क्या हुआ जब जज ने कहा- लेने दो तारीख ED मामलों में कौन सी जमानत होती है

ED Bail Delhi Court: प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने मामले पर विचार किया और माना कि "याचिकाकर्ता/आवेदक की धारणा और दृष्टिकोण, जिसके तहत वह अदालत से निष्पक्ष सुनवाई की उम्मीद नहीं करता है, को मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में उचित सम्मान दिया जाना चाहिए". इसके बाद संबंधिक मामले को दूसरे जज की को ट्रांसफर कर दिया गया.

क्या हुआ जब जज ने कहा- लेने दो तारीख ED मामलों में कौन सी जमानत होती है
नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश ने भूषण स्टील मनी लॉन्ड्रिंग मामले को एक जज से दूसरे जज के पास ट्रांसफर कर दिया. यह कदम आरोपी के उस बयान के बाद उठाया गया, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि जज संभवतः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पक्ष में है क्योंकि उन्होंने सुनवाई के दौरान कथित तौर पर कहा था कि ‘ईडी मामलों में किसे जमानत मिलती है’. 1 मई को पारित एक आदेश में, सेशन जज अंजू बजाज चांदना ने मामले को विशेष न्यायाधीश (पीसी अधिनियम) जगदीश कुमार की अदालत से विशेष न्यायाधीश (पीसी अधिनियम) मुकेश कुमार को ट्रांसफर कर दिया. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी की तरफ से व्यक्त की गई आशंका को गलत नहीं कहा जा सकता. बार एंड बेंच के मुताबिक, राउज एवेन्यू कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “मामला अपने प्रारंभिक चरण में है और यदि मामले की सुनवाई सक्षम क्षेत्राधिकार वाले किसी अन्य न्यायालय द्वारा की जाती है, तो उत्तर देने वाले प्रतिवादी पर कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा. उसी के अनुसार, कार्यवाही को किसी अन्य न्यायालय में स्थानांतरित करना जरूरी है. आवेदक का आवेदन स्वीकार किया जाता है.” ट्रांसफर के लिए याचिका मामले के एक आरोपी अजय एस मित्तल द्वारा दायर की गई थी, जिसमें “न्याय के हित” में विशेष न्यायाधीश (पीसी अधिनियम) जगदीश कुमार की अदालत से कार्यवाही को किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी. यह मित्तल का मामला था कि उनकी जमानत याचिका 10 अप्रैल, 2024 को न्यायाधीश जगदीश कुमार के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई थी. उस तारीख पर, वकील ने बहस की तैयारी के लिए समय मांगा और मामले को 25 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया. मित्तल की पत्नी (जो मामले में एक आरोपी भी है) कार्यवाही देख रही थी और एक बार जब वकील अदालत कक्ष से चले गए, तो अदालत के कर्मचारियों ने कुछ पूछताछ की और न्यायाधीश ने एक टिप्पणी पारित की, “लेने दो तारीख, ईडी के मामलों में कौन सी जमानत होती है (तारीखें लेते रहो, ईडी मामलों में जमानत का सवाल कहां है).” ईडी ने याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि मित्तल सभी तथ्यों की समग्रता पर उचित आशंका प्रदर्शित करने में विफल रहे हैं. यह तर्क दिया गया कि केवल पूछने पर मामले को ट्रांसफर करने से न्यायिक प्रणाली की विश्वसनीयता गंभीर रूप से कमजोर हो जाएगी. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने मामले पर विचार किया और माना कि “याचिकाकर्ता/आवेदक की धारणा और दृष्टिकोण, जिसके तहत वह अदालत से निष्पक्ष सुनवाई की उम्मीद नहीं करता है, को मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में उचित सम्मान दिया जाना चाहिए”. इसके बाद संबंधिक मामले को दूसरे जज की को ट्रांसफर कर दिया गया. Tags: Enforcement directorate, Rouse Avenue CourtFIRST PUBLISHED : May 5, 2024, 16:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed