हम 1951 से यहां रह रहे जब डॉक्‍यूमेंट द‍िखाते रहे लोग पर नहीं रुका बुलडोजर

DDA Demolition News: उत्तरी दिल्ली के खैबर पास इलाके में अवैध निर्माण ढहाने के लिए बुलडोजर सोमवार को दूसरे दिन भी चला. सरकार का कहना है कि इलाके में निर्माण अवैध है क्योंकि यह जमीन रक्षा मंत्रालय की है. यहां रहने वालों की व्यथा आंखें नम कर देती है...

हम 1951 से यहां रह रहे जब डॉक्‍यूमेंट द‍िखाते रहे लोग पर नहीं रुका बुलडोजर
दिल्ली विकास परिषद (डीडीए) की ओर से उत्तरी दिल्ली के खैबर पास इलाके में अवैध निर्माण ढहाने के लिए बुलडोजर चलता रहा. सोमवार को दूसरे दिन भी यह नहीं रुका. भूमि एवं विकास कार्यालय (एलएंडडीओ) ने दावा किया है कि इलाके में निर्माण अवैध है क्योंकि यह जमीन रक्षा मंत्रालय की है. जबकि, नाराज निवासियों का दावा है कि उन्हें समय नहीं दिया गया कि वे अपने लिए कहीं और ठिकाना ढूंढ पाते. उनका कहना है कि उन्हें बेवजह बेघर कर दिया गया. वैसे इस इलाके में 250 घरों पर बुलडोजर कुछ हफ्ते पहले ही चलाया जा चुका है. नेशनल कोच समरेश जंग की अपील भी खारिज बता दें कि पिछले दिनों ओलंपिक में दो मेडल जीत चुकीं मनु भाकर के कोच समरेश जंग ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई थी. उन्होंने नोटिस का हवाला देकर कहा था कि घर को दो दिन में खाली करने का नोटिस आया है. इस बारे में एक लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- ओलंपियन हो या कोई आम आदमी, कानून सबके लिए एक… तोड़ दिए गए 250 घर, तो क्या समरेश जंग को मिलनी चाहिए छूट?  वैसे 5 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनके घर को गिराए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, मेरे पास अब कहने के लिए कुछ नहीं है… अगर मुझे स्टे मिल भी जाता तो भी मैं यहां रहने के बारे में सोच भी नही सकता था… जब यह पूरा इलाका, जहां मैं पला-बढ़ा हूं, ध्वस्त हो गया है… राकेश कुमार कहते हैं- पेपर तो हैं मेरे पास मगर… टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, 62 साल के हैं राकेश कुमार जिनका घर सोमवार को ढहाया गया है. कई सालों से वे बच्चों को घर पर ट्यूशन पढ़ा रहे हैं. आज उनका घर और घर चलाने का साधन दोनों छिए गए. सिविल लाइंस इलाके में खैबर दर्रे के सैकड़ों निवासियों में से एक राकेश कुमार के हाथ में प्लास्टिक बैग था जिसमें उनके मुताबिक, ‘उस समय के दस्तावेज हैं, जब मेरे पिता 1951 में यहां रहने लगे थे… मैं यहीं पैदा हुआ और यहीं बूढ़ा हुआ… मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह इस तरह खत्म होगा.’ संध्या के बच्चों के एग्जाम मिस हो गए… अपने घर के सामान के पास बैठी हुईं संध्या अपने बच्चों की एजुकेशन को लेकर परेशान ज्यादा हैं. इस सबकी वजह से बच्चों के पेपर मिस हो गए. मानवाधिकार कार्यकर्ता मुआवजे और रीहैबिलिटेशन की मांग कर रहे हैं. संध्या कहती हैं कि मेरे पति की कमाई से ही पूरा परिवार खाता था.. अब छत भी छिन गई… अब हम कैसे जिएंगे… अगर वे जगह खाली चाहते थे तो हमें पूरा समय देते… कल रात बहुत बारिश भी हुई… सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल गोराना कहते हैं- विस्थापित लोगों को रहने के लिए जगह दी जानी चाहिए. लोग ब्रिटिश आर्मी के समय से यहां रह रहे हैं…. इस इलाके को स्लम के तौर पर क्यों नहीं सर्वे किया गया? Tags: Delhi developmet authority, New Delhi newsFIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 18:03 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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