बिहार में विधानसभा चुनाव अगले साल होना है. समय पूर्व चुनाव की संभावना देख सभी दल तरह-तरह के तिकड़म कर रहे हैं. सीएम नीतीश कुमार बार-बार सफाई दे रहे हैं कि आरजेडी के साथ जाकर उन्होंने गलती की थी. अब भाजपा के साथ ही रहेंगे. तेजस्वी कहते हैं कि उन्होंने दो बार नीतीश को राजनीतिक जीवन दान दिया है. भाजपा से तंग होकर वे गिड़गिड़ा रहे थे. उसके बाद जेडीयू और आरजेडी वीडियो फुटेज दिखा कर एक दूसरे को झूठा साबित करने में लगे हैं.
नीतीश कुमार के स्वभाव में पिछले चार साल से बदलाव साफ दिख रहा है. नीतीश वर्ष 2005 से बिहार के सीएम बनते रहे हैं. परिस्थितियों को अपने अनुकूल ढाल लेने की काबिलियत उनमें रही है. आरजेडी और भाजपा के बीच 2015 से अब तक उनकी आवाजाही होती रही है. वे जिसे छोड़ते हैं, उसके प्रति कटुता स्वाभाविक है. पर, वाणी में शालीनता उन्होंने पहले कभी नहीं छोड़ी. यहां तक कि पहली बार 2015 में जब उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ा था, तब भी उनकी जुबान से किसी ने भाजपा या नरेंद्र मोदी के बारे में अशालीन शब्द नहीं सुने. भले ही लालू प्रसाद यादव भाजपा और मोदी पर हमलावर रहे. नीतीश की यही खासियत उन्हें दूसरे राजनीतिज्ञों से अलग करती रही है. हालांकि नीतीश में 2020 के बाद से बदलाव आ गया है. अब उन्हें गुस्सा आने लगा है. वे विरोधियों के लिए कटु शब्दों का प्रयोग करने लगे हैं. झुंझलाना और तिलमिलाना उनके स्वभाव में शामिल हो गया है. सियासी जानकार उनमें आए इस बदलाव के दो कारण बताते हैं. पहला, 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी जेडीयू की खस्ताहाली और दूसरा बढ़ती उम्र. बिहार की सियासत में जो वीडियो गेम शुरू हुआ है, उसमें आरजेडी के साथ जेडीयू भी कदमताल कर रही है. नीतीश कुमार इस तरह की राजनीति के कभी पक्षधर नहीं रहे हैं.
बिहार की राजनीति में वीडियो गेम
वीडियो गेम अभी तक बच्चों को आकर्षित करता रहा है. अब सियासत में भी इसकी दखल हो गई है. बिहार में पिछले कई दिनों से वीडियो और फुटेज की गूंज सुनाई पड़ रही है. वीडियो की बतकही सबसे पहले आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव ने शुरू की. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को उन्होंने दो बार राजनीतिक जीवन दान दिया है. लालू यादव और उनके सामने नीतीश कुमार जब ‘गिड़गिड़ा’ रहे थे तो आरजेडी ने उनका साथ दिया. जेडीयू के सीनियर लीडर और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की. उन्होंने तेजस्वी को चुनौती दी कि इसका कोई साक्ष्य हो तो तेजस्वी को सार्वजनिक करना चाहिए. उसके बाद आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने शुक्रवार को एक वीडियो फुटेज जारी किया. आवाज तो उसमें स्पष्ट नहीं सुनाई दे रही, लेकिन बोलते समय नीतीश कुमार पूर्व सीएम राबड़ी देवी के अभिवादन की मुद्रा में दिख रहे हैं.
अब चौधरी ने तीन फुटेज दिखाए
अशोक चौधरी की चुनौती पर आरजेडी ने नीतीश कुमार के कथित रूप से ‘गिड़गिड़ाने’ का जब फुटेज जारी कर दिया तो जेडीयू ने उसका काउंटर किया. अशोक चौधरी ने शनिवार को तीन वीडियो फुटेज जारी करते हुए कहा कि तेजस्वी को आग्रह और गिड़गिड़ाने का शाब्दिक अर्थ मालूम नहीं है. चौधरी द्वारा जारी पहले वीडियो में लालू यादव कहते सुनाई दे रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में नीतीश की क्या भूमिका रही है. दूसरे में तेजस्वी नौकरी के बारे में कहते दिख रहे हैं. तीसरे वीडियो में लालू यादव यह कह रहे हैं कि सबसे पहले नीतीश जी को हमने फोन किया था. दोनों पक्षों के तीनों फुटेज से बहुत कुछ साफ नहीं हो रहा, जैसा दोनों ओर से दावा किया जा रहा है. यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ऐसे आरोपों का संज्ञान नहीं लेते. अगर अशोक चौधरी को उन्होंने इसकी इजाजत दे दी है तो यह उनके स्वाभाव में आए बदलाव का संकेत है. बीते जून में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक ही फ्लाइट से दिल्ली आ रहे थे.
CM ऐसी राजनीति से बचते रहे हैं
सीएम नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन में इस तरह की पॉलिटिक्स कभी नहीं दिखी. अब वे बात-बात पर तिलमिला जाते हैं. विधानसभा हो या सार्वजनिक मंच, उनके तेवर से पता चल जाता है कि वे गुस्से में हैं. कई ऐसे मौके आए हैं, जब विपक्ष ने उनकी तीखी आलोचना की है, पर वे बिना रिएक्ट किए चुपचाप अपना काम करते रहे हैं. सारण जिले में मिड डे मील खाकर जब कई बच्चों ने दम तोड़ दिया था, तब भी विपक्ष की आलोचनाओं पर नीतीश खामोश रहे. शराबबंदी के तुरंत बाद जब गोपालगंज में जहरीली शराब से मौतें हुईं, तब भी नीतीश ने विपक्ष की आलोचना झेली, लेकिन खामोश रहे. बाद में इसी तरह की सारण में मौतें हुईं तो नीतीश विपक्ष की आलोचना से तिलमिला गए थे. तब उन्होंने मानवीय भाव भूल कर साफ कह दिया कि जो पिएगा, वह मरेगा. ऐसी मौतों पर सरकार एक ढेला भी मुआवजा नहीं देगी. लालू यादव के पारिवारिक जीवन पर भी वे अब टिप्पणी करने से परहेज नहीं करते. लालू के कई बच्चे होने पर भी वे तंज कसते हैं. यह स्थिति 2020 से ही शुरू हुई है.
43 सीटें मिलने पर बदले तेवर
नीतीश की तिलमिलाहट की जड़ में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की बड़ी भूमिका है. 2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा नेता चिराग पासवान ने जब जेडीयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतार दिए, तभी से उनका चिड़चिड़ापन दिखने लगा. चिराग की वजह से जेडीयू को तीन दर्जन सीटों का नुकसान हुआ. जेडीयू को सिर्फ 43 सीटें मिलीं. इसके बाद से ही उनके अंदर गुस्से का भाव परवान चढ़ा. विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा से वे सदन में ही उलझ गए थे. तेजस्वी यादव पर भी उन्होंने सदन में गुस्सा उतारा. जीतन राम मांझी को विधानसभा में उन्होंने क्या-क्या नहीं सुना दिया था. गुस्से के कारण ही उन्होंने एनडीए से अलग होकर 2022 में आरजेडी से हाथ मिला लिया.
चिराग फिर नीतीश को बिदका रहे
चिराग पासवान फिर नीतीश कुमार को बिदकाने में लग गए हैं. वे अपनी पार्टी लोजपा (आर) के लिए विधानसभा की 40 सीटें मांग रहे हैं. मटिहानी और शेखपुरा में अपने उम्मीदवारों की घोषणा चिराग ने कर दी है. मटिहानी सीट से पिछली बार चिराग की पार्टी के एकमात्र उम्मीदवार की जीत हुई थी, जो बाद में जेडीयू में शामिल हो गए. शेखपुरा में चिराग की वजह से ही जेडीयू उम्मीदवार जीत नहीं पाया. चिराग के कैंडिडेट को 14 हजार वोट मिले, जबकि जेडीयू उम्मीदवार 6100 वोटों से हार गया. चिराग के पैंतरे से नीतीश की मुश्किल इस बार भी बढ़ती दिख रही है. पिछली बार की तरह इस बार भी एनडीए में चिराग ने बगावती तेवर अपनाए तो इससे अधिक नुकसान नीतीश को ही होगा. चिराग पासवान के अलावा जन सुराज के प्रशांत किशोर भी परेशानी का सबब बन रहे हैं. उनके निशाने पर तेजस्वी के साथ नीतीश कुमार भी हैं. नीतीश कुमार की बौखलाहट इसी से बढ़ी है. उन्हें अतीत की गलती भी साल रही है. उन्होंने पाल बदल नहीं किया होता तो बार-बार भाजपा नेताओं के सामने यह सफाई देने क नौबत नहीं आती कि वे अब कहीं नहीं जाएंगे.
Tags: CM Nitish Kumar, JDU news, RJD leader, Tejashwi YadavFIRST PUBLISHED : September 15, 2024, 18:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed