इस स्वयं सहायता समूह ने महिलाओं की बदली किस्मत राखी बना कमाई का जरिया

समूह संचालक उमा ने बताया कि समूह की शुरुआत 5 वर्ष पूर्व की थी. सरकार से मदद मिलने के बाद इस समूह से करीब 80 महिलाएं जुड़ चुकी है. दिल्ली से पहले कच्चा माल लाया जाता है. उसके बाद यहां लाकर समूह की महिलाएं राखी तैयार करती है. यहां 15 प्रकार की राखियां तैयार की जा रही है. महिलाएं सालाना एक से डेढ़ लाख कमा लेती है. 

इस स्वयं सहायता समूह ने महिलाओं की बदली किस्मत राखी बना कमाई का जरिया
बागपत. बागपत में गणेश स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आकर्षक राखियां बनाकर अच्छा मुनाफा कमा रही है. इस समूह से जुड़कर 80 महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं. हाथसे बनी राखियों का मार्केट में जबरदस्त डिमांड है. राखी बनाने वाली इन महिलाओं को भी इससे मुनाफा कमाने का अवसर मिल रहा है. पांच वर्ष पूर्व इस समूह की हुई थी शुरूआत समूह संचालक उमा ने बताया कि समूह की शुरुआत 5 वर्ष पूर्व की थी. हालांकि शुरुआत में इस समूह से केवल चार महिलाएं ही जुड़ी थी. धीरे-धीरे समूह का दायरा बढ़ने लगा और महिलाएं इससे जुड़ने लगी.  सरकार से मदद मिलने के बाद इस समूह से करीब 80 महिलाएं जुड़ चुकी है. ये महिलाएं इस समूह से जुड़कर ना सिर्फ आत्मनिर्भर बनी है बल्कि बेहतर मुनाफा भी कमा रही है. यहां महिलाएं समूह में राखियां बनाती है. हाथ से बने इन राखियों की डिमांड भी अधिक है. रक्षाबंधन से पूर्व मार्केट में  राखियों की काफी मांग बढ़ जाती है. सालाना डेढ़ लाख तक मुनाफा कमा लेती है महिलाएं रक्षाबंधन पर्व को आने के पहले से राखी बनाने का काम शुरू हो जाता है. जिससे महिलाओं को सालाना अच्छा मुनाफा होता है और प्रत्येक महिला सालाना करीब एक से डेढ़ लाख रुपए कमा लेती है. गणेश स्वयं सहायता समूह से लगातार महिलाएं जुड़ रही है. समूह संचालक उमा ने बताया कि दिल्ली से पहले कच्चा माल लाया जाता है. उसके बाद यहां लाकर समूह की महिलाएं राखी तैयार करती है. यहां 15 प्रकार की राखियां तैयार की जा रही है. आकर्षक मोतियों की माला को लोग काफी पसंद करते हैं, जिसे अत्यधिक बनाया जाता है. Tags: Baghpat news, Local18, Rakshabandhan festival, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 18:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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