50 साल से दीपावली रौशन कर रही हैं कणमाई मिट्टी के दीयों की अनसुनी कहानी

शिवसागर की कणमाई कलिता पिछले 50 सालों से मिट्टी के दीये बना रही हैं, पर घटती मांग से उनकी चिंता बढ़ गई है. दीपावली के लिए उनके हाथों से बने लाखों दीये असम में प्रसिद्ध हैं.

50 साल से दीपावली रौशन कर रही हैं कणमाई मिट्टी के दीयों की अनसुनी कहानी
दीपावली में अब केवल दो दिन बाकी हैं. पूरे देश में उत्सव का माहौल बन चुका है, और इसी बीच राज्य के मिट्टी के कारीगरों के बीच व्यस्तता चरम पर है. अपने घर को दीपावली के दिन रोशनी से जगमगाने के लिए ये कारीगर दिन-रात मिट्टी के दीये बनाने में जुटे हुए हैं. इन कारीगरों में शिबसागर की एक बुजुर्ग महिला, ‘कणमाई कलिता’, का विशेष उल्लेख किया जा सकता है. शादी के बाद अपने ससुराल आने के बाद से, यानी पिछले 50 वर्षों से, कणमाई मिट्टी के दीये बनाती आ रही हैं. लाखों दीये बनाने वाली कणमाई का घर ऊपरी नजीरा के कुमार गाँव में स्थित है, जो शिबसागर जिले में आता है. परिवार के लिए दीये बनाते हुए जीवन बिताया अपने ससुराल में आकर ही कणमाई ने मिट्टी के दीये बनाने का काम शुरू किया. उन्होंने इस काम से अपने परिवार का पालन-पोषण किया और बच्चों को बड़ा किया. लाखों दीये बनाने के कारण उनकी तबीयत बिगड़ गई थी, पर अब वो स्वस्थ हैं. हालांकि, पहले की तरह मिट्टी के दीये बनाने में अब वे सक्षम नहीं हैं. पहले, दीपावली के लिए तीन महीने पहले से ही वे और उनका परिवार दीये बनाने में जुट जाते थे. पिछले 50 साल से उनका परिवार इसी मिट्टी के दीये बनाने के व्यवसाय पर निर्भर है. ‘ऊपरी नजीरा कुमार गाँव’ की विशेष पहचान मिट्टी के कारीगर के रूप में पहचान बनाने वाली कणमाई का गाँव, ऊपरी नजीरा कुमार गाँव, एक विशेष पहचान रखता है. यहाँ के मिट्टी के दीये, टोकरी, धूपदीपक आदि वस्तुएं असम के विभिन्न हिस्सों में बेची जाती हैं. मिट्टी के दीयों की घटती मांग से चिंता पिछले 50 वर्षों से कारीगर के रूप में काम करते हुए कणमाई ने कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन अब उनके मन में एक असंतोष भी है. पहले की तुलना में मिट्टी के दीयों की बिक्री में आई कमी, उनके लिए चिंता का विषय बन गई है. बाजार में मिट्टी की वस्तुओं की मांग काफी घट चुकी है, जिससे उनके परिवार का पालन-पोषण कठिन हो गया है. हालांकि वे सालभर विभिन्न मिट्टी की वस्तुएं बनाते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग इन्हें केवल पूजा, बिहू और दीपावली पर ही खरीदते हैं. Tags: Diwali, Diwali Celebration, Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 22:45 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed