इस प्रोफेसर ने बचपन से देखा बहुत संघर्षमेहनत कर ऐसे हासिल की सफलता
इस प्रोफेसर ने बचपन से देखा बहुत संघर्षमेहनत कर ऐसे हासिल की सफलता
Inspiring Story: कुछ कहानियां जुनून से भर देती हैं. यूपी के एक ऐसे ही प्रोफेसर की कहानी आज हम आपके लिए लेकर आए हैं. उनकी जर्नी जान आप तारीफ जरूर करेंगे.
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: कहते हैं अगर कुछ कर जाने का जज्बा और हिम्मत हो तो आराम से जीत हासिल की जा सकती. कुछ ऐसी ही कहानी है जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर प्रमोद शंकर पाण्डेय की. उन्होंने सफलता पाने के लिए क्या कुछ नहीं किया. दूर-दूर तक पैदल चलकर पढ़ाई किया. इसी दौरान तबीयत ऐसी खराब हुई कि घर वालों ने जीने की उम्मीद तक छोड़ दी थी, लेकिन अंत में जान बच गई. फिर इसी जोश और जुनून के साथ काम कर उन्होंने सफलता हासिल कर ली.
इंस्पायरिंग है इस प्रोफेसर की कहानी
एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत प्रमोद शंकर पाण्डेय ने बताया कि उन्हें सफलता बड़े लंबे परिश्रम और संघर्ष के बाद मिली. शुरुआती पढ़ाई गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुई. उनके पास सुविधाएं नहीं थी, इसी वजह से स्कूल पैदल जाया करते थे.
कभी नहीं हारी हिम्मत
कोचिंग पढ़ने के लिए इंटरमीडिएट के बाद NDA (National Defence Academy) का उन्होंने इंटरव्यू दिया, लेकिन सिलेक्शन नहीं हो पाया. यह लगातार दो बार की असफलता बड़ी मायूसी और निराशा का कारण बनी. लेकिन फिर भी हिम्मत न हारते हुए वो आगे प्रयास करते रहे. ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने सिविल की तैयारी की. जब सिलेक्शन के करीब पहुंचे तब तक बहुत बुरी स्थिति में बीमार पड़ गए.
घर वालों ने छोड़ दी थी उम्मीद
प्रोफेसर प्रमोद शंकर पांडेय ने आगे कहा कि 1 साल तक उनकी तबीयत इतनी खराब रही कि घर वालों ने जीने की उम्मीद छोड़ दी थी. इस बात को लोकल 18 से बताते वक्त प्रो. प्रमोद शंकर पांडेय की आंखे भर आई. अंत में तबीयत ठीक होने के बाद उन्होंने BHU से पीएचडी की. PHD करने के बाद 10 सालों तक प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाया. इससे परिवार का खर्च कम पढ़ने पर उन्होंने साइंस के सब्जेक्ट की कोचिंग लेनी शुरू कर दी.
ऐसे मिली कामयाबी…
अंत में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया में उनका रेगुलर फैकल्टी के रूप में सिलेक्शन हो गया. अब वो जेएनसीयू के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं.
Tags: Inspiring story, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 08:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed