बेटा मैं उस घर में कैसे जाऊं जहां जर्रे-जर्रे में तुम्हारी खुशबू बसी है
बेटा मैं उस घर में कैसे जाऊं जहां जर्रे-जर्रे में तुम्हारी खुशबू बसी है
दिल्ली के विवेक विहार में एक बेबी केयर हॉस्पिटल में सात बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद उनके परिवार वालों पर क्या गुजर रही होगी, यह इस तस्वीर को देखकर सहज ही समझा जा सकता है. युवा पिता के कलेजे के टुकड़े को खोने का दर्द और उनके अंदर चल रही बातों का आप एक काल्पनिक चित्रण पढ़ सकते हैं.
दिल्ली के विवेक विहार में एक चाइल्ड केयर हॉस्पिटल में आग की घटना में सात शिशुओं की मौत से हर किसी का दिल बैठा हुआ है. घटना की खबर पढ़ने भर से हम सभी की आंखें नम हैं. ऐसे में सहज कल्पना की जा सकती है कि अपने कलेजे के टुकड़े को खोने वाले एक मां-बाप पर क्या गुजर रहा होगा. इन मां-बाप की सभी खुशियां पल भर में खाक हो गईं. इस तस्वीर में दिख रहे एक पिता के दर्द को यूं ही समझा जा सकता है. इसको देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि उसके अंदर क्या चल रहा होगा. इस तस्वीर को देखकर उस पिता के अंदर चल रही बातों का यह एक काल्पनिक चित्रण हैं…
…फक़त उसकी एक मुस्कराहट से पूरे दिन की थकावट दूर हो जाती थी. मैं जब घर में घुसता था तो दोनों हाथ उठाकर वो इशारा करता था कि पापा मुझे ले लो. मैं उसको गोद में लेता तो वो अपना सिर मेरे कंधे में रखकर अपनी पूरी ताकत से मुझसे लिपट जाता था. ऐसा लगता था कि पल भर में वो अपनी दुनिया को अपनी बाहों में समेट लेना चाहता था. जब से बेटा तुम इस दुनिया में आए थे उस पल से मानों मेरी पूरी जिंदगी ही बदल गई मगर अब क्या होगा…
एक आग ने तुम्हारी जिंदगी छीन ली. तुमको हम सब से जुदा कर दिया. हम अधूरे हो गए. इतनी जल्दी तुम हम सब को छोड़कर चले गए. मैं उस घर में कैसे जाऊंगा जहां ज़र्रे-ज़र्रे में तुम्हारी खुशबू बसी है. हर तरफ सिर्फ तुम दिखते हो. तुम्हारे वो खिलौने भी बिन तुम्हारे उदास हो जाएंगे. वो तुम्हारा हाथीराजा, चिड़िया, बंदर ये सब अभी भी तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं बेटा… लौट आओ बेटा…किस दर पर अपना सिर रखूं, कहां से ले आऊं तुमको. अभी तो तुम बैठ भी नहीं पाते थे. अभी तो तुमको सारी दुनिया देखनी थी. अपने पैरों से दौड़ना था. पापा के साथ खेलना था. मां के हाथों की बनी खीर खानी थी.
कमरे में तुम्हारी अलमारी को कैसे खोल पाऊंगा मैं. तुम्हारे छोटे-छोटे कपड़े, तुम्हारा काजल, तुम्हारे मालिश वाला तेल, तुम्हारी क्रीम हर चीज को देखकर मन फट रहा है. वो झूला, तुम्हारा वॉकर पहले से लाकर रखा था कि तुमको उसमें बैठाकर घुमाएंगे मगर तुमने तो मौका ही नहीं दिया…
दिल्ली के विवेक विहार की घटना सुनकर कलेजा बैठ गया है. जिसने भी इस घटना को सुना उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं. उसके मुंह से बस एक आवाज आई हे भगवान. बेबी केयर अस्पताल में आग लगने से सात बच्चों की मौत हो गई. पांच बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं. अस्पताल के बाहर बच्चों के मां-बाप बेसुध पड़े हुए हैं. उनके परिवार वाले बार-बार उनको संभाल रहे हैं मगर उनका जिगर का टुकड़ा अब नहीं है. उनको हर पल उनकी याद आ रही है. जिसके रोने की आवाज सुनकर मां-बाप दुनिया सिर पर उठा लेते थे आज उसकी मौत की खबर सुनी. घर सूना हो गया. उस घर में मां-बाप के कदम आगे नहीं बढ़ रहे. वो हर जगह अपने बच्चे का एहसास कर रहे हैं. सात मासूमों की मौत से हर शख्स सदमें में हैं. हर आंख नम है. हर गला रूंधा हुआ है, हर लब खामोश हैं.
Tags: Delhi FireFIRST PUBLISHED : May 26, 2024, 17:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed