चित्रकूट के किसान ने पाठा क्षेत्र में की गे औषधीय खेती मिल चुका है पुरस्कार

Chitrakoot News: चित्रकूट में मानिकपुर के रहने वाले किसान विजय सिंह ने 20 साल पहले खेती किसानी की शुरुआत की थी. तब उन्होंने पाठा क्षेत्र में गेहूं, अरहर जैसे अन्य फसलों की खेती कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने पूरे चित्रकूट में गेहूं की फसल का सबसे ज्यादा उत्पादन किया. जिसे देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से उनको प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है.

चित्रकूट के किसान ने पाठा क्षेत्र में की गे औषधीय खेती मिल चुका है पुरस्कार
विकाश कुमार/ चित्रकूट: उत्तर प्रदेश में चित्रकूट के पाठा क्षेत्र में आज हम एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं. जिन्होंने पाठा क्षेत्र की जमीन पर फसलों की खेती करने के साथ-साथ ऐसी औषधियां उगाई है. जिसको देखकर जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश तक के अधिकारियों ने किसान को सम्मानित किया है. बता दें कि पाठा के इस किसान ने उस समय ये कर दिखाया. जब क्षेत्र में लोग खेती किसानी करने से दूर भागते थे.तभी इन्होंने हिम्मत करते हुए.चित्रकूट में प्रथम किसान के तौर पर अनाजों की खेती करने के साथ-साथ औषधियों की भी खेती की. 20 साल पहले शुरू किया था खेती करना चित्रकूट के पाठा क्षेत्र के मानिकपुर के रहने वाले विजय सिंह जिनको पाठा क्षेत्र में आज से लगभग 20 साल पहले खेती किसानी की शुरुआत की थी. तब उन्होंने पाठा क्षेत्र में गेहूं, अरहर जैसे अन्य फसलों की खेती करना शुरू किया. जिसका उन्होंने पूरे चित्रकूट में गेहूं की फसल का सब से ज्यादा उत्पादन किया. जिसको देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से उनको प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया गया था. इसके बाद उन्होंने खेती किसानी के साथ-साथ औषधियों को उगाने का प्लान बनाया. और अपने खेत में सोना मुखी, लेमन ग्रास जैसी अन्य औषधीय पौधे उगाने लगे. इसको देखते हुए जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश स्तर के अधिकारियों ने उनको प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया. खेतों में अभी भी उगा रहे औषधीय पौधे वहीं, विजय सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि उनको खेती किसानी करते लगभग 20 साल से ऊपर हो गए है. खेती किसानी में सम्मान की बात की जाए तो सबसे पहले चित्रकूट पठारी क्षेत्र में सब से ज्यादा गेहूं,,धान की पैदावार करने के लिए उन्हें सम्मानित किया गया. उन्होंने बताया की कम पानी में बाली वाला गेहूं पैदा किया. उनका कहना है कि उन्होंने छुट्टा जानवरों को रोकने के लिए औषधियों की खेती करना शुरू किया. जहां खेतों के किनारे अश्वगंधा, सोनामुखी, सतावर जैसे अन्य औषधीय पौधों को लगाकर वह बाजारों में बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं. उन्होंने बताया वह चित्रकूट के पहले किसान हैं, जो औषधि की खेती कर रहे हैं. Tags: Chitrakoot News, Chitrakoot news today, Local18, UP latest news, UP newsFIRST PUBLISHED : June 7, 2024, 09:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed