भदई अमावस्या पर चित्रकूट में लगने जा रहा दो दिवसीय मेला जानें क्या है मान्यता

चित्रकूट के पुजारी मोहित दास ने बताया कि अमावस्या के दिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है और लाखों की तादाद में भक्त  चित्रकूट आते हैं और मंदाकिनी नदी में स्नान करने के बाद अपने पितरों को खुश करने के लिए पिंडदान के साथ-साथ साधु संतों को दान पुण्य भी करते हैं.

भदई अमावस्या पर चित्रकूट में लगने जा रहा दो दिवसीय मेला जानें क्या है मान्यता
विकाश कुमार/ चित्रकूट : धर्म नगरी चित्रकूट प्रभु श्री राम की तपोस्थली रही है. क्योंकि यहां प्रभु श्री राम ने अपने वनवास काल के साढ़े ग्यारह वर्ष व्यतीत किए थे. ऐसे में चित्रकूट में कल से दो दिवसीय मेले की शुरुआत होने वाली है. जिसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालु धर्म नगरी पहुंचेंगे और स्नान करके प्रत्येक मठ मंदिरों की पूजा अर्चना भी करेंगे. लाखों की तादाद में चित्रकूट में आयेगे श्रद्धालु आपको बता दें कि कल भदई अमावस्या के साथ-साथ सोमवती अमावस्या का पर्व पड़ रहा है. जिसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालु रामघाट के तट में इकट्ठा होंगे और मां मंदाकिनी नदी में स्नान करने के बाद मत गजेंद्र नाथ मंदिर में विराजमान शिवलिंग में जलाभिषेक करने के बाद कामतानाथ की परिक्रमा कर उनकी पूजा अर्चना भी करेंगे. अगर इसकी मान्यता की बात की जाए तो इस दिन श्रद्धालु रामघाट के तट में स्नान करने के बादपितरों के प्रसन्नता के लिए पिंडदान करते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि अमावस्या के दिन ही तुलसीदास जी को प्रभु श्री राम के दर्शन भी हुए थे. इसलिए यह अमावस्या बड़ी शुभ मानी जाती है. प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के किए पुख्ता इंतजाम पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने बताया कि भदई मास की सोमवती अमावस्या होने के कारण यह अमावस्या विशेष महत्वपूर्ण है. इसमें 12 से 15 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है.पूरे मेला क्षेत्र को 7 जोन और 21 सेक्टर में बांटा गया है. वहीं सुरक्षा के लिहाज से 6 जिलों से फोर्स बुलाई गई है, जिसमें सीओ, इंस्पेक्टर, एसआई, कांस्टेबल, दो ट्रक पीएसी, दो कंपनी फ्लेड प्लाटून और एक कंपनी एसडीआरएफ की टीम शामिल हैं. पुजारी ने दी जानकारी वहीं चित्रकूट के पुजारी मोहित दास ने बताया कि अमावस्या के दिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है और लाखों की तादाद में भक्त  चित्रकूट आते हैं और मंदाकिनी नदी में स्नान करने के बाद अपने पितरों को खुश करने के लिए पिंडदान के साथ-साथ साधु संतों को दान पुण्य भी करते हैं. इसके बाद वह अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कामत गिरी की परिक्रमा व उनके दर्शन भी करते हैं. अमावस्या के समय ही गोस्वामी तुलसीदास जी को प्रभु श्री राम के दर्शन भी हुए थे. इसलिए यह अमावस्या चित्रकूट में और भी खास मानी जाती है. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : September 1, 2024, 16:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed