नीतीश राज में शराबबंदी फेल तो मरने वालों के घरवाले जिम्मेदार कैसे DM का
नीतीश राज में शराबबंदी फेल तो मरने वालों के घरवाले जिम्मेदार कैसे DM का
बिहार में जहरीली शराब से हो रही मौतों को लेकर बवाल मचा हुआ है. सीएम नीतीश कुमार पर विपक्षी पार्टियों ने चौतरफा हमला शुरू कर दिया है. वहीं, जिले के डीएम-एसपी शराब से हो रही मौतों का आंकड़ा देने में कलाबाजी तो करते ही हैं ऊपर से मरने वाले के परिवारों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा देते हैं. पढ़ें यह रिपोर्ट
पटना. बिहार में जहरीली शराब से हो रही मौतों को आंकड़ा लगातार बढ़ता ही चला जा रहा है. सीवान और सारण के कई गांवों में बीते 72 घंटे में 40 लोगों की जान चली गई हैं. बिहार में बीते 8 सालों से पूर्ण शराबबंदी है और ये आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि नीतीश कुमार का पूर्ण शराबबंदी अब पूरी तरह से फेल हो चुका है. दूसरी तरफ, जिले के डीएम-एसपी बेतुका बयान दे रहे हैं. राज्य के डीएम-एसपी एक तो जहरीली शराब से हो रही मौतों का आंकड़ा छुपाते हैं और दूसरी तरफ मरने वालों के परिवारों को मौत के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं. छपरा के डीएम अमन समीर का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें मरने वाले परिवारों को मुआवजा देने के नाम पर वह नियम-कायदा समझा रहे हैं.
सारण का ये पहला मामला नहीं है, जब सरकारी तंत्र शराब से हो रही मौतों को लेकर परिवार वाले को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. पहले भी इस तरह के आरोप डीएम और एसपी पर लगते रहे हैं. बिहार के तकरीबन हर जिले के डीएम और एसपी की आदत हो गई है कि शराब से हो रही मौतों का आंकड़ा छुपाकर या मौत को दूसरा रंग देकर आंकड़ा पेश कर देना.
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शराबबंदी लागू फिर कैसे मिल रही शराब की बोतलें?
सारण में यह पहला मामला नहीं है, इसके पहले भी यहां दो साल पहले ऐसे ही घटना घटी थी. लेकिन, जिले के डीएम और एसपी इस पर सख्ती करने के बजाए लोगों को ही धमका रहे हैं. सीवान और सारण के कई गांवों में मौत का आंकड़ा अब भी बढ़ रहा है. कई लोगों के शव का अंतिम संस्कार हो चुका है. करीब 60 से ज्यादा लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है. सात लोगों की आंखों की रोशनी चली गई हैं.
अब तक शराबबंदी से कितने मौतें?
आपको बता दें कि बिहार में 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है. इस दिन से राज्य में शराब की खरीद-बिक्री, उत्पादन, सेवन और आने-जाने ले जाने तक सभी तरह से रोक है. बिहार में अगर शराब पीते और बेचते पकड़े जाने पर बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम 2016 के तहत कार्रवाई होती चली आ रही है. पहले तो इस अधिनियम के तहत थाने से बेल नहीं मिलता था, लेकिन अब इसमें कुछ रियायत दी गई है. अब शराबबंदी कानून में संशोधन के बाद पहली बार शराब पीकर पकड़े जाने पर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है.
पहले क्या मिलती थी सजा, अब क्या मिलेगी सजा?
अगर जुर्माना नहीं भरा जाता है तो आरोपी को एक महीने की जेल हो सकती है. लेकिन, अगर कोई शख्स बार-बार शराब पीकर पकड़े जाता है तो पुलिस सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई कर जेल भेज सकती है. इसके साथ ही अवैध रूप से शराब का कारोबार करने वाले और सिंडिकेट चलाने वाले लोगों पर भी पुलिस सख्ती करती है. यहां तक की संपत्ति तक जब्त कर ली जाती है.
अगर सरकारी आंकड़ें की मानें तो बिहार में शराबबंदी के बाद से डेढ़ लाख से अधिक वाहन थानों में जब्त किए गए हैं. बिहार में शराबबंदी के बाद से अब तक तकरबीन पांच लाख से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं. अब करीब ढाई करोड़ लीटर अवैध शराब जब्त हुई है और तकरीबन साढ़े छह लाख से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
Tags: Bihar Liquor Smuggling, Bihar News, CM Nitish Kumar, Saran NewsFIRST PUBLISHED : October 18, 2024, 08:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed