डीपी ओझा की उस रिपोर्ट में क्या था जिसमें मो शहाबुद्दीन पर बड़े खलासे हुए थे
डीपी ओझा की उस रिपोर्ट में क्या था जिसमें मो शहाबुद्दीन पर बड़े खलासे हुए थे
Formar DGP DP Ojha: वर्ष 2003 में तत्कालीन राबड़ी देवी सरकार ने तत्कालीन डीजीपी डीपी ओझा को उनके पद से हटकर डब्ल्यू एच खान को बिहार पुलिस की कमान सौंप दी थी. इसके बाद डीपी ओझा ने आईपीएस की नौकरी ही छोड़ दी.1967 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे डीपी ओझा की उस 82 पन्ने की खुफिया रिपोर्ट की खूब चर्चा होती है जिसने मोहम्मद शहाबुद्दीन के आतंकियों से संबंध को एक्सपोज कर दिया था. इसके बाद लालू यादव पर भी सवाल उठने लगे थे.
हाइलाइट्स तत्कालीन डीजीपी डीपी ओझा की 82 पन्नों वाली खुफिया रिपोर्ट से मचा था हड़कंप. मोहम्मद शहाबुद्दीन के कश्मीर के आतंकियों से कनेक्शन का किया गया था खुलासा. संरक्षण देने को लेकर लालू यादव पर उठे थे सवाल, कठघरे में थी राबड़ी देवी सरकार.
पटना. बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक डीपी ओझा का शुक्रवार (6 दिसंबर) को निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन पर बिहार के नेताओं और अधिकारियों ने शोक जताया है. डीपी ओझा ने अपने कार्यों से पुलिस महकमे में बड़ी छाप छोड़ी थी और खूब नाम कमाया था. दरअसल, डीपी ओझा की पहचान एक ऐसे अफसर के तौर पर थी जो बेबाक थे, निडर थे और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने राजनीति और अपराध के गठजोड़ को एक्सपोज किया था और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाये थे. इसी कड़ी में अक्सर चर्चा होती है उनकी 82 पन्नों वाली उस गोपनीय रिपोर्ट की जिसने बिहार की सियासत को हिला दिया था. बिहार के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के कश्मीर के आतंकवादियों और पाकिस्तान मेड एके 47 राइफल कनेक्शन को जहां एक्सपोज किया था, वहीं लालू यादव और राबड़ी देवी की सरकार में उनको मिलता सरकारी संरक्षण को लेकर बवाल हो गया था. उनकी इस साहसी रिपोर्ट के कारण जब बिहार की राजनीति गर्म हुई तो उन्हें डीजीपी पद भी गंवाना पड़ा, और उन्होंने समय से पहले रिटायरमेंट ले ली. आइये जानते हैं कि इस रिपोर्ट में क्या था.
बता दें कि वर्ष 1 फरवरी 2003 को डीपी ओझा बिहार के पुलिस महानिदेशक बनाये गए थे. लालू प्रसाद यादव की सहमति के बाद उन्हें यह पद दिया गया था, लेकिन डीपी ओझा ने डीजीपी बनने के साथ ही तत्कालीन बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन पर ही शिकंजा कसना शुरू कर दिया था. तब भाकपा माले कार्यकर्ता मुन्ना चौधरी के अपहरण और हत्या मामले में शहाबुद्दीन के खिलाफ वारंट जारी हुआ था और उन्हें अदालत में आत्म समर्पण करना पड़ा था. शहाबुद्दीन के आत्म समर्पण करते ही बिहार राज्य की राजनीति अचानक गर्म हो गई थी और मामला आगे बढ़ा तो राज्य सरकार ने डीपी ओझा को डीजीपी पद से ही हटा दिया था.
डीपी ओझा की गोपनीय रिपोर्ट ने हिला दी थी राबड़ी देवी की सरकार
दरअसल, तत्कालीन डीजीपी डीपी ओझा ने 2003 में 82 पन्नों की एक गोपनीय रिपोर्ट दी थी जिसमें बड़े खुलासे किए गए थे. इसमें उन्होंने बताया था कि वर्तमान में यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने वर्ष 2003 से पहले ही शहाबुद्दीन से कई एके 47 राइफलें खरीदी थीं. रिपोर्ट में यह बताया था कि अजय राय का संबंध शहाबुद्दीन से था और शहाबुद्दीन को यह एक 47 राइफल कश्मीर के आतंकियों से मिले थे. ये राइफल सेब के ट्रकों में छुपा कर ले जाये जाते थे. इनमें से 8-10 शहाबुद्दीन ने अपने पास रख लिए और बाकी अजय राय और रांची के गैंगस्टर अनिल शर्मा को बेच दिए थे. तब अजय राय ने इस बात को बेबुनियाद बताया था. वर्ष 2003 में तत्कालीन डीजीपी डीपी ओझा ने मो. शराबुद्दीन पर पहली बार शिकंजा कसा था.
मो. शहाबुद्दीन के खिलाफ डीपी ओझा ने पहली बार कसा था शिकंजा
दरअसल, डीपी ओझा ही तब पहले पुलिस अधिकारी थे जिन्होंने बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी. उस समय बिहार में राबड़ी देवी की सरकार थी और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी. डीपी ओझा की रिपोर्ट फाइलों में पड़ी धूल खाती रही, लेकिन शहाबुद्दीन पर कोई एक्शन नहीं लिया गया. पूर्व डीजीपी ने इस रिपोर्ट पर भारत सरकार उत्तर प्रदेश सरकार और बिहार सरकार को कार्रवाई करनी थी. उन्होंने एक ही 47 मामले में सीबीआई जांच की भी मांग की थी.
खुलासे के बाद राबड़ी देवी की सरकार ने डीपी ओझा को पद से हटा दिया
इस मामले में डीजीपी ने कहा था कि उन्होंने पूरे सबूत और जांच के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की थी. बकौल डीपी ओझा जब केंद्र सरकार को यह रिपोर्ट मिली तो इस पर केंद्र सरकार और बिहार सरकार में विवाद हुआ था. विवाद होने पर राबड़ी सरकार ने डीपी ओझा को डीजीपी के पद से हटा दिया था. सरकार के इस फैसले के विरोध में डीजीपी ने वोलंटरी रिटायरमेंट ले ली थी. गौरतलब है कि उन्होंने अगस्त 2003 में यह रिपोर्ट दी थी और 5 महीने के बाद ही दिसंबर में उन्हें पुलिस प्रमुख पद से हटा दिया गया था. डीपी ओझा ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया था कि आखिर शहाबुद्दीन और अजय राय के संबंध का कैसे पता चला था. लालू यादव और राबड़ी देवी शासन काल में मोहम्मद शराबुद्दीन पर कार्रवाई कल्पना से परे बात थी.
शहाबुद्दीन के कश्मीर के आतंकियों से संबंध के खुलासे से मचा था हड़कंप
डीपी ओझा ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कश्मीर के कुछ आतंकी दिल्ली में पकड़े गए थे. पूछताछ में आतंकियों ने ही इस बात का खुलासा किया था. उन आतंकियों के बयान कोर्ट में भी दर्ज किए गए थे. रॉ, इंटेलिजेंस और आईबी की रिपोर्ट के साथ उनके बयानों का मिलान किया गया था. इतनी प्रक्रिया के बाद डीपी ओझा ने अपनी रिपोर्ट तैयार की थी. वर्ष 2014 में डीपी ओझा ने दावा किया था कि उन्होंने जो बातें लिखी थी सबका काफी प्रमाण था. डीपी ओझा ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया था कि शहाबुद्दीन का यूपी के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी और नेपाल के बाहुबली सांसद युनुस अंसारी से भी संबंध रहा था.
Tags: Bihar latest news, Bihar police, Mohammad shahabuddinFIRST PUBLISHED : December 7, 2024, 11:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed