200 साल पुराना है मंदिर का इतिहाससंतान प्राप्ति के लिए भक्तों की लगती है भीड़
200 साल पुराना है मंदिर का इतिहाससंतान प्राप्ति के लिए भक्तों की लगती है भीड़
Sikotar mata mandir: बनासकांठा के वाव में सिकोतर माता का 200 साल पुराना मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है. यहां संतान सुख, धन-समृद्धि की कामना से भक्त आते हैं, और दिवाली पर विशेष पूजा-अर्चना होती है.
बनासकांठा: वाव पंथक में सिकोतर माता का धाम, जिसे “भांगर की सिकोतर माता” के नाम से भी जाना जाता है, बनासकांठा और आसपास के इलाकों में आस्था का बड़ा केंद्र बन गया है. हर साल नए साल के दौरान, दूर-दूर से लोग माता के दर्शन के लिए यहां आते हैं. इस मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना है, और यहां भक्तों को माता की कई कृपाएँ प्राप्त हुई हैं.
संकट के समय माता की कृपा
कई साल पहले बनासकांठा में सूखा पड़ा था. उस समय वाव गाँव के भांगर परिवार के दो बुजुर्ग, तेजा और पूजो, अपने पशुओं को चराने के लिए पाटण के चंद्रमाणा गांव गए थे. वहीं, सिकोतर माता ने उन पर अपनी कृपा दिखाई.
अपने गाँव में मंदिर की स्थापना
जब दोनों बुजुर्ग अपने गाँव वापस लौटे, तो माता ने उन्हें पुनः अपने चमत्कार दिखाए. इसके बाद तेजा और पूजो ने अपने गाँव के रबारीवास में सिकोतर माता का एक छोटा मंदिर बनवाया. धीरे-धीरे लोगों की आस्था माता के प्रति बढ़ने लगी, और समय के साथ यहां एक बड़े मंदिर का निर्माण किया गया.
पूजारी का कहना और भक्तों का आगमन
सिकोतर माता के इस मंदिर में पूजारी ठाकर्शीभाई भगवानभाई देसाई माता की पूजा-अर्चना करते हैं. ‘लोकल 18’ से बातचीत में उन्होंने बताया कि बनासकांठा और आसपास के कई इलाकों से लोग हर बीज के दिन और दिवाली पर नए साल के अवसर पर बड़ी संख्या में यहां दर्शन के लिए आते हैं.
नववर्ष के अवसर पर प्रार्थना
भक्त यहां आकर प्रार्थना करते हैं कि पूरा साल शुभ और सुखद बीते. साथ ही, इस मंदिर में बच्चे की प्राप्ति और व्यापार में तरक्की के लिए भी लोग मन्नत मांगते हैं. यहां की मान्यता है कि सिकोतर माता नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख प्रदान करती हैं, जिसके कारण महिलाएं हर बीज के दिन माता के दर्शन के लिए अवश्य आती हैं.
Tags: Dharma Aastha, Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : November 9, 2024, 11:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed