कॉन्फिडेंस हो तो ऐसा! वकालत की डिग्री नहीं खोला ‘कोर्ट’ गया जेल

Lawyer Sets Up Fake Court: गुजरात के अहमदाबाद में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने वकीलों के साथ की कोर्ट के जजों की नींद उड़ाने का काम किया है. एक फर्जी वकील मॉरिस क्रिश्चियन ने पिछले कई साल से वकालत की और एक फर्जी मध्यस्थता न्यायाधिकरण भी खोल दिया था.

कॉन्फिडेंस हो तो ऐसा! वकालत की डिग्री नहीं खोला ‘कोर्ट’ गया जेल
अहमदाबाद. गुजरात के अहमदाबाद में एक वकील ने ऐसा कारनामा कर दिखाया, जिसे जानकर दूसरे वकीलों के साथ ही जजों के भी होश उड़ गए हैं. मॉरिस क्रिश्चियन नामक इस शख्स ने खुद को एक वकील बताने के साथ ही मध्यस्थता न्यायाधिकरण भी खोल दिया. उसने यहां पर कई तरह के फैसले खुद ही दे दिए. जिसके कारण लोगों को करोड़ों रुपये की चपत लगने का अंदेशा है. सोमवार तक अहमदाबाद के फर्जी वकील का ये इतिहास रहा है. बहरहाल उसे गांधीनगर में फर्जी मध्यस्थता न्यायाधिकरण चलाने के आरोप में स्थानीय अदालत के निर्देश पर गिरफ्तार कर लिया गया. अब पता चला है कि उनके पास वकालत करने का वैध लाइसेंस नहीं है. सिविल कोर्ट ने मॉरिस क्रिश्चियन और उनके साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. इस मामले में अहमदाबाद नगर निगम की जमीन (एएमसी) से जुड़े ऐसे ही एक आदेश को चुनौती दी गई. कोर्ट ने पाया कि मॉरिस ने 100 करोड़ रुपये से अधिक की जमीन हड़पने के लिए दावेदारों के पक्ष में आदेश पारित किया. कोर्ट ने फर्जी न्यायाधिकरण के आदेश को शुरू से ही अमान्य और लागू करने योग्य नहीं करार दिया. क्योंकि मॉरिस ने बिना अधिकार के खुद को मध्यस्थ नियुक्त किया था और धोखाधड़ी वाला आदेश पारित किया था. मॉरिस के पास वैध वकील का लाइसेंस नहीं अब यह बात सामने आई है कि मॉरिस के पास वैध वकील का लाइसेंस नहीं है और 2007 में इस मामले में वह तीन महीने जेल में भी रह चुका है. गुजरात बार काउंसिल की फाइनेंस कमेटी के अध्यक्ष और वकील अनिल केला ने कहा कि मॉरिस ने दावा किया था कि उसके पास किसी अंतरराष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से डिग्री और ‘अंतरराष्ट्रीय बार काउंसिल’ से लाइसेंस है. वह जाली प्रमाण-पत्र और डिग्री के आधार पर कई अदालतों में वकालत करता था. ऐसी कोई काउंसिल नहीं थी. मॉरिस के लेन-देन स्थानीय अदालतों के रडार पर पांच साल से थे. घट गई 1 करोड़ आबादी… जनसंख्या को कोसते हैं भारतीय, उधर इंसान के लिए तरस रहा यूक्रेन लोगों ने मध्यस्थ के रूप में उसके आदेशों को चुनौती दी कुछ लोगों ने मध्यस्थ के रूप में उसके आदेशों को चुनौती दी थी. अवमानना कार्यवाही के बावजूद मॉरिस ने हिम्मत नहीं हारी. पहले भी में गुजरात हाईकोर्ट ने उसके कई आदेशों पर रोक लगा दी थी. उसे अवमानना कार्यवाही का भी सामना करना पड़ा और जिला कलेक्टर ने कुछ साल पहले उसके कार्यालय को सील कर दिया था. जिसे न्यायालय जैसा बनाया गया था. फिर भी मॉरिस ने हिम्मत नहीं हारी. सोमवार तक जब सिविल कोर्ट ने उसकी पोल खोली और कहा कि ऐसे 10 अन्य मामले हैं, जिनमें उसने सरकार, एएमसी और निजी पक्षों के करोड़ों के भूखंडों से संबंधित आदेश पारित किए हैं. Tags: Ahmedabad, Ahmedabad News, Gujarat, Gujarat newsFIRST PUBLISHED : October 23, 2024, 16:34 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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