चीन बॉर्डर पर सड़कें बनेंगी लोहालाट निर्माण की सामग्री लेकर ट्रेन हुई रवाना विस्‍तार से जानें

बॉर्डर की सड़कों का निर्माण तारकोल और नेचुरल एग्रीगेट की जगह स्‍टील स्‍लैग से किया जाएगा. पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में बॉर्डर रोड आर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने रोड बना रहा है. निर्माण सामग्री को साइट पर पहुंचाने की शुरुआत बुधवार को जमशेदपुर के टाटानगर स्‍टेशन से हो गयी है. इसके लिए स्‍टील स्‍लैग टाटा स्‍टील लिमिटेड जमशेदपुर उपलब्‍ध करा रहा है.

चीन बॉर्डर पर सड़कें बनेंगी लोहालाट निर्माण की सामग्री लेकर ट्रेन हुई रवाना विस्‍तार से जानें
जमशेदपुर. चीन बॉर्डर इलाकों की सड़कें लोहालाट बनाई जाएंगी. सड़कों के निर्माण में तारकोल और नेचुरल एग्रीगेट की जगह स्‍टील स्‍लैग का इस्‍तेमाल किया जाएगा. पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों में बॉर्डर रोड आर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने रोड बना रहा है. निर्माण सामग्री को निर्माण साइट पर पहुंचाने की शुरुआत बुधवार को जमशेदपुर के टाटानगर स्‍टेशन से हो गयी है. विज्ञान और प्राद्यौगिकी मंत्री डा. जितेन्‍द्र सिंह ने इस ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना किया.स्‍टील स्‍लैग लेकर पहली खेप रवना हुई. इस मौके को संबोधित करते हुए डा. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के वेस्‍ट टू वैल्थ को बढ़ाते हुए इस तकनीक का इस्‍तेमाल किया जा रहा है. देश के भविष्‍य में यह तकनीक काफी फायदे की साबित होगी. जहंा इससे स्‍टील स्‍लैग का निपटान किया जा सकेगा, वहीं प्राकृतिक संशाधनों को बचाया जा सकेगा. वहीं बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टीनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा कि आज का दिन बीआरओ के लिए खास है. बीआरओ सड़क निर्माण में नई नई तकनीक का इस्‍तेमाल करता है. पूर्वोतर में इस नई तकनीक का इस्‍तेमाल कर रोड का निर्माण किया जाएगा. सीएसआईआर- सीआरआरआई के निदेशक प्रो. मनोरंजन परीड़ा ने कहा कि यह नई शुरुआत की है. नई तकनीक भविष्‍य में एक बड़ा बदलाव लाएगी. गुजरात में इस तकनीक का सफल परीक्षण हो चुका है. स्‍टील मंत्रालय द्वारा दिए गए फंड से इसकी शुरुआत की गयी है. टाटा स्‍टील के वाइस प्रेसीडेंट उत्‍तम सिंह ने कहा कि जमशेदपुर में सालाना 1.6 मिलियन टन स्‍टील स्‍लैग पैदा होती है. सड़क निर्माण में इस्‍तेमाल से इसका निपटान बेहतर ढंग से होग सकेगा.देश में सालाना करीब 200 लाख टन स्‍टील स्‍लैग पैदा होती है, जिमसें केवल10 फीसदी का निपटान हो पाता है. बॉर्डर इलाकों में सड़क बनाने के लिए स्‍टील स्‍लैग टाटा स्‍टील लिमिटेड जमशेदपुर उपलब्‍ध करा रहा है. पहले हो चुका है सफल प्रयोग सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्‍टीट्यूट के प्रमुख साइंटिस्‍ट और स्‍लैग से बनी रोड प्रोजेक्‍ट के प्रमुख डा. सतीश पांडेय ने बताया कि स्‍लैग को प्‍लांट में प्रोसेस्‍ड कर उसे सड़क में इस्‍तेमाल करने लायक सामग्री में तब्‍दील किया गया है. इसके बाद इसे रोड निर्माण में इस्‍तेमाल किया जा रहा है. यह रोड पत्‍थर और पत्‍थर के मुकाबले अधिक मजबूत है. इतना ही नहीं, इसकी लागत भी सामान्‍य रोड के मुकाबले 30 फीसदी तक कम है. ये होंगे बड़े फायदे . इस रोड की थिकनेस 30 फीसदी तक कम की गई है. थिकनेस कम होने से कीमत कम है. इस तरह के मैटेरियल से निर्माण कर सड़क की लागत 30 फीसदी तक कम की जा सकती है. . स्‍टील स्‍लैग की रोड सामान्‍य रोड के मुकाबले अधिक मजबूत होती हैं. सूरत में इस रोड से रोजाना 18 से 20 टन वजनी 1000 से 1200 वाहन रोज गुजर रहे हैं, पर रोड की क्‍वालिटी पर किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ा है. . इस तरह की रोड का निर्माण कर प्राकृतिक संसाधान को बचाया जा सकता है. सामान्‍य रोड के निर्माण में पत्‍थर का इस्‍तेमाल होता है, इसके लिए खनन करना होता है. लेकिन स्‍टील स्‍लैग के इस्‍तेमाल से पत्‍थरों की जरूरत नहीं पड़ेगी. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: BRO, China bharat border, RoadsFIRST PUBLISHED : November 02, 2022, 15:10 IST