जगन से आंसूओं का बदला ले रहे नायडु बुलडोजर एक्शन YSR का ऑफिस ध्वस्त

Bulldozer Action: युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (YSRCP) का कार्यालय शनिवार सुबह विजयवाड़ा के ताडेपल्ले जिले में ध्वस्त कर दिया गया. YSRCP ने इसे प्रतिशोध की राजनीति कहा है. घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए YSRCP ने कहा कि यह ‘प्रतिशोध की राजनीति की शुरुआत’ है.

जगन से आंसूओं का बदला ले रहे नायडु बुलडोजर एक्शन YSR का ऑफिस ध्वस्त
नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश में सत्ता बदल चुकी है. पूर्व मुख्मंत्री जगन मोहन रेड्डी अब सत्ता से बेदखल हो चुके हैं. और कभी विपक्ष में बैठे तेलुगू देशम पार्टी (TDP) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू सत्ता में आ चुके हैं. आंध्र प्रदेश में सत्ता तो बदली लेकिन प्रतिशोध की राजनीति जारी है. युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (YSRCP) का कार्यालय शनिवार सुबह विजयवाड़ा के ताडेपल्ले जिले में ध्वस्त कर दिया गया. ऑफिस को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर का सहारा लिया गया. YSRCP ने इसे प्रतिशोध की राजनीति करार दिया है. आइए इस खबर में जानते हैं कि कैसै यह प्रतिशोध की राजनीति है. इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए YSRCP ने कहा कि यह ‘प्रतिशोध की राजनीति की शुरुआत’ है. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, यह इमारत गुंटूर जिले के ताड़ेपल्ली मंडल के सीतानगरम के बोट यार्ड परिसर में आर.एस. संख्या 202-ए-1 में 870.40 वर्ग मीटर की कथित रूप से अवैध रूप से कब्जा की गई भूमि पर थी. #WATCH | CORRECTION | Amaravati, Andhra Pradesh: YSRCP’s under-construction* central office in Tadepalli was demolished today early morning. As per YSRCP, “TDP is doing vendetta politics. The demolition proceeded even though the YSRCP had approached the High Court the previous… pic.twitter.com/mwQN1bEXOr — ANI (@ANI) June 22, 2024

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YSRCP के अनुसार, ‘TDP प्रतिशोध की राजनीति कर रही है. YSRCP ने हाईकोर्ट का दरवाया खटखटाया है, इसके बावजूद ऑफिस को गिरा दिया गया. अदालत ने किसी भी विध्वंस गतिविधि को रोकने का आदेश दिया था. यह अभूतपूर्व कार्रवाई, राज्य के इतिहास में किसी पार्टी कार्यालय को ध्वस्त करने की पहली घटना, सुबह 5:30 बजे उत्खनन मशीनों और बुलडोजरों का उपयोग करके शुरू की गई.’

क्या हुआ था चंद्रबाबू नायडू के साथ?
दरअसल 19 नवंबर 2021 को विधानसभा सत्र के दौरान तीखी बहस और YSRCP कांग्रेस के नेताओं द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद चंद्रबाबू नायडू सदन से बाहर चले गए थे. उस समय नायडू ने कसम खाई थी कि जब तक मैं सत्ता में वापस नहीं आ जाता, तब तक मैं सदन से दूर रहूंगा. इस दौरान वह काफी भावुक भी हो गए थे. उन्हें फूट-फूटकर रोते हुए भी देखा गया था.

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