खेती के लिए रामबाण है ये विधि कम लागत में मिलेगा लाखों का मुनाफा
खेती के लिए रामबाण है ये विधि कम लागत में मिलेगा लाखों का मुनाफा
Machan Vidhi in Vegetable Farming: किसान ललित ने बताया कि वह करीब चार सालों से सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इस समय लौकी, तोरई तीन बीघे में लगी है, जो हम मचान विधि से कर रहे हैं. इसमें एक बीघे में करीब 8 से 10 हजार रुपये की लागत आती है. वहीं, मुनाफा करीब एक फसल पर ढाई से तीन लाख रुपए तक हो जाता है.
संजय यादव /बाराबंकी: अधिक आय के लिए किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ हरी सब्जियों की खेती भी कर सकते हैं. इससे उनकी आमदनी काफी अच्छी हो जाएगी. क्योंकि, हरी सब्जियों में तोरई, लौकी की बाजार मांग को देखते हुए इसका उत्पादन किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है. खास बात यह है कि इसकी खेती छोटे क्षेत्र में भी आसानी से की जा सकती है. अगर आपके पास एक से दो हेक्टेयर भी जमीन है, तो आप इसकी खेती से हर साल अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
जिले के युवा किसान ललित कुमार मचान विधि से तोरई और लौकी की खेती करते हैं. इसमे उन्हें लागत के हिसाब से अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. इसके लिए वह कई सालो से इन सब्जियों की खेती करके लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं. किसान ललित कुमार बड़ेल गांव के रहने वाले हैं. इन्होंने एक बीघे से तोरई, लौकी की खेती की शुरुआत की. इसमें उन्हें अच्छा मुनाफा देखने को मिला. आज वह करीब तीन बीघे में तोरई और लौकी की खेती कर रहे हैं. इस खेती से लगभग उन्हें ढाई से तीन लाख रुपए मुनाफा एक फसल पर हो रहा है.
कम लागत में लाखों का मुनाफा
किसान ललित ने बताया कि वह करीब चार सालों से सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इस समय लौकी, तोरई तीन बीघे में लगी है, जो हम मचान विधि से कर रहे हैं. इसमें एक बीघे में करीब 8 से 10 हजार रुपये की लागत आती है. वहीं, मुनाफा करीब एक फसल पर ढाई से तीन लाख रुपए तक हो जाता है. मचान विधि फसल को खराब होने से बचाती है और बारिश के पानी से फसलों को कोई नुकसान नहीं होता है. साथ ही रोग लगने का खतरा भी कम रहता है. फसल में अगर रोग लगता है, तो कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करने में भी आसानी होती है. इससे सब्जियां अच्छी होने के साथ-साथ उनकी पैदावार भी ज्यादा होती है. बाजार में इनकी कीमत अच्छी मिलती है.
ऐसे करें खेती
इसकी खेती करना बहुत ही आसान है. पहले खेत की जुताई की जाती है. फिर खेत में मेड बनाकर लौकी व तुरई के बीज की बुआई की जाती है. वहीं, लगभग 8 से 10 दिन बाद पौधा जब निकल आता है, तब खेत मे मचान बनाने के लिए लोहे के एंगल या बांस के खंभे से मचान बनाते हैं. खम्भों के ऊपरी सिरे पर तार बांध कर पौधों को मचान पर चढ़ाया जाता है. फिर वही सब्जियां एक से डेढ़ महीने में उपज देना शुरू कर देते हैं, जिन्हें तोड़कर बाजारों में बेच सकते हैं.
Tags: Agriculture, Barabanki latest news, Indian Farmers, Local18FIRST PUBLISHED : July 23, 2024, 17:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed