राष्ट्रीय स्तर पर प्रभुत्व स्थापित कर BJP दक्षिण में कर रही विस्तार की तैयारी जानें क्या है उसकी रणनीति
राष्ट्रीय स्तर पर प्रभुत्व स्थापित कर BJP दक्षिण में कर रही विस्तार की तैयारी जानें क्या है उसकी रणनीति
भाजपा को उम्मीद जगी है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में वह दक्षिण भारत के राज्यों में भी वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल और ओडिशा में किए प्रदर्शन को दोहरा सकती है. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने हैदराबाद में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दक्षिण भारत को लक्षित किया, जहां पार्टी को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक को छोड़कर बाकी 4 राज्यों की कुल 101 सीटों में से महज 4 सीटों पर जीत मिली थी.
नई दिल्ली: खराब दौर में भी दक्षिण भारत में अपनी मजबूती बरकरार रखने वाली कांग्रेस का लगातार हो रहा पतन और पांरपरिक रूप से ताकतवर रहे क्षेत्रीय दलों के भी कमजोर होने के विपरीत भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत कर रही है. उसे उम्मीद जगी है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में वह दक्षिण भारत के राज्यों में भी वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल और ओडिशा में किए प्रदर्शन को दोहरा सकती है. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने हैदराबाद में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दक्षिण भारत को लक्षित किया, जहां पार्टी को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक को छोड़कर बाकी 4 राज्यों की कुल 101 सीटों में से महज 4 सीटों पर जीत मिली थी.
भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के महज कुछ दिनों के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार ने दक्षिणी राज्यों के 4 प्रमुख लोगों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करने के वास्ते चुना, जिससे पार्टी की राजनीति स्पष्ट हो गई. भाजपा ने वर्ष 2014 और 2019 के चुनाव में उत्तर और पश्चिम भारत में लगातार बड़ी जीत दर्ज की. पार्टी अब लगातार अपनी उपस्थिति पूर्वी भारत और दक्षिण भारत में बढ़ाने की कोशिश कर रही है, ताकि उसकी सीट संख्या में किसी कमी से उसकी राष्ट्रीय महत्वकांक्षा पर कोई असर नहीं पड़े. उसने पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों में नयी जमीन तैयार की और पूरे पूर्वोत्तर में सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरी, लेकिन विंध्य के पार उसकी कोशिश अब तक उतनी लाभदायक साबित नहीं हुई है.
दक्षिण में कर्नाटक से आगे नहीं बढ़ पाई भाजपा, अब तेलंगाना में देख रही है मौका
हालांकि, कर्नाटक भाजपा का मजबूत गढ़ बना हुआ है और इसलिए लोकसभा चुनाव में पार्टी दक्षिण के बाकी बचे 4 राज्यों-आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु पर ध्यान दे रही है, जो मोदी लहर और वर्ष 1984 के बाद लगातार 2 बार एक ही पार्टी की सरकार बनने की उपलब्धि के बावजूद भगवा लहर से अछूते हैं. भाजपा नेताओं का मानना है कि इस समय पार्टी के लिए दक्षिण में पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा अनुकूल परिस्थितियां हैं. क्योंकि पारंपरिक रूप से मजबूत रहीं क्षेत्रीय पार्टियां जैसे आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) और तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक कमजोर हुई हैं, क्रमश: वाईएसआर कांग्रेस और द्रमुक सरकार को चुनौती देने में संघर्ष का सामना कर रही हैं. मौजूदा हालात में कांग्रेस भी राष्ट्रीय विकल्प के तौर पर खुद को पेश करने की स्थिति में नहीं है, जिससे भाजपा के लिए नयी संभावनाओं के द्वार खुले हैं.
हालांकि, वाम दलों द्वारा शासित केरल जहां की 45 प्रतिशत आबादी अल्पसंख्यक है, भाजपा के लिए कड़ी चुनौती पेश कर रहा है. भाजपा की दक्षिणी प्रायद्वीप पर अपनी स्थिति मजबूत करने की नयी कोशिश करीब दो दशक बाद हो रही है. पिछली बार वह कर्नाटक से आगे अपनी विजय पताका फहराने में असफल रही थी. पार्टी कर्नाटक की सत्ता में पहली बार वर्ष 2008 में आई थी. दक्षिणी राज्य अधिकतर भारतीय राज्यों के मुकाबले आर्थिक-सामाजिक संकेतकों में बेहतर हैं और ऐसे में भाजपा के कल्याणकारी मॉडल के कम ग्रहणकर्ता हैं तथा हिंदुत्व का दूसरा मुद्दा भी यहां अन्य क्षेत्रों के मुकाबले अधिक प्रभावी तरीके से काम नहीं करता. भाजपा आक्रामक और महत्वकांक्षी अवतार में है और पार्टी अपने विरोधियों से मोर्चा लेने के लिए तेलंगाना और तमिलनाडु में पार्टी अध्यक्षों क्रमश: बी. संजय कुमार और के. अन्नामलाई को तैयार कर रही है.
आंध्र, तेलंगाना और तमिलनाडु में क्षेत्रीय दलों का कमजोर होना भाजपा के लिए मौका
आंध्र प्रदेश में पार्टी ने तेदेपा को जाने दिया और तेलंगाना में सत्तारूढ. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) पर लगातार हमला कर खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रही है. इसने भाजपा को पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के मुकाबले अब संसद में अधिक अनुकूल अवस्था दी है जबकि वह पूर्व में अपने सहयोगियों पर निर्भर थी. भाजपा ने तेलंगाना में अपने आधार में सुधार भी किया है. उसने वर्ष 2018 के चुनाव में केवल एक विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में 17 में से चार सीट पर जीत दर्ज की और वृहद हैदराबाद नगर निगम चुनाव में मजबूत चुनौती दी. पार्टी के एक नेता ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘इन चारों राज्यों में प्रत्येक में विपक्ष का क्षेत्र खाली है और हम इसे भरने की बेहतरीन स्थिति में हैं.’ भारतीय जनता पार्टी को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना में 4 सीटें मिली थीं, जबकि आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में उसकी झोली खाली रही थी.
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Tags: Andhra Pradesh, BJP, TelanganaFIRST PUBLISHED : July 11, 2022, 06:55 IST