71 KM का हाईवे 50 करोड़ का घोटाला कई अधिकारियों पर गिरी गाज
71 KM का हाईवे 50 करोड़ का घोटाला कई अधिकारियों पर गिरी गाज
Bareilly News: 2020 में बरेली से सितारगंज हाईवे बनने की मंजूरी मिली थी. दरअसल, 71 km का यह हाईवे में 2 लेन का था, जिसे सरकार ने 4 लेन बनाने के लिए मंजूरी दी थी. अब हाईवे के इस प्रोजेक्ट में 50 करोड़ के घोटाले की खबर सामने आई है. इसमें कई बड़े-बड़े अधिकारियों के भी नाम सामने आ रहे हैं. आइए जानते हैं पूरा मामला.
बरेली: यूपी में हाईवे के निर्माण में बड़ा मामला सामने आया है. 2020 में बरेली, पीलीभीत, सितारगंज 71 km हाईवे की मंजूरी मिली थी. जिसको करीब 2900 करोड़ रुपये लागत से बनाया गया था. वहीं अब इस मे करीब 50 करोड़ का घोटाला सामने आया है. एनएचएआई के परियोजना निदेशक (पीडी) रहे बीपी पाठक औरपर्यवेक्षण की जिम्मेदारी संभालने वाले लखनऊ के क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ) संजीव कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया है. वहीं एनएचएआई के चेयरमैन संतोष यादव की बड़ी कार्रवाई के बाद ईओडब्ल्यू, एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) या स्टेट विजिलेंस से जांच कराने के लिए यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. इसकी जांच होने पर कई लेखपाल, कानूनगों, तहसीलदार, एसडीएम स्तर के अधिकारियों पर आंच आना तय है.
दरअसल 2020 में बरेली से पीलीभीत और उत्तराखंड की सीमा सितारगंज को जोड़ने वाला 71 km हाईवे दो लेन का था. इस हाइवे को 4 लेन करने की मंजूरी मिली. 2020 में मंजूरी मिलने के बाद नक्शे में कोई बुखण्ड नहीं था और 2021 में जमीन के अधिग्रहण के लिए अधिसूचना हो गई. 2022 में कई स्ट्रक्चर बना दिए गए. जिसके मुआवजे के लिए लेखपाल कानून को तहसीलदार और एसडीएम स्तर के अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद कारी स्ट्रक्चर पर 50 करोड़ रुपए की हेरा फेरी कर ली गई. जो स्ट्रक्चर नहीं बने हुए थे उन स्ट्रक्चर के ऊपर बिल्डिंग बनाकर रुपया दिला दिया गया. इस बात की जानकारी होने पर एनएचएआई के अध्यक्ष संतोष यादव को 15 जून को फर्जीवाड़े का शक होने पर मुख्यालय को जानकारी मिलने पर जांच कराई. 3 अगस्त को जांच कमेटी ने एनएचएआई के चेयरमैन को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी. जिसके बाद घोटाला सामने आया.
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हाईवे के भूमि अधिग्रहण घोटाले में बरेली, पीलीभीत और उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर के लेखपाल से लेकर एडीएम स्तर तक के 50 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी जांच के दायरे में हैं. जांच में सबसे ज्यादा बड़े 5 मामले पीलीभीत जिले के, एक मामला ऊधमसिंह नगर का. हालांकि बरेली का अभी कोई मामला सामने नहीं आया है. जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में 50 करोड़ के घोटाला सामने आने पर इस मामले में एनएचएआई के दो अधिकारी निलंबित हो चुके हैं. वहीं मूल्यांकन में फर्जीवाड़ा करने वाले किसी भी राजस्व अधिकारी कर्मचारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. मुख्य सचिव से मामले की जांच कराने होने पर कई औरों की गर्दन फंसना तय है.
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अब उन अधिकारियों के बारे में छानबीन हो सकती है, जिनके क्षेत्र में मूल्यांकन में फर्जीवाड़ा हुआ है. इस मामले में जांच होती है तो बरेली सदर और नवाबगंज, पीलीभीत जिले में पीलीभीत सदर और अमरिया, ऊधमसिंह नगर में सितारगंज तहसील के अभिलेख खंगाले जाएंगे. इन पांचों तहसीलों के उन 58 गांवों के लेखपाल, कानूनगो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार व विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी जांच के घेरे में आएंगे. एक लेखपाल पर एक से अधिक गांव का कार्यभार है. इसलिए 40 लेखपाल, 10 कानूनगो, 10 नायब तहसीलदार, पांच तहसीलदार और तीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी जांच के घेरे में आ गए है.
हाईवे में करीब 37 करोड़ और बरेली में बदायूं, दिल्ली रोड को मिलाने वाली 32 किमी लंबा प्रस्तावित रिंग रोड पर करीब 12 करोड़ का घोटाला हुआ है. वहीं news 18 की टीम जब एनएचएआई बरेली ऑफिस पहुंची तब प्रोजेक्ट ऑफिसर इसी घोटाले के संबंध में लखनऊ तलब किए गए हैं जबकि किसी अन्य अधिकारी ने बात करने से मना कर दिया.
Tags: Bareilly news, UP newsFIRST PUBLISHED : August 27, 2024, 19:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed