3 घंटे तक बहस तुषार मेहता-सिंघवी की दलीलें और केजरीवाल पर SC में क्या हुआ

Arvind Kejriwal News: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुरक्षित रख लिया. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल की याचिका पर 3 घंटे तक सुनवाई हुई, जिसमें अभिषेक मनु सिंघवी से लेकर एसजी तुषार मेहता तक ने दलीलें रखीं.

3 घंटे तक बहस तुषार मेहता-सिंघवी की दलीलें और केजरीवाल पर SC में क्या हुआ
नई दिल्ली: दिल्ली शराब नीति घोटाला केस में तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को राहत नहीं मिली. अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जाए या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट में 3 घंटे तक सुनवाई हुई. अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी से लेकर ईडी की तरफ से एसजी तुषार मेहता और एएसजी राजू ने 3 घंटे तक दलीलें रखीं, मगर अंत में सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला सुरक्षित ही रखना पड़ा. हालांकि, शुरुआत में ऐसा लगा कि सुप्रीम कोर्ट अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे देगा, मगर जैसे ही एसजी तुषार मेहता ने दलीलें रखीं, इसके बाद लगने लगा कि पेच फंस गया है. बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट अब गुरुवार को मामले की सुनवाई कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल के मामले पर कुल 3 घंटे तक सुनवाई चली. इस दौरान अभिषेक मनु सिंघवी और तुषार मेहता ने अपने-अपने पक्ष में खूब दलीलें रखीं. नौबत तो यहां तक आ गई कि तुषार मेहता को जस्टिस संजीव खन्ना की टिप्पणी का विरोध करना पड़ा. तुषार मेहता ने जस्टिस खन्ना की उस टिप्पणी का भरी अदालत में विरोध किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह दिल्ली के सीएम हैं और चुनाव का समय है और यह असमान्य स्थिति है. तुषार मेहता ने दलील दी थी कि अरविंद केजरीवाल के साथ आम आदमी की तरह ही ट्रीट किया जाए. केजरीवाल ने 100 करोड़ की मांग की… ED ने SC में दी दलील, जज साहब बोले- मनीष सिसोदिया की फाइल दिखाओ सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ? दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखने से पहले मंगलवार को टिप्पणी कि कि वह नहीं चाहता कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत पर रिहा किये जाने पर वह अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करें, क्योंकि इससे हितों का टकराव होगा. हालांकि, अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली और दो जजों की पीठ ने लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए उन्हें अंतरिम जमानत देने पर कोई आदेश नहीं सुनाया. यहां बताना जरूरी है कि अरविंद केजरीवाल को इस मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं. सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित जब अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई हो रही थी, तब जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने अंतरिम जमानत के सवाल पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल को पद पर बने रहने अनुमति देने का ‘व्यापक प्रभाव’ हो सकता है. पीठ ने अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा, ‘मान लीजिए कि हम आपको चुनाव के कारण अंतरिम जमानत देते हैं. फिर यदि आप कहते हैं कि आप अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निवर्हन करेंगे, तो इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है.’ अभिषेक मनु सिंघवी शर्त मानने को हुए तैयार जस्टिस खन्ना ने अरविंद केजरीवाल से कहा, ‘यदि हम आपको अंतरिम जमानत देते हैं, तो हम नहीं चाहते कि आप आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करें, क्योंकि इससे कहीं न कहीं हितों का टकराव होगा. हम सरकार के कामकाज में आपका हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं चाहते हैं.’ इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल आबकारी नीति से जुड़ी फाइल पर कोई भी कार्रवाई नहीं करेंगे. हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि अंतरिम जमानत पर रिहा होने पर केजरीवाल किसी भी आधिकारिक फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, बशर्ते कि दिल्ली के उपराज्यपाल सिर्फ इसलिए फैसलों को खारिज न कर दें, क्योंकि फाइल पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं. अरविंद केजरीवाल पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस खन्ना का ED से सवाल- 100 करोड़ की रिश्वत 1100 करोड़ कैसे हो गई? सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद से क्या कहा? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के वकील से कहा, ‘पहले हम यह देखेंगे कि अंतरिम जमानत दी जा सकती है या नहीं.’ वहीं, ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने लोकसभा चुनावों के कारण अरविंद केजरीवाल के प्रति किसी भी तरह की नरमी दिखाने का कड़ा विरोध किया और कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को अंतरिम जमानत देना नेताओं के लिए एक अलग श्रेणी बनाने के समान होगा. इसके बाद पीठ ने कहा, ‘हम इस पर गौर नहीं करने जा रहे हैं कि यह किसी राजनेता का मामला है या नहीं. इसमें शामिल प्रत्येक व्यक्ति विशेष के पास कुछ विशेष या असाधारण मामले या परिस्थितियां हैं. हम केवल इस बात पर विचार कर रहे हैं कि चुनाव के मद्देनजर क्या यह अपवाद वाला मामला है या क्या इसमें शामिल व्यक्ति किसी असाधारण परिस्थिति में है…बस इतना ही.’ पीठ ने कहा, ‘यह न समझा जाए कि हम कह रहे हैं कि राजनेताओं के लिए एक अलग कानून का पालन किया जाता है.’ तुषार मेहता ने किया विरोध इसके बाद फिर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि मौजूदा चुनावों के आधार पर अरविंद केजरीवाल को जमानत देने से एक गलत मिसाल कायम होगी और अन्य लोग भी इसी तरह की छूट का अनुरोध करेंगे. उन्होंने कहा, ‘अदालत केवल एक व्यक्ति के लिए अपरिहार्य स्थिति का जिक्र कर रही है. अगर कल कोई किराना दुकान का मालिक या कृषक आता है और किसी मामले में राहत चाहता है, तो सरकारी वकील किसी मामले पर बहस नहीं कर पाएगा। मैं जानता हूं कि ये दलीलें कठोर हैं.’ उन्होंने कहा कि जैसे ही अदालत केजरीवाल को चुनाव के लिए राहत देने पर विचार करेगी तो इससे राजनेताओं के लिए एक अलग श्रेणी तैयार हो जाएगी. तुषार मेहता दीं दलीलें तुषार मेहता ने आगे कहा, ‘इस समय देश भर में सांसदों से जुड़े लगभग 5,000 मामले लंबित हैं. क्या उन सभी को जमानत पर रिहा किया जाएगा? क्या एक कृषक कम महत्वपूर्ण है, जिसके लिए कटाई बुआई का मौसम होता है.’ उन्होंने कहा कि अगर केजरीवाल ने जांच में सहयोग किया होता और नौ समन को नजरअंदाज नहीं किया होता, तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाता. सॉलिसिटर जनरल ने पीठ से आग्रह किया कि अरविंद केजरीवाल के लिए अपवाद न बनाया जाए, क्योंकि इससे गलत संदेश जाएगा और आम आदमी का मनोबल गिरेगा. उन्होंने कहा, ‘चुनावों में प्रचार करना किसी नेता के लिए एक विलासिता है, लेकिन किसी किसान के लिए कटाई बुआई कोई विलासिता नहीं है. यही उसकी रोजी-रोटी है.’ सुप्रीम कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी करीब तीन घंटे की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ने कहा कि केजरीवाल आदतन अपराधी नहीं हैं. अदालत ने कहा, ‘वह दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और निर्वाचित नेता हैं. चुनाव हो रहे हैं. यह असाधारण स्थिति है. ऐसा नहीं है कि वह आदतन अपराधी हैं. आम तौर पर, लोकसभा चुनाव हर पांच साल में होते हैं.’ ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने मामले में गवाहों और आरोपियों के बयान अदालत में पेश किए. पीठ ने दलीलें सुनने और राजू द्वारा दिए गए नोट पर गौर करने के बाद पूछा कि ईडी ने मामले की जांच में इतना समय क्यों लिया. अदालत ने जांच एजेंसी से दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से पहले और बाद की मामले से संबंधित फाइल प्रस्तुत करने को कहा. बाद में पीठ ने केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले की अवधि की फाइल भी मांगीं, जो कई खंड में हैं. एएसजी राजू ने क्या दलीलें दीं? एएसजी राजू ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि शुरुआत में अरविंद केजरीवाल जांच के केंद्र में नहीं थे और बाद में उनकी भूमिका स्पष्ट हुई. उन्होंने दावा किया कि केजरीवाल 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों के दौरान एक आलीशान सात सितारा होटल में रुके थे और बिल का एक हिस्सा दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा भुगतान किया गया था. गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की मुख्य याचिका लंबित है, क्योंकि उसपर सुनवाई नहीं हुई है. यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धन शोधन से संबंधित है. यह नीति बाद में रद्द कर दी गई थी. Tags: Arvind kejriwal, CM Arvind Kejriwal, Delhi CM Arvind Kejriwal, Delhi liquor scam, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : May 8, 2024, 08:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed