भारत में वापस आ रहे हैं चीते देश के जंगलों के लिए ‘प्रोजेक्ट चीता’ क्यों है जरूरी जानिए

चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी जानवर है जो भारत से पूरी तरह से खत्म हो गया है. इसका मुख्य कारण ज्यादा शिकार और चीतों के निवास स्थान को हुआ नुकसान था. बहरहाल देश में चीतों को फिर से लाना जंगलों के पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) के लिए एक वरदान साबित हो सकता है. चीते खुले मैदानों में रहते हैं, उनका आवास मुख्य रूप से वहां है, जहां उनके शिकार रहते हैं. घास के मैदान, झाड़ियां और खुले जंगल, अर्ध-शुष्क वातावरण और थोड़ा ज्यादा तापमान उनके लिए सही होता है.

भारत में वापस आ रहे हैं चीते देश के जंगलों के लिए ‘प्रोजेक्ट चीता’ क्यों है जरूरी जानिए
हाइलाइट्सदेश में चीतों को फिर से लाना जंगलों के पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) के लिए एक वरदान.घास के मैदान, झाड़ियां और खुले जंगल, अर्ध-शुष्क वातावरण, थोड़ा ज्यादा तापमान उनके लिए सही.10 जगहों के सर्वेक्षण के बाद मध्य प्रदेश में कुनो राष्ट्रीय उद्यान को चीतों के लिए सबसे सही जगह पाया गया. नई दिल्ली. भारत में चीता को फिर से बसाने के लिए बनाई गई कार्य योजना के तहत पांच साल में देश के कई नेशनल पार्क में 50 चीतों को फिर से बसाया जाएगा. भारत एक बार फिर दुनिया के सबसे तेज रफ्तार वाले जानवर चीता का घर बनने जा रहा है. भारत सरकार ने चीतों को फिर से देश के जंगलों में लाने का काम किया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद चीतों को देश में लाने और बसाने में निजी रुचि दिखा रहे हैं. चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी जानवर है जो भारत से पूरी तरह से खत्म हो गया है. इसका मुख्य कारण ज्यादा शिकार और चीतों के निवास स्थान को हुआ नुकसान था. बहरहाल देश में चीतों को फिर से लाना जंगलों के पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) के लिए एक वरदान साबित हो सकता है. चीते खुले मैदानों में रहते हैं, उनका आवास मुख्य रूप से वहां है, जहां उनके शिकार रहते हैं. घास के मैदान, झाड़ियां और खुले जंगल, अर्ध-शुष्क वातावरण और थोड़ा ज्यादा तापमान उनके लिए सही होता है. चीतों को बचाने के लिए न केवल उनके शिकार करने के आधार को बचाना होगा, जिसमें कुछ खतरे में पड़ी वाली प्रजातियां शामिल हैं, बल्कि घास के मैदानों की अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों और खुले वनों के पारिस्थितिकी तंत्र को भी बचाना होगा. जिनमें से कुछ अब खत्म होने के कगार पर हैं. चीतों को वापस लाने से देश में खुले जंगलों को बचाने के काम को भी मजबूती मिलेगी. यह भी देखा गया है कि बड़े मांसाहारी जानवरों में मानव हितों के साथ संघर्ष चीतों में सबसे कम है. वे मनुष्यों के लिए खतरा नहीं हैं और बड़े पशुओं पर भी हमला नहीं करते हैं. चीते को भारत में वापस लाने की चर्चा सबसे पहले 2009 में वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने शुरू की थी. दुनिया भर के विशेषज्ञों, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सहित भारत सरकार के अधिकारियों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने इसके लिए कई बैठकें की. इसके लिए साइट सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया गया. इसके बाद पहले जिन राज्यों में चीता पाए जाते थे, उनको प्राथमिकता दी गई. इस तरह तय किया गया कि गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में फिर से चीतों को बसाया जाएगा. Cheetah in India: भारत के जंगलों में फिर दिखेगी चीते की चाल, नामीबिया 35-40 चीता भेजने को तैयार मध्य भारत के राज्यों की 10 जगहों के सर्वेक्षण के बाद मध्य प्रदेश में कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) को चीतों के निवास के लिए सबसे सही जगह पाया गया. केएनपी 748 वर्ग किमी. इलाके में फैला है. इस इलाके में मानव बस्तियों को हटा दिया गया है और श्योपुर-शिवपुरी के खुले वन में 21 चीतों को रखने की क्षमता होने का अनुमान है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Asiatic Cheetah, Madhya pradesh news, National ParkFIRST PUBLISHED : September 17, 2022, 06:53 IST