ये कैसी भाषा CM की यात्रा को आंख सेंकना बता रहे लालू प्रसाद यादव

लालू प्रसाद यादव कभी चरवाहा विद्यालय के जाने जाते रहे. उस दौर में उनके भदेस बयान लोगों को गुदगुदाते थे. लेकिन अभी उन्होंने कह दिया कि नीतीश कुमार महिला संवाद यात्रा के जरिए आंख सेंकने जा रहे हैं. उम्र के इस पड़ाव पर लालू का ये बयान सभी को हैरान करने वाला.

ये कैसी भाषा CM की यात्रा को आंख सेंकना बता रहे लालू प्रसाद यादव
लालू प्रसाद यादव की बातें एक समय लोगों को गुदगुदाती थीं. तब वे पिछड़ों- दलितो में चेतना भरने का काम कर रहे थे. नेशनल मीडिया में उनके बयान पर लोग हंसते थे. लेकिन थोड़े ही समय में उन्होंने जिस शब्दावली का इस्तेमाल शुरु कर दिया, वो चुभने लगी.इस बार उनके निशाने पर आए हैं, कभी उन्ही के नजदीकी रहे नीतीश कुमार. लालू ने उनकी महिला संवाद यात्रा को आंख सेंकने वाला कहा है. सीएम के साथ महिलाओं की मर्यादा का खयाल नहीं आंख सेंकना एक ऐसा मुहावरा है जिसे कम से कम राजनीतिक बयानबाजी में इस्तेमाल करने को सही नहीं ठहराया जा सकता. वो भी किसी राज्य के मुख्यमंत्री के लिए. एक वक्त में लालू और नीतीश बहुत करीबी रहे हैं. लेकिन अब दोनों के बीच छत्तीस का आँकड़ा है. फिर भी मुख्यमंत्री की मर्यादा का ध्यान रखना सभी के लिए लाजिमी है. यहां तो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार के साथ महिलाओं के सम्मान की भी अवहेलना की. मुख्यमंत्री से संवाद करने वाली महिलाओं में जरुरतमंद महिलाओं की तादात भी कम नहीं है. उनके सम्मान का भी खयाल करते हुए लालू को बोलने से पहले सोचना चाहिए था. बयानबाजी की भाषा ठीक होना जरुरी लालू प्रसाद यादव के पहले के बयानों को देखा जाय तो उसका कोई मकसद होता था. कभी वे अपने मतदाताओं को रिझाते नजर आते थे तो कभी नेशनल मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए बोलते थे. रैली को रैला कहना उनका ऐसा ही बयान था. लेकिन जब उन्होंने लाठी को तेल पिलाई जैसे जुमले इस्तेमाल किए तो भदेस होते हुए भी उनकी ये बात बहुत पसंद नहीं आई. भदेस भाषा हो लेकिन सयंम रखना जरुरी संसद में उन्होंने कई बार ऐसे जुमलों का इस्तेमाल किया जो ठेंठ भोजपुरी या बिहार की दूसरी बोलियों के थे. उन्हें बड़े मंच पर प्रयोग किया जाता देख सुन लोगों बहुत से लोगों के होठों के कोने फैल जाते थे. लेकिन भदेस भाषा में भी मर्यादा तोड़ देना सही नहीं ठहराया जा सकता. देखा गया है कि पार्टी की चोटी के नेता की भाषा ही उसके कार्यकर्ताओं की भाषा तय करती है. नेता जिस भाषा का प्रयोग करता है कार्यकर्ता भी वैसी ही भाषा बोलते हैं. RJD MLA की भाषा सुनी ही होगी ! इसका ताजा नतीजा किशनगंज में भी देखने को मिला. जिले में तैनात एक महिला सीओ ने बालू माफिया पर छापा मारा तो उसके साथ अभद्रता की गई. इस बारे में चर्चा होने पर आरजेडी समर्थित गांव के मुखिया से लेकर आरजेडी विधायक तक ने कहा- “मैडम तो दुपट्टा ओढ़ती ही नहीं फिर उनका दुपट्टा कैसे खीचा गया.” किसी महिला के अपमान पर खेद जताने की जगह आरजेडी विधायक तक ये भाषा बोल रहा है तो ये चिंता और खेद का विषय है. राजनीति में सक्रिय और खास तौर से वरिष्ठ नागरिक की उम्र में पहुंच चुके लालू प्रसाद यादव से अब अपेक्षा की जाती है कि वे सोच समझ कर बोलें. अब वे दादा-नाना हो चुके हैं. अब वे छात्र राजनीति में हुड़दंग मचाने वाले किशोर नहीं है. FIRST PUBLISHED : December 10, 2024, 18:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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