अब RSS में शामिल हो सकेंगे सरकारी कर्मचारी मोदी सरकार ने खत्म किया प्रतिबंध

वर्ष 1966 में कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसकी अवहेलना पर कर्मचारियों को कड़ी सजा देने तक का प्रावधान था. रिटायर होने के बाद पेंशन लाभ आदि को ध्यान में रखते हुए सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने से बचते थे.

अब RSS में शामिल हो सकेंगे सरकारी कर्मचारी मोदी सरकार ने खत्म किया प्रतिबंध
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगा प्रतिबंध अब हटा लिया गया है. गृह मंत्रालय की तरफ से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है. वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसका स्वागत किया है. कांग्रेस नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर आधिकारिक आदेश की कॉपी शेयर की है. वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी आदेश का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए कहा कि 58 साल पहले जारी एक ‘असंवैधानिक’ निर्देश को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने वापस ले लिया है. मालवीय ने कांग्रेस को घेरा अमित मालवीय ने ऑर्डर की कॉपी शेयर करते हुए लिखा, ‘मोदी सरकार ने 58 साल पहले यानी 1966 में सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर लगाया गया असंवैधानिक प्रतिबंध हटा दिया है. यह आदेश शुरू में ही पारित नहीं होना चाहिए था.’ The unconstitutional order issued 58 years ago, in 1966, imposing a ban on Govt employees taking part in the activities of the Rashtriya Swayamsevak Sangh has been withdrawn by the Modi Govt. The original order shouldn’t have been passed in the first place. The ban was imposed… pic.twitter.com/Gz0Yfmftrp — Amit Malviya (@amitmalviya) July 22, 2024

इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि ‘यह प्रतिबंध इसलिए लगाया गया था, क्योंकि 7 नवंबर 1966 को संसद में गौ हत्या के खिलाफ एक बहुत बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था. लाखों की संख्या में RSS-जनसंघ ने इसका समर्थन जुटाया था. पुलिस फायरिंग में कई लोग मारे गए थे.’ ’30 नवंबर 1966 को RSS-जनसंघ के प्रभाव से डरी हुई इंदिरा गांधी ने सरकारी कर्मचारियों के RSS में शामिल होने पर रोक लगा दी थी.’

जयराम रमेश बोले- प्रतिबंध का फैसला सही था
इससे पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की तरफ से 9 जुलाई को जारी एक ऑफिस मेमो शेयर किया, जो आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी से जुड़ा है. ऑर्डर की तस्वीर के साथ पोस्ट में रमेश ने कहा, ‘फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया. इसके बाद भी आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया.’

इसके साथ ही उन्होंने पोस्ट में कहा, ‘1966 में आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था और यह सही निर्णय भी था. यह 1966 में प्रतिबंध लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है.’

बता दें कि केंद्र सरकार ने 1966, 1970 और 1980 में तत्कालीन सरकारों द्वारा जारी उन आदेशों में संशोधन किया गया है, जिनमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं और उसकी अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाया गया था. आरोप है कि पूर्व की कांग्रेस सरकारों ने सरकारी कर्मचारियों के संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक लगा दी थी. आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर कर्मचारियों को कड़ी सजा देने तक का प्रावधान लागू किया गया था. रिटायर होने के बाद पेंशन लाभ आदि को ध्यान में रखते हुए सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने से बचते थे.

हालांकि, इस बीच मध्यप्रदेश सहित कई राज्य सरकारों ने इस आदेश को निरस्त कर दिया था, लेकिन इसके बाद भी केंद्र सरकार के स्तर पर यह वैध बना हुआ था. इस मामले में एक वाद इंदौर की अदालत में चल रहा था, जिस पर अदालत ने केंद्र सरकार से सफाई मांगी थी. इसी पर कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए उक्त प्रतिबंधों को समाप्त करने की घोषणा की. (भाषा और IANS इनपुट के साथ)

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