Vindhyabasini Devi: कौन थीं विंध्यवासिनी देवी जिनकी परंपरा को शारदा सिन्हा ने

Vindyavasini Devi: प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं हैं. उन्होंने बिहार की पहली स्वर कोकिला विंध्यवासिनी देवी की परंपरा को आगे बढ़ाया. शारदा सिन्हा से काफी पहले विंध्यवासिनी देवी ने छठ गीतों की ख्याति दिलाई.

Vindhyabasini Devi: कौन थीं विंध्यवासिनी देवी जिनकी परंपरा को शारदा सिन्हा ने
लोकप्रिय गायिका शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं हैं. मंगलवार को पटना में उनका अंतिम संस्कार होगा. शारदा सिन्हा की पहचान उनकी गायिकी के साथ छठ के गीतों के लिए है. छठ पर्व के वक्त ही उनका निधन हुआ है. शारदा सिन्हा को गायिकी की दुनिया में खास मुकाम हासिल करने के साथ विंध्यवासिनी देवी की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए भी याद किया जाएगा. शारदा सिन्हा से पहले विंध्यवासिनी देवी को बिहार कोकिला कहा जाता था. उन्होंने बिहार की तमाम लोकगीतों को अपनी आवाज दी बल्कि उनका संकलन भी किया. उनका जन्म 5 मार्च 1920 को हुआ था. उनके पिता का नाम जगत बहादुर था. folkartopedia.com की एक रिपोर्ट के मुताबिक जन्म के वक्त ही विंध्यवासिनी की मां का निधन हो गया था. उनका लालन-पालन उनकी नानी के घर हुआ. वह केवल सात वर्ष की उम्र में लोक गीत गायन में सिद्ध हासिल कर चुकी थीं. उस वक्त देश में बाल विवाह का चलन था और केवल 11 वर्ष की उम्र में विंध्यवासिनी का विवाह सहदेश्वर चंद्र वर्मा से हो गया. वर्मा पारसी थियेटर में संगीत निर्देशक थे. ऐसे में उनको ससुराल में भी संगीत का माहौल मिला. विंध्यवासिनी देवी ने विधिवत संगीत की खूब पढ़ाई भी की. पटना में हिंदी विद्या पीठ, प्रयाग से विशारद और देवघर से साहित्य भूषण की उपाधि हासिल की. उन्होंने मगही, मैथिली और भोजपुरी में कई गीतों को अपनी आवाज दी. विंध्यवासिनी द्वारा रचित संगीत रूपक मानव की ख्याति के बाद उनको सीधे पटना आकाशवाणी में नियुक्त कर लिया गया. वह पटना में लोकसंगीत की संयोजक थीं. उन्होंने 1974 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. बिहार और देश के एक सबसे ख्याति प्राप्त हिंदी उपन्यासकार फणीश्वरनाथ रेणू के चर्चित उपन्यास मैला आंचल पर डागडर बाबू नाम से एक फिल्म बनी थी. इस फिल्म के लिए विंध्यवासिनी देवी ने आरडी बर्मन के निर्देशन में दो गीत भी लिखे. इसके साथ ही भूपेन हाजरिका द्वार छठी मैया को लेकर लिखे दो गीतों को विंध्यवासिनी देवी ने अपनी आवाज दी. शारदा सिन्हा ने विंध्यवासिनी देवी की परंपरा को आगे बढ़ाया. उन्होंने उनकी कई अन्य गीतों को अपनी आवाज दी. वर्ष 2006 में करीब 84 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. वह पटना के विंध्य कला मंदिर की संस्थापक थीं. यह संस्था लोक संगीत को बढ़ावा देने के लिए काम करता है. Tags: Bihar News, Folk SingerFIRST PUBLISHED : November 6, 2024, 08:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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