IIT कानपुर बना रहा मशीनी दिल जानें क्यों बताया जा रहा दुनिया की धड़कन
IIT कानपुर बना रहा मशीनी दिल जानें क्यों बताया जा रहा दुनिया की धड़कन
नारायणा हेल्थ के संस्थापक चेयमैन और हृदय रोग विशेषज्ञ देवी शेट्टी बताते हैं कि दिल की गंभीर बीमारी के कारण मौत के मुंह में जाने वाले रोगियों के लिए यह कृत्रिम हृदय प्रत्यारोपन जिंदगी बदलने वाला अनुभव है, लेकिन यह इतना महंगा है कि अब तक दुनिया भर में केवल 29000 अमीर रोगियों का कृत्रिम हृदय प्रत्यारोपित किया गया है. ऐसे में इन दिल के मरीजों के लिए आईआईटी कानपुर एक बड़ी उम्मीद की किरण बन सकता है.
हाइलाइट्सआईआईटी कानपुर ने दो साल के अंदर क्लीनिकल ट्रायल के लिए एक कृत्रिम हृदय तैयार करने का लक्ष्य रखा है.इसके लिए मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और बायोइंजीनियरिंग की डिग्री वाले आठ इंजीनियरों की टीम बनाई गई है. इसे बनाने में देश के बड़े हृदय रोग विशेषज्ञों के साथ आईआईटी के पूर्व छात्र भी इनकी मदद कर रहे हैं.
नई दिल्ली. दुनिया भर में हर साल होने वाली कुल मौतों में से 32 फीसदी के पीछे हृदय रोग ही मुख्य कारण होता है. इससे यह असमय मौत का सबसे आम कारण बन जाता है. इसका एक तार्किक समाधान तो बीमार दिल को कृत्रिम हृदय (लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस, LVAD) से बदलना है, लेकिन इसमें होने वाला खर्च आम लोगों की पहुंच से इसे बाहर कर देता है. भारत में एक कृत्रिम हृदय लगवाने की कीमत लगभग एक करोड़ रुपये बैठती है, वहीं अमेरिका में इस पर दस लाख डॉलर से अधिक का खर्च आता है. ऐसे में इतने महंगे समाधान को सही मायने में समाधान कहा भी नहीं जा सकता.
टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में प्रकाशित लेख में नारायणा हेल्थ के संस्थापक चेयमैन और हृदय रोग विशेषज्ञ देवी शेट्टी बताते हैं कि दिल की गंभीर बीमारी के कारण मौत के मुंह में जाने वाले रोगियों के लिए यह कृत्रिम हृदय प्रत्यारोपन जिंदगी बदलने वाला अनुभव है, लेकिन यह इतना महंगा है कि अब तक दुनिया भर में केवल 29000 अमीर रोगियों का कृत्रिम हृदय प्रत्यारोपित किया गया है.
वह बताते हैं कि हमारे पास कृत्रिम हृदय लगाए ऐसे रोगी भी हैं, जो 12 साल से भी ज्यादा वक्त से बेहद सक्रिय जीवन जी रहे हैं. यही वजह है कि कृत्रिम हृदय जो शुरुआत में केवल सही डोनर से दिल मिलने तक कुछ ही महीनों के लिए ‘कामचलाऊ उपाय’ के रूप में देखा जाता था, वह अब ‘मुख्य उपचान’ में बदल गया है.
दिल के मरीज़ों के लिए उम्मीद की किरण
ऐसे में इन दिल के मरीजों के लिए आईआईटी कानपुर एक बड़ी उम्मीद की किरण बन सकता है. आईआईटी कानपुर ने दो साल के अंदर क्लीनिकल ट्रायल के लिए एक कृत्रिम हृदय तैयार करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए उन्नत मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैटेरियल और बायोइंजीनियरिंग की डिग्री वाले आठ युवा इंजीनियरों की टीम बनाई गई है. इन्हें करीब 200 से ज्यादा कैंडिडेट्स में से चुना गया है.
डॉ. देवी शेट्टी बताते हैं कि इस टीम को आईआईटी कानपुर की बेहतरीन फैकल्टी के साथ देश भर के हृदय रोग विशेषज्ञों से भी मदद मिल रही है. इसके अलावा विदेश में काम कर रहे आईआईटी कानपुर के कुछ पूर्व छात्र भी इनके सलाहकार समूह का हिस्सा हैं, जिनके पास दिल की बीमारियों में काम आने वाली मशीनें बनाने का अनुभव है.
आईआईटी कानपुर कैंपस में इस टीम ने मिलकर दो साल के अंदर कृत्रिम हृदय तैयार करने का लक्ष्य रखा है. चूंकि यह सरकार द्वारा फंड किए गए प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया जा रहा है, ऐसे में इसकी कीमत भी बाजार में उपलब्ध कृत्रिम हृदय से काफी कम रहने की उम्मीद है.
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Tags: Artificial Heart, Heart DiseaseFIRST PUBLISHED : October 29, 2022, 17:54 IST