इसे नजरअंदाज करना अन्‍यायपूर्ण और गलत SC ने खारिज कर दी तुषार मेहता की दलील

Arvind Kejriwal Bail: दिल्‍ली शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉड्रिंग केस में गिरफ्तार मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी गई. ईडी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर से केजरीवाल की जमानत के विरोध में पुरजोर दलीलें दी गईं, लेकिन दो जजों की पीठ ने उसे खारिज कर दिया.

इसे नजरअंदाज करना अन्‍यायपूर्ण और गलत SC ने खारिज कर दी तुषार मेहता की दलील
नई दिल्‍ली. दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है. अरविंद केजरीवाल 1 जून तक जेल से बाहर रहेंगे. इसके बाद उन्‍हें समर्पण करना होगा. AAP नेताओं के साथ ही केजरीवाल की पत्‍नी सुनीता ने X पर एक पोस्ट कर कहा कि हनुमान जी की जय…यह लोकतंत्र की जीत है. यह लाखों लोगों की प्रार्थना और आशीर्वाद का परिणाम है. सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद. बता दें कि इस मामले में जांच एजेंसी ED की ओर से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का पुरजोर विरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज करते हुए सीएम केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने अरविंद केजरीवाल को 50,000 रुपये के जमानती बॉण्ड और इतनी ही राशि का मुचलका जमा कराने का भी निर्देश दिया. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील को खारिज कर दिया कि चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत पर केजरीवाल को छोड़ने जैसा पहले कोई मामला नहीं देखा गया. अदालत ने उनकी इस दलील से भी सहमति नहीं जताई कि चुनाव प्रचार के लिए AAP के राष्ट्रीय संयोजक को अंतरिम जमानत देना ‘इस देश के आम नागरिकों की तुलना में राजनीतिक नेताओं को लाभकारी स्थिति में प्रमुखता से रखने’ जैसा होगा. Arvind Kejriwal Bail: अरविंद केजरीवाल जेल से तो छूट गए, पर नहीं कर सकेंगे ये 4 काम, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई शर्त सुप्रीम कोर्ट ने क्‍या कहा? सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने कहा, ‘अंतरिम जमानत/रिहाई देने के सवाल की जांच करते समय अदालतें हमेशा संबंधित व्यक्ति से जुड़ी विशिष्टताओं और आसपास की परिस्थितियों को ध्यान में रखती हैं. वास्तव में इसे नजरअंदाज करना अन्यायपूर्ण और गलत होगा.’ पीठ ने आगे कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि गंभीर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन केजरीवाल को अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है. उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह समाज के लिए खतरा नहीं हैं. कोर्ट ने कहा कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उनकी गिरफ्तारी की वैधता को शीर्ष अदालत के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने अभी तक इस पर अपना अंतिम फैसला नहीं सुनाया है. असामान्‍य मामला नहीं शीर्ष अदालत ने कहा कि केजरीवाल का मामला असामान्य नहीं है. अंतरिम जमानत देने की शक्ति का प्रयोग आमतौर पर कई मामलों में किया जाता है और प्रत्येक मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अंतरिम जमानत दी जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘उपरोक्त कारणों से हम निर्देश देते हैं कि अपीलकर्ता (अरविंद केजरीवाल) को मामले के संबंध में अंतरिम जमानत पर 1 जून 2024 तक रिहा किया जाएगा. यानी वह 2 जून 2024 को आत्मसमर्पण करेंगे.’ साथ ही पीठ ने कहा कि इस दौरान वह मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे. शीर्ष अदालत ने कहा कि केजरीवाल जमानत पर रहने के दौरान मामले में अपनी भूमिका के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे और किसी गवाह से बात नहीं करेंगे या मामले से संबंधित किसी फाइल को नहीं देखेंगे. Tags: CM Arvind Kejriwal, Supreme Court, Tushar mehtaFIRST PUBLISHED : May 11, 2024, 09:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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