बरेली के चिराग ने 20500 फीट ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा ऐसे पूरा किया सफर
बरेली के चिराग ने 20500 फीट ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा ऐसे पूरा किया सफर
चिराग बताते हैं कि 14 लोगों में से 10 लोग ने बीच में ही हिम्मत छोड़ दी. लेकिन हम चार लोग किसी तरह से ऊपर तक पहुंच गए. जब शिखर की ऊंचाई 150 किलोमीटर रह गई, तो उस वक्त उतनी हिम्मत नहीं रह गई थी. क्योंकि वे केवल तीन लीटर पानी लेकर चले थे. उसमें से भी एक बोतल गिर गई.
विकल्प कुदेशिया/बरेली: बरेली रामपुर गार्डन के चिराग अग्रवाल ने काफी हिम्मत और बल से 20500 फीट ऊंची कांग यात्से चोटी पर तिरंगा फहरा दिया है. इस 90 किलोमीटर की यात्रा में उनके साथ देश और दुनिया के 14 लोग थे, जिसे सिर्फ चार लोग ही पूरा कर पाए. इनका शुरू से सपना रहा है कि वह एवरेस्ट पर तिरंगा फहराएंगे. 25 वर्ष के चिराग ने अपनी इंटर की पढ़ाई माधवराव संध्या स्कूल से पूरी की है. इसके अलावा केसीएमटी से बीकॉम करने के बाद सर्राफा कारोबार में लग गए.
वही उनके साथ उनके मामा अनिल जैन अमेरिका में रहते हैं. वो एक नामी पर्वतारोही हैं. उनसे प्रेरित होकर चिराग ने भी एक वर्ष पहले पर्वतारोहण के क्षेत्र में जाने का मन बना लिया. इसके लिए उन्होंने पहले से ही प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी. वहीं उन्होंने अपने सबसे पहले पर्वतारोहण की शुरुआत उत्तराखंड में 45 किलोमीटर लंबी केदारनाथ के ट्रैक को पूरा करके किया. इसे पूरा करने से उनके अंदर एक ज़ज्बा उमड़ आया.
इस सफलता को हासिल करने के बाद चिराग झुके नहीं. उन्होंने और ऊंची चढ़ाई चढ़ने का फैसला लिया. इसके लिए उन्हें 4 महीने पहले ही लद्दाख के कांग यात्से ट्रैक के बारे में पता चला. जिसके लिए उन्होंने तभी से ही तैयारी करना शुरू कर दी. इस ट्रैक को पूरा करने के लिए चिराग ने खान-पान में भी काफी बदलाव किया, जिसके लिए जिम करना शुरू किया. कई घंटे तक दौड़ने की प्रैक्टिस भी की. इसके अलावा कम ऑक्सीजन में सांसों पर संयम सीखा. बिना मोबाइल-नेट के रहने की आदत विकसित की. फिर इतनी प्रैक्टिस के बाद वे लद्दाख को रवाना हुए.
14 में से दस लोग लौटे वापस
स्वर्गीय राजीव अग्रवाल और अर्चना अग्रवाल के बेटे चिराग ने 22 जुलाई को अपना सफर शुरू किया. चार दिन में 45 किलोमीटर की ऊंचाई पूरी करने के बाद वह कैंप पहुंचे और फिर एक दिन आराम किया. जिसके बाद 26 जुलाई की रात दस बजे उन्होंने अपनी टीम के साथ ऊपर चढ़ाई करनी शुरू कर दी. चोटी की ऊंचाई 7 किलोमीटर करीब 1100 मीटर की कठिन ऊंचाई रह गई थी. तभी इस खतरनाक रास्ते पर आगे बढ़ पाना कठिन साबित हो रहा था. एक-एक करके टीम में 10 लोगों ने हार मान ली. किसी को सिर दर्द तो किसी को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. लेकिन शेरपा ऐसे लोगों को लेकर वापस लौटने लगे. उसके बाद भी चिराग और उनके साथियों ने हार नहीं मानी. वह लगातार आगे बढ़ते चले गए और फिर सुबह 10:30 बजे शिखर तक पहुंच गए थे.
150 मीटर पहले हार गए थे हिम्मत
चिराग बताते हैं कि 14 लोगों में से 10 लोग ने बीच में ही हिम्मत छोड़ दी. लेकिन हम चार लोग किसी तरह से ऊपर तक पहुंच गए. जब शिखर की ऊंचाई 150 किलोमिटर रह गई, तो उसे वक्त हमें भी उतनी हिम्मत नहीं रह गई थी. क्योंकि वे केवल तीन लीटर पानी लेकर चले थे. उसमें से भी एक बोतल गिर गई.
ऐसे में पानी खत्म होने की कगार पर था और दिमाग की नसें सुन्न होती जा रही थी. सांस गले में ही अटक जा रही थी. तूफानी हवा से मन विचलित हो रहा था. लगा कि अब ट्रैक पूरा नहीं हो पाएगा. जैसे तैसे करके हमने 10 मीटर की ऊंचाई को तय की. तभी शिखर ने फिर से हम लोगों में और ऊर्जा भर दी इसके बाद हम लोगों ने अपनी पूरी जान लगाकर शिखर तक पहुंच गए. इसके अलावा भी बताते हैं कि जब शिखर पर चढ़ाई कर ली उसके बाद खुशी और उल्लास के चलते हम अपने जज्बातों को काबू में नहीं कर पा रहे थे. फिर थोड़ा सा संयम रखा. हमने बैग से फटाफट तिरंगा निकाल कर शिखर पर लहराया. उन्होंने बताया कि उनके साथ आयरलैंड के एक युवक ने भी साथ यात्रा को पूर्ण किया. इसके अलावा हमारी टीम में दो-दो लोग यूएसए और यूके के और तीन यूएई के भी लोग शामिल थे.
Tags: Bareilly latest news, Local18, UP news, Uttar pradesh news todayFIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 16:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed