सरसों पर क्यों बंट गए दो जज सुप्रीम कोर्ट में रखी अलग-अलग राय अब
सरसों पर क्यों बंट गए दो जज सुप्रीम कोर्ट में रखी अलग-अलग राय अब
सुप्रीम कोर्ट के दो जज मंगलवार को सरसों पर लेकर बंटे नजर आए. सरसों की हाइब्रिड किस्म डीएमएच-11 को बीज उत्पादन और परीक्षण का केंद्र सरकार ने आदेश दिया था, जिसकी वैधता पर सुनवाई हुई.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के दो जज मंगलवार को सरसों पर लेकर बंटे नजर आए. सरसों की हाइब्रिड किस्म डीएमएच-11 को बीज उत्पादन और परीक्षण का केंद्र सरकार ने आदेश दिया था, जिसकी वैधता पर सुनवाई हुई. लेकिन दोनों जजों की राय अलग-अलग थी. इस वजह से खंडित फैसला आया.
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने जीएम सरसों को लेकर की गई सिफारिश पर सुनवाई की. जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) ने 18 अक्टूबर, 2022 में यह सिफारिश की थी. जीईएसी हाइब्रिड फसलों को नियंत्रित करने या मंजूरी देने वाली संस्था है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठ के दोनों जजों ने अलग अलग राय दी.
खंडित आदेश की वजह से पीठ ने पूरे मामले को सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के सामने रखने का फैसला किया, ताकि किसी और पीठ को इसे सुनने के लिए रखा जा सके. हालांकि, दोनों जज इस बात पर एक मत दिखे कि जीएम फसलों को एक राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए. केंद्र सरकार को इसे लेकर फैसला करना चाहिए. पीठ ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय जीएम फसलों पर राष्ट्रीय नीति तैयार करने से पहले सभी हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ परामर्श करे. अगर इस प्रक्रिया को चार महीने में पूरा कर लिया जाए, तो बेहतर रहेगा.
जस्टिस नागरत्ना ने जीएम फसलों को पर्यावरण में छोड़े जाने के मुद्दे पर कहा कि 18 और 25 अक्टूबर, 2022 को दिए गए जीईएसी के निर्णय दोषपूर्ण थे, क्योंकि बैठक में स्वास्थ्य विभाग का कोई सदस्य नहीं था. बैठक में कुल आठ सदस्य गैरहाजिर थे. इसलिए इतना महत्वपूर्ण निर्णय लेना सही नहीं था. दूसरी ओर, न्यायमूर्ति करोल ने कहा कि जीईएसी के फैसले किसी भी तरह से मनमाने और गलत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जीएम सरसों फसल को सख्त सुरक्षा उपायों का पालन करते हुए पर्यावरण में छोड़ा जाना चाहिए.
शीर्ष अदालत ने कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स और गैर-सराकारी संगठन ‘जीन कैंपेन’ की अलग-अलग याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया. याचिका में स्वतंत्र विशेषज्ञ निकाय द्वारा एक व्यापक, पारदर्शी और कठोर जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किए जाने तक पर्यावरण में आनुवंशिक रूप से संवर्धित जीवों (जीएमओ) को छोड़ने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है.
Tags: DY Chandrachud, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : July 23, 2024, 23:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed