दिल्‍लीवालों क्‍या कर रहे हैं आप नहीं सुधरे तो चुकानी होगी बड़ी कीमत

Yamuna Pollution: यमुना की सफाई के लिए कई तरह की योजनाएं चलाने का दावा किया जा चुका है. जीवनदायनी नदी को साफ और स्‍वच्‍छ करने पर भी बहुत बातें हो चुकी हैं, लेकिन हकीकत उतना ही डराने वाला है.

दिल्‍लीवालों क्‍या कर रहे हैं आप नहीं सुधरे तो चुकानी होगी बड़ी कीमत
नई दिल्‍ली. देश में नदियों को साफ करने के नाम पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. खासकर गंगा और यमुना की सफाई पर तो सबसे ज्‍यादा ढिंढोरा पीटा गया है. यमुना नदी को साफ करने के जितने दावा किए गए हैं, जमीन पर हालात उतने ही खराब हैं. यमुना पर ताजा वाटर क्‍वालिटी रिपोर्ट ने सरकार के तमाम दावों की पोल खोल दी है. रिपोर्ट की मानें तो दिल्‍ली में यमुना नदी में प्रदूषण का स्‍तर साल 2020 के बाद अपने उच्‍चतम स्‍तर पर है. यह दिल्‍लीवालों के लिए बुरी खबर है. यमुना की हालत यदि ऐसी ही बनी रही तो आने वाले दिनों में राष्‍ट्रीय राजधानी के लोगों के लिए पेयजल की समस्‍या काफी गंभीर हो सकती है. नवंबर महीने की वाटर क्‍वालिटी रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर 2020 की तुलना में उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. असगरपुर में इसमें मल मूत्र से होने वाले प्रदूषण का कंस्‍ट्रेशन (Fecal Coliform Concentrations) प्रति 100 मिलीलीटर पर 79,00,000 यूनिट (MPN) तक पहुंच गई है. बता दें कि असगपुर में ही यमुना नद दिल्ली से बाहर निकलती है. दिल्ली पॉल्‍यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) के डाटा से खतरनाक हालात का पता चला है. दिल्‍लीवालों पर आने वाली है बड़ी मुसीबत? पूरी तरह मुस्‍तैद है पुलिस, खुफिया रिपोर्ट पर तुरंत एक्‍शन की तैयारी लिमिट से कहीं ज्‍यादा सेंट्र पॉल्‍यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, मलमूत्र संबंधी प्रदूषण के मार्कर फीकल कोलीफॉर्म की मान्य सीमा प्रति 100 मिलीलीटर पर 2500 इकाई है. वहीं, दिल्‍ली में यमुना नदी में यह 79 लाख तक पहुंच गया है. बता दें कि यमुना में मल मूत्र संबंधी प्रदूषण का उच्चतम स्तर दिसंबर 2020 में रिकॉर्ड किया गया था, जब इसकी मौजूदगी प्रति 100 मिलीलीटर पर 120 करोड़ यूनिट तक पहुंच गई थी. दिल्‍लीवाले ही जिम्‍मेदार DPCC की रिपोर्ट पर भरोसा करें तो यमुना नदी के इस हालत के लिए दिल्‍ली ही जिम्‍मेदार है. DPCC की मंथली क्‍वालिटी रिपोर्ट के अनुसार, यमुना पल्ला में दिल्ली में प्रवेश करती है और वहां फीकल कोलीफॉर्म 1100 यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर है और दिल्‍ली में नदी के आगे बढ़ने के साथ ही हालात खराब होते जाते हैं. यमुना नदी के पानी में घुली ऑक्सीजन (डीओ) का स्तर पल्ला (6.1 मिलीग्राम/लीटर) और वजीराबाद (5.2 मिलीग्राम/लीटर) में लिमिट के अंतर बताया गया है. यह स्थिति जल में जीवन को बनाए रखने के लिए जरूरी है. हालांकि, आईएसबीटी पुल पर ऑक्सीजन स्तर घटकर शून्य हो गया है और दिल्ली से बाहर निकलने तक वह शून्य ही रहा. यह हालत डेड रिवर इकोसिस्‍टम के इंडिकेटर्स हैं. Tags: Delhi news, Delhi pollution, Yamuna RiverFIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 16:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed