यूपी के ये माननीय न ले सकेंगे शपथ और न ही कर सकेंगे सांसद निधि का प्रयोग
यूपी के ये माननीय न ले सकेंगे शपथ और न ही कर सकेंगे सांसद निधि का प्रयोग
Prayagraj News: बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय के परिवार के अधिवक्ता सुदिष्ट सिंह के मुताबिक अफजाल अंसारी सांसद निर्वाचित होने के बाद अगर संसद सदस्य के पद की शपथ लेते हैं तो यह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी अवमानना होगी.
हाइलाइट्स गाजीपुर से नवनिर्वाचित सपा सांसद अफजाल अंसारी अभी नहीं ले सकेंगे शपथ अगर संसद सदस्य के पद की शपथ लेते हैं तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना होगी
प्रयागराज. देश में 18वीं लोकसभा का गठन हो चुका है. 18वीं लोकसभा की लिए चुने गए सांसदों को शपथ भी दिलाई जा रही है और सदन की कार्यवाही भी शुरु चुकी है. लेकिन उत्तर प्रदेश से सवा लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीतने वाले एक ऐसे भी सांसद हैं जो कि चुनाव जीतने के बावजूद ना ही सदन की कार्यवाही में शामिल हो सकेंगे और ना ही अपनी सांसद निधि का ही इस्तेमाल कर सकेंगे. इसके साथ-साथ उनके संसद सदस्य के तौर पर शपथ लेने पर भी सस्पेंस बना हुआ है. जी हां, हम बात कर रहे हैं गाजीपुर से नवनिर्वाचित सपा सांसद अफजाल अंसारी की.
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय के परिवार के अधिवक्ता सुदिष्ट सिंह के मुताबिक अफजाल अंसारी सांसद निर्वाचित होने के बाद अगर संसद सदस्य के पद की शपथ लेते हैं तो यह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी अवमानना होगी. उनके मुताबिक दिसंबर 2023 का सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश है उसमें यह बिल्कुल स्पष्ट है. सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में मिली सजा पर रोक लगाते हुए पांच शर्तें लगाई हैं. पहली शर्त यह थी कि गाजीपुर में उपचुनाव नहीं होंगे. दूसरा वह सदन की किसी कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे. सांसद निधि का उपयोग नहीं करेंगे और वोटिंग भी नहीं करेंगे. जब तक कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेंडिंग अपील निस्तारित नहीं हो जाती. इसके साथ ही तब तक शपथ भी नहीं ले सकते हैं जब तक कि अपील निर्णीत ना हो जाए. अधिवक्ता सुदिष्ट सिंह का कहना है कि क्योंकि शपथ लेना भी प्रोसिडिंग का ही हिस्सा है.
पीयूष राय के अधिवक्ता सुदिष्ट सिंह के मुताबिक अफजाल अंसारी के पास एक विकल्प यह है कि वह अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से आदेश का क्लेरिफिकेशन मांग लें, जिसमें अपेक्स कोर्ट यह स्पष्ट कर दे कि वह शपथ ले सकते हैं या नहीं. अधिवक्ता सुदिष्ट सिंह के मुताबिक अगर अफजाल अंसारी सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं तो यह सीधे तौर पर कोर्ट के आदेश की अवमानना होगी.
उनके मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश में स्पष्ट है कि जब तक अफजाल अंसारी की अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट से डिसाइड नहीं हो जाती है तब तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गई शर्तें उन पर बाध्यकारी हैं. पीयूष राय के अधिवक्ता सुदिष्ट सिंह ने कहा है कि अगर इसके बावजूद अफजाल अंसारी संसद सदस्य पद की शपथ लेते हैं और सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं तो अपने क्लाइंट की ओर से वह अदालत में कंटेंप्ट भी दाखिल कर सकते हैं.
गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी 17वीं लोकसभा में बसपा से निर्वाचित सांसद थे. लेकिन गैंगस्टर से जुड़े एक मुकदमे में गाजीपुर की एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट ने 29 अप्रैल 2023 को अफजाल अंसारी को 4 साल कैद और एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई थी. सजा सुनाए जाने के बाद अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता रद्द हो गई थी और उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. इस सजा को अफजाल अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती भी दी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अफजाल अंसारी की जमानत मंजूर कर ली थी, लेकिन सजा पर रोक नहीं लगाई थी. हाईकोर्ट के फैसले की खिलाफ अफजाल अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अफजाल अंसारी की सजा पर रोक लगा दी और इलाहाबाद हाईकोर्ट को उनकी अपील 30 जून से पहले निस्तारित करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट से रोक लगने के बाद अफजाल अंसारी की लोकसभा सदस्यता बहाल हो गई थी. इसके बाद उन्होंने गाजीपुर लोकसभा सीट से बतौर सपा प्रत्याशी चुनाव लड़ा और करीब सवा लाख वोटों के अंतर से जीत भी दर्ज की.
लेकिन लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर में दिए गए आदेश के तहत नवनिर्वाचित सपा सांसद अफजाल अंसारी संसद सदस्य की सदस्यता नहीं ग्रहण कर सकेंगे. इसके साथ ही सदन की कार्यवाही में भी हिस्सा नहीं ले सकेंगे. अगर संसद सदस्य की सदस्यता और कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे तो सांसद निधि का भी उपयोग नहीं कर पाएंगे. ऐसे में उनके चुनाव के बाद भी पूरा भविष्य हाईकोर्ट के फैसले पर टिका हुआ है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में उनकी अर्जी पर सुनवाई अब 2 जुलाई को होनी है. मूल केस में दोनों पक्षों की बहस लगभग पूरी हो गई है. अपील में अफजाल अंसारी ने जहां 4 साल की सजा को रद्द किए जाने की मांग की है, तो वहीं यूपी सरकार और कृष्णानंद परिवार की तरफ से अफजाल अंसारी की सजा को 4 साल से बढ़कर 10 साल किए जाने की अपील की गई है. ऐसे में अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट गैंगस्टर एक्ट में मिली 4 साल की सजा रद्द नहीं करती है तो चुनाव जीतने के बावजूद अफजाल अंसारी के संसद सदस्यता रद्द हो सकती है.
हालांकि अफजाल अंसारी के अधिवक्ताओं की दलील है कि जिस बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय मर्डर केस के आधार पर उनके ऊपर गैंगस्टर एक्ट की कार्यवाही की गई थी. इस केस में वह पहले बरी हो चुके हैं. इस आधार पर उन्हें गैंगस्टर एक्ट के तहत सजा नहीं दी जा सकती है. वहीं भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के बेटे पियूष राय के अधिवक्ता सुदिष्ट सिंह का कहना है कि इसी मुकदमे में अभियुक्त मुख्तार अंसारी को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई थी इसलिए अफजाल अंसारी की भी सजा बढ़नी चाहिए.
फिलहाल अफजाल अंसारी का राजनीतिक भविष्य अब इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित अपील के फैसले पर टिका हुआ है.
Tags: Allahabad high court, UP latest newsFIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 08:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed