सुप्रीम कोर्ट का Supreme Day लंबे समय से लटके ये 3 बड़े केस बंद जानें डिटेल
सुप्रीम कोर्ट का Supreme Day लंबे समय से लटके ये 3 बड़े केस बंद जानें डिटेल
Supreme Court News: न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा प्रशांत भूषण और तरुण तेजपाल के माफी मांगने की जानकारी दिए जाने के बाद मामले में कार्यवाही बंद कर दी.
हाइलाइट्ससुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्य पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अब इस मामले में कुछ नहीं बचा हैसुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गुजरात दंगे के 9 मामलों में से 8 मामलों में फैसला आ चुका है
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीन बड़े मामलों की सुनवाई बंद कर दी है. सुप्रीम कोर्ट की अलग-अलग बेंच ने सुनवाई के दौरान इन मामलों को बंद करने का फैसला लिया है. इसमें पहला मामला वर्ष 2002 गुजरात दंगा मामला है तो दूसरा 2009 में वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना का मामला है. वहीं तीसरा मामला बाबरी ढांचा गिराने पर शुरू हुई अवमानना कार्यवाही का मामला है जिसे भी सुप्रीम कोर्ट ने बंद कर दिया है.
गुजरात दंगे से जुड़े सभी मामले बंद
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 गुजरात दंगे से जुड़े सभी मामलों को बंद कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 9 मामलों में से 8 मामलों में फैसला आ चुका है और नरोदा ग्राम मामले में ट्रायल आखिरी चरण में है. इस मामले में कानून के मुताबिक, कार्यवाही चलेगी.
प्रशांत भूषण के खिलाफ केस बंद
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 अवमानना केस को बंद कर दिया है. आपको बता दें कि 2009 में तहलका पत्रिका को दिए गए इंटरव्यू के बाद से प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना के मामले की सुनवाई शुरू हुई थी. इस इंटरव्यू के दौरान प्रशांत कहा था कि भारत के 16 पूर्व CJI भ्रष्ट हैं.
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा प्रशांत भूषण और तरुण तेजपाल के माफी मांगने की जानकारी दिए जाने के बाद मामले में कार्यवाही बंद कर दी. पीठ ने कहा,’ अवमाननाकर्ताओं द्वारा की गई क्षमा याचना को देखते हुए हम अवमानना के लिए दर्ज मामले पर आगे बढ़ना जरूरी नहीं समझते हैं. अवमानना की कार्यवाही समाप्त की जाती है.’ शीर्ष अदालत ने नवंबर 2009 में एक समाचार पत्रिका को दिए साक्षात्कार में उच्चतम न्यायालय के कुछ मौजूदा और पूर्व न्यायाधीशों पर कथित रूप से आरोप लगाने के लिए प्रशांत भूषण और तरुण तेजपाल को अवमानना नोटिस जारी किया था। तरुण तेजपाल उस समय संबंधित पत्रिका के संपादक थे. भूषण ने 2009 के अवमानना मामले के जवाब में सर्वोच्च अदालत से कहा था कि न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने से अदालत की अवमानना का मामला नहीं बनता और केवल भ्रष्टाचार के आरोप लगाने से अदालत की अवमानना नहीं हो सकती.
बाबारी ढांचा गिराने पर शुरू हुई अवमानाना की कार्यवाही बंद
वहीं बाबरी ढांचा गिराने पर शुरू अवमानना कार्यवाही को भी सुप्रीम कोर्ट ने बंद कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवमानना याचिका को पहले सूचीबद्ध किया जाना चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच अयोध्या भूमि विवाद को तय करने वाले सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर, 2019 के फैसले के साथ यह मुद्दा नहीं टिकता, इसलिए अवमानना कार्रवाई बंद की जाती है. आपको बता दें के सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्य पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अब इस मामले में कुछ नहीं बचा है. इस मामले में ही बीजेपी के दिवंगत नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को एक दिन की सजा काटी थी. गौरतलब है कि 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद ढहा दी थी. इसके तुरंत बाद कल्याण सिंह ने यूपी के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. अगले दिन यानी 7 दिसंबर 1992 को केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार ने यूपी की सरकार को बर्खास्त कर दिया था.
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Tags: Babri demolition, Gujarat Riots, Prashant bhushan, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 30, 2022, 13:17 IST