चीन के नागरिक अपना पैसा इंवेस्ट करते हैं और उससे मिलने वाले प्रॉफिट को क्रिप्टोकरेंसी में बदल लेते हैं. इस वजह से उन्हें पकड़ना मुश्किल होता है. पुलिस जांच में ये भी सामने आया कि चीन के नागरिकों ने कई देशों में कंपनियां बनाई हैं. इनमें इंडोनेशिया, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश शामिल है. जांच में ये भी पता चला है कि चीनी नागरिक आगे जाकर अफ्रीका और पश्चिमी देशों में भी अपना नेटवर्क फैलाने वाले हैं. (मूल रूप से अंग्रेजी में इस खबर को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.) ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | FIRST PUBLISHED : August 30, 2022, 17:40 IST