IAS-IPS या IFSनीतीश का हमसफर नहीं बन सका कोई अफसर क्या मनीष की गलेगी दाल

बिहार के सीएम नीतीश कुमार के राजनीतिक वारिस को लेकर अटकलों का बाजार एक बार फिर से गर्म हो गया है. जेडीयू में शामिल सातवें ब्यूरोक्रेट मनीष वर्मा के बारे में कहा जा रहा है कि वह नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी बन सकते हैं. वर्मा से पहले जेडीयू में आए आरसीपी सिंह, पवन वर्मा, गुप्तेश्वर पांडेय और केपी रमैया जैसे कई पूर्व आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी के बारे में जान लें.

IAS-IPS या IFSनीतीश का हमसफर नहीं बन सका कोई अफसर क्या मनीष की गलेगी दाल
नई दिल्ली. बिहार के सीएम नीतीश कुमार के राजनीतिक वारिस को लेकर अटकलों का बाजार एक बार फिर से गर्म हो गया है. पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा के बारे में कहा जा रहा है कि वह नीतीश कुमार का राजनीतिक उत्तराधिकारी बन सकते हैं. मंगलवार को ही वर्मा ने जेडीयू ज्वाइन किया है. पटना और पूर्णियां का डीएम रह चुके मनीष वर्मा सीएम नीतीश कुमार के काफी नजदीकी हैं. मनीष वर्मा ने 40 की उम्र में कलेक्टरी छोड़ दी थी और अब 50 की उम्र में राजनीति में आ गए हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि नीतीश कुमार की बढ़ती उम्र, वर्मा से नजदीकी रिश्ता और एक ही जाति का होना क्या मनीष वर्मा के लिए वरदान साबित होगा? या फिर वर्मा का भी हस्र आरसीपी, पवन वर्मा, गुप्तेश्वर पांडेय और केपी रमैया जैसे आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी जैसा ही होगा? जानकारों की मानें तो पार्टी में कई पूर्व आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों का जेडीयू में आने के बाद उनका राजनीतिक करियर खत्म हो गया. मनीष वर्मा जेडीयू से जुड़ने वाले सातवें ब्यूरोक्रेट हैं. इस फेहरिस्त में सबसे पहला नाम जुड़ा था देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आर्थिक सलाहकार एन के सिंह का. नीतीश कुमार के शुरुआती कार्यकाल में एन के सिंह को अक्सर नीतीश कुमार के साथ देखा जाता था और बिहार की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में अहम रोल अदा किया था. हालांकि, नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर कभी भी सिंह का नाम नहीं आया. लेकिन, उनकी राय नीतीश कुमार के लिए अहम हुआ करती थी. पवन वर्मा भी हुआ करते थे नीतीश के भरोसेमंद इसी तरह पूर्व आईएफएस अधिकारी पवन वर्मा का कद भी पार्टी में किसी समय में बड़ा हुआ करता था. लेकिन, 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान जेडीयू और बीजेपी के एक साथ चुनाव लड़ने पर उन्होंने नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखकर आलोचना कर दी. नीतीश कुमार नाराज हो गए. इसके बाद से पवन वर्मा हाशिये पर चले गए. इसी तरह आंध्र प्रदेश के रहने वाले बिहार कैडर के एक और आईएएस अधिकारी केपी रमैया का भी हुआ. रमैया ने 10 साल पहले वीआरएस लेकर जेडीयू ज्वाइन किया, लेकिन राज्यसभा नहीं भेजे जाने के कारण वह पार्टी के हर गतिविधि से गायब हो गए. इन पूर्व अधिकारियों का साथ छूट गया बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय भी 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वीआरएस लेकर नीतीश कुमार की मौजूदगी में पार्टी ज्वाइन किया था, लेकिन बक्सर सीट से लोकसभा प्रत्याशी नहीं बनाए जाने पर पांडेय जी का राजनीति से ऐसा मोह भंग हुआ कि अब कथावाचक बनकर प्रवचन दे रहे हैं. इस अधिकारी का साथ अभी भी नीतीश के साथ बिहार कैडर के एक और पूर्व आईपीएस अधिकारी सुनील कुमार का अभी भी पार्टी में बड़ा कद है. सुनील कुमार साल 2019 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी के साथ जुड़े थे. पार्टी ने विधानसभा का टिकट दिया और जीतने पर मंत्री भी बन गए. सुनील कुमार की भी नीतीश कुमार की जाति कुर्मी वर्ग से आते हैं. सुनील कुमार इस समय बिहार के शिक्षा मंत्री हैं. PF का पैसा कंपनी जमा न कराए तो कहां और कैसे करें शिकायत? क्या स्पाइसजेट के 12 हजार कर्मचारियों के पैसे ‘डूब’ गए? नीतीश कुमार के राजनीतिक उत्तराधिकारी के लिए सबसे ज्यादा और सबसे लंबे समय तक चर्चा में रहने वाले रामचंद्र प्रसाद सिंह थे. इन्हें लोग आरसीपी के नाम से भी जानते हैं. यूपी कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी आरसीपी सिंह अटल सरकार में नीतीश कुमार के रेल मंत्री रहते उनके प्राइवेट सेक्रेटरी थे. नीतीश कुमार से नजदीकी इतनी बढ़ी कि पार्टी ज्वाइन कर लिया और आगे चलकर जेडीयू अध्यक्ष बने और फिर मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री तक पहुंच गए. लेकिन, मोदी सरकार 2-0 में बीजेपी से ज्यादा करीबी रखने का खामियाजा उनको उठाना पड़ा. राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने पर पार्टी ने राज्यसभा प्रत्याशी नहीं बनाया, जिससे उनका मंत्री पद चला गया. बाद में जेडीयू से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर लिया. लेकिन, नीतीश कुमार के एक बार फिर से बीजेपी के साथ आने के बाद भी उनका राजनीतिक करियर पटरी पर नहीं लौट पाया है. जेडीयू का सरताज बनने के लिए कितना काबिल हैं मनीष वर्मा? बिहार की राजनीति को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, ‘देखिए मुझे जानकारी मिली है कि बीते लोकसभा चुनाव में भी मनीष वर्मा ने ही प्रत्याशियों के चयन से लेकर प्रचार तक में अहम भूमिका निभाई थी. आरसीपी सिंह के जाने के बाद नीतीश कुमार के बाद कुर्मी जाति में कोई ऐसा बड़ा चेहरा नजर नहीं आया, जिसका मास इंपेक्ट हो. लेकिन, मनीष वर्मा के आने के बाद ऐसा लग रहा है कि उन्हें जल्द ही संगठन में बड़ा पद दिया जाएगा. आने वाले समय में अगर सबकुछ ठीक रहा तो वर्मा पार्टी के अध्यक्ष से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री तक बन सकते हैं. क्योंकि कुर्मी वोट बिहार में निर्णायक साबित होता है और अभी नीतीश कुमार का इस पर एकाधिकार है.’ Tags: Chief Minister Nitish Kumar, IAS Officer, IPS Officer, JDU nitish kumarFIRST PUBLISHED : July 10, 2024, 18:34 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed