CM नीतीश ने बनाया कोटा में कोटा दलित और महादलित को था बांटा अब क्या करेंगे

Supreme Court decision on quota in quota: सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि राज्य सरकारें अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में सब कैटेगरी बना सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही क्रीमी लेयर फॉर्मूला की भी बात कही है. इसको लेकर बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है.

CM नीतीश ने बनाया कोटा में कोटा दलित और महादलित को था बांटा अब क्या करेंगे
हाइलाइट्स कोटा के अंदर कोटा पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गरमाई बिहार की राजनीति. जदयू और आरजेडी ने फैसले पर जताई है असहमति, राजनीतिक हलचल तेज.  पटना. सामाजिक न्याय के अलग-अलग मुद्दों के साथ ही बिहार में जातीय जनगणना और आरक्षण का मामला हमेशा सुर्खियों में रहता है. इस पर राजनीति भी खूब होती रही है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोटा के अंदर कोटा को मंजूरी दे दी है तो बिहार में भी इसको लेकर गहमागहमी है और इस पर प्रतिक्रियाएं आनीं शुरू हो गई हैं. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के 7 न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि अब अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण अनुसूचित जाति श्रेणियों के भीतर अधिक पिछड़े लोगों के लिए अलग से कोटा प्रदान करने के लिए स्वीकार्य है. अब इसको लेकर बिहार में सियासत गर्म हो गई है. बिहार में सियासी हलचल के बी राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भी आने लगी है. खासकर जदयू की प्रतिक्रिया पर नजर टिकी हुई थी क्योंकि नीतीश सरकार भी 2007 में एक बड़ा फैसला करते हुए दलित से महादलित बना ऐसा कर चुकी है, जिसे लेकर तब खूब राजनीति हुई थी. अब सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले पर जदयू के वरिष्ठ दलित नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने फैसले पर कहा कि मैंने अभी पूरा फैसला नहीं देखा है, लेकिन जितनी जानकारी मुझे मिली है उसके मुताबिक फैसले पर कई सवाल खड़े हो सकते हैं. अशोक चौधरी कहते हैं कि हमने फैसला पूरी तरह से पढ़ा नहीं है, लेकिन इस फैसले में कुछ बातें हैं जिस पर सवाल खड़े हो सकते हैं. फैसले में कोटा के अंदर कोटा की बात कही गई है. हमारे नेता ने सालों पहले ही दिया था महादलित बना कर एक सेक्शन दलितों में जो काफी पीछे था, उसे सरकार की योजनाओं का लाभ कैसे मिले, उसे कोटा के अंदर कैसे प्रमोट करें, योजनाओं का लाभ पहले कैसे मिले इसका प्रावधान नीतीश जी ने किया था, जिसे आप कर सकते हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात है कि संविधान में जो हमारी जातियां हैं उसे शेड्यूल में डाला गया है. बहुत सी जातियां किसी राज्य में छुआछूत में आते थे मगर कहीं नहीं थे. जिस राज्य में थे उस राज्य में तो उन्हें मिला, लेकिन जिस राज्य में नहीं थे वहां भी नहीं मिला. अलग-अलग राज्यों की जातिगत स्थिति में अंतर अशोक चौधरी ने कहा, अलग अलग राज्यों में अलग-अलग जाति है. किसी राज्य में SC है तो किसी राज्य में OBC है. अगर आप रिजर्वेशन के लिये कास्ट के कास्ट को देखिएगा तो विभिन्न राज्यों में अलग-अलग थे, इसीलिए एक राज्य में है और एक राज्य में नहीं है.  अशोक चौधरी जो सबसे बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि आईएएस-आईपीएस के जो बच्चे होते हैं, तो उनको अगर कोई चमार का बच्चा है और वह IAS हो  जाता है तो उसको माना जाता है कि यह चमार का बच्चा है कि नहीं है. क्या समाज उसको एक्सेप्ट करता है. लेकिन, व्यक्तिगत तौर पर एक दलित होने के नाते मेरी जो समझ है कि क्रीमी लेयर का प्रावधान संविधान के प्रावधानों में नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने जो व्याख्या की है उसको क्या संविधान का मूल जो स्वरूप था, उसके मुताबिक है नहीं है, यह सब बहुत बड़ी बहस का विषय है. आरजेडी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असमति जताई वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति यादव भी असहमति जताते हुए कहते हैं कि जो फैसला आया है, उससे बहुत हद तक सहमत नहीं हैं, क्योंकि संविधान सभा के बैठक के अनुसार ये नहीं है. पूना पैक्ट 1932 के अनुरूप भी नहीं है. जब तक इस देश में जातिगत आधारित गणना नहीं हो जाती है, कौन सी जाति कितनी है, ये जानकारी नहीं आ जाती है उसकी आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक हालात कैसे है. ऐसे में इस फैसले से कैसे सहमत हुआ जा सकता है. बहरहाल, नीतीश सरकार ने दस साल पहले एक बड़ा फैसला करते हुए दलित से महादलित बना ऐसा कर चुकी है जिसे लेकर तब खूब राजनीति हुई थी. सीएम नीतीश कुमार ने दलितों में कोटा में कोटा बनाया बता दें कि वर्ष 2007 में बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने दलितों में भी सबसे ज्यादा पिछड़ी जातियों के लिए ‘महादलित’ कैटेगरी बनाई थी. इनके लिए सरकारी योजनाएं लाई गईं. इसके बाद वर्ष 2010 में आवास, पढ़ाई के लिए लोन, स्कूली पोशाक देने की योजनाएं लाई गईं. आज बिहार में सभी दलित जातियों को महादलित की कैटेगरी में डाला जा चुका है. साल 2018 में पासवानों को भी महादलित का दर्जा दे दिया गया है. Tags: CM Nitish KumarFIRST PUBLISHED : August 2, 2024, 10:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed