हम फैसला नहीं कर पाएंगेCJI ने मैरिटल रेप पर सुनवाई में ऐसा क्‍यों कहा

चीफ जस्‍ट‍िस डीवाई चंद्रचूड़ ने मैरिटल रेप पर सुनवाई 4 हफ्ते के ल‍िए टाल दी. ये भी कहा क‍ि वे इसका फैसला नहीं दे सकते. इसके पीछे उन्‍होंने वजह भी बताई है.

हम फैसला नहीं कर पाएंगेCJI ने मैरिटल रेप पर सुनवाई में ऐसा क्‍यों कहा
वैवाह‍िक बलात्‍कार यानी मैर‍िटल रेप पर सुनवाई चल रही थी, तभी चीफ जस्‍ट‍िस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice D Y Chandrachud) ने कहने लगे क‍ि वे इस मामले को पूरा नहीं सुन सकते. इसल‍िए इसकी सुनवाई को चार हफ्ते के लिए टाल द‍िया जाए. यह सुनकर कोर्ट में सब हक्‍के बक्‍के रह गए. लेकिन ाादमें उन्‍होंने जो वजह बताई, उसके बाद सुनवाई चार हफ्ते के ल‍िए टाल दी गई. चीफ जस्‍ट‍िस की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ इस बात पर सुनवाई कर रही है क‍ि वैवाह‍िक बलात्‍कार में पत‍ियों को छूट दी जाए या नहीं. अगर पत्‍नी श‍िकायत करे तो क्‍या उनके ख‍िलाफ रेप का मुकदमा चलाया जा सकता है? बीते 17 अक्‍तूबर को सीजेआई ने वकीलों से पूछा था क‍ि उन्‍हें बहस करने के लिए कितना समय चाहिए होगा. इस पर एक पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि वह अपनी दलीलें पूरी करने में कम से कम एक दिन लेंगे, क्योंकि वह इस तरह के महत्वपूर्ण मामले में आवश्यक विस्तृत दलीलों को बाधित नहीं करना चाहते. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और एक महिला की ओर से इंदिरा जयसिंह ने भी कहा कि उन्हें बहस के लिए एक-एक दिन का समय चाहिए. लेकिन 26 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट में दिवाली की छुट्टियां हो रही हैं. इसके बाद 4 नवंबर को कोर्ट फ‍िर खुलेगा. सीजेआई 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में उनके पास प्रमुख मुद्दों की सुनवाई करने के ल‍िए सिर्फ 5 द‍िन बचेंगे. इसे देखते हुए सीजेआई ने साफ कह द‍िया क‍ि जब वे इस मामले में पूरा फैसला ही नहीं सुना सकते, तो फ‍िर इसे अगली बेंच सामने ही ल‍िस्‍ट क‍िया जाना चाह‍िए. हमें गहरा अफसोस सुप्रीम कोर्ट ने कहा, समय के अनुमान को देखते हुए, हमारा मानना ​​है कि निकट भविष्य में सुनवाई पूरी करना संभव नहीं होगा. इसल‍िए सभी याचिकाओं को चार सप्ताह बाद किसी अन्य पीठ के सामने ल‍िस्‍ट क‍िया जाए. इस पर शंकरनारायणन ने कहा, हमें गहरा अफसोस है. हम इसी बेंच से फैसला सुनना चाहते थे. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र का रुख साफ है क‍ि विवाह यौन सहमति की अवधारणा को खत्म नहीं करता, साथ ही वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करना सही नहीं होगा. लाखों मह‍िलाओं के बारे में यह मामला याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने कहा कि यह याचिका देश की लाखों महिलाओं के बारे में है और इसे बहुत गंभीरता से सुनना होगा. उन्होंने सीजेआई से आग्रह किया कि वे सुनवाई जारी रखें और फैसला सुनाएं, क्योंकि उनके पास बहुत महत्वपूर्ण फैसले देने की विरासत है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा, आपकी विरासत हमेशा बनी रहेगी. हमें यह कहकर इसका उपहास नहीं उड़ाना चाहिए. Tags: DY Chandrachud, Marital Rape, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : October 23, 2024, 17:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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