दिल्ली क्यों आए थे केशव मौर्य सामने आ गई वजह केजरीवाल को आज मिलेगी राहत
दिल्ली क्यों आए थे केशव मौर्य सामने आ गई वजह केजरीवाल को आज मिलेगी राहत
UP BJP News: यूपी भाजपा में बदलाव के संकेत दिख रहे हैं. सूत्रों की मानें तो भाजपा संगठन से कुछ चेहरों को हटाया जा सकता है. बताया जा रहा है कि परफॉर्मेंस के आधार पर पत्ता कट सकता है. वहीं, अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर आज सुनवाई है. तो चलिए जानते हैं देश और दुनिया की खबरें.
हाइलाइट्स साल 2017 से पहले तक रेल बजट अलग पेश होता था. नीति आयोग ने रेल बजट के मर्जर की सिफारिश की थी. इसका मकसद रेलवे का अन्य सेक्टर के साथ तालमेल बैठाना था.
नई दिल्ली. आपको तो याद ही होगा साल 2017 से पहले तक देश में दो बार बजट पेश होता था. एक रेल बजट और दूसरा आम बजट. मोदी सरकार ने साल 2016 में रेल बजट को आम बजट के साथ मिला दिया और इसी के साथ 94 साल से चली आ रही एक व्यवस्था का अंत हो गया. बाद में इस फैसले की काफी आलोचना की गई, लेकिन आज 7 साल बाद जब फैसले की समीक्षा करते हैं तो यह पूरी तरह सही नजर आता है. रेल बजट को आम बजट के साथ मर्ज करने के पीछे मुख्य रूप से 5 वजहें थी और आप भी इन वजहों को जानकर यही कहेंगे कि सही फैसला था.
दरअसल, पहला रेल बजट 1924 में पेश किया गया था. तब रेलवे को आवंटित किया गया पैसा, पूरे आम बजट से भी कहीं ज्यादा था. इसकी वजह थी भारतीय रेल ने लगा ब्रिटेन का पैसा. ब्रिटिश सरकार अपने निवेश को असुरक्षित नहीं करना चाहती थी. इसके बाद से रेल बजट की परंपरा चलती रही और आखिर साल 2016 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इसे आम बजट के साथ विलय करने के नीति आयोग के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया. लेकिन, इस फैसले के पीछे नीति आयोग ने 5 बड़े कारण बताए थे.
ये भी पढ़ें – भारत ने 3 लाख करोड़ का माल बेचा और 56 अरब डॉलर का सामान खरीदा, कितना रहा जून में व्यापार घाटा
गैरजरूरी असुविधा से बचाव
रेल बजट को आम बजट के साथ मर्ज करने के पीछे पहला कारण यही था कि इससे अनावश्यक असुविधा होती है. रेलवे के लिए अलग से बजट पास करना पुरानी प्रैक्टिस थी और बदलते वक्त के साथ यह गैरजरूरी हो गई थी. समय बचाने के लिए इसे आखिरकार आम बजट के साथ ही पेश किया जाने लगा और दो अलग-अलग बजट की जटिलता खत्म हो गई.
वित्तीय हालात में सुधार का लक्ष्य
रेल बजट को आम बजट से मिलाने के पीछे एक मंशा यह भी थी कि रेलवे की स्थिति को सुधारा जा सके. पूरे बजट को जब एकसाथ बनाया गया तो इससे रेलवे को पैसे आवंटित करने में आसानी हुई. देश की अर्थव्यवस्था में रेलवे की बड़ी अहमियत है और इसे पूरे बजट के सिनेरियो में देखे जाने का लक्ष्य था.
लांग टर्म की प्लानिंग
आम बजट और रेल बजट को साथ पेश किए जाने के पीछे सरकार की मंशा इन्फ्रा प्रोजेक्ट के लिए लांग टर्म की प्लानिंग बनाना भी था. भारत की आर्थिक जरूरतों के हिसाब से रेलवे का इन्फ्रा तैयार करना और यात्री सुविधाओं को बढ़ाना भी सरकार और नीति आयोग का लक्ष्य था.
आसानी और जवाबदेही
आम बजट और रेलवे को एकसाथ मर्ज किए जाने से परदर्शिता तो बढ़ी ही जवाबदेही भी बढ़ गई. इससे रेलवे के लिए जारी होने वाले बजट की समीक्षा और ऑडिट किया जाना आसान हो गया. रेलवे को अन्य सेक्टर के साथ मिलाकर देखा जाने लगा और उसका विकास भी अन्य सेक्टर के साथ ही सुनिश्चित किया जा सका.
अन्य क्षेत्रों से बेहतर तालमेल
रेलवे को आम बजट से मिलाने के पीछे एक मंशा ट्रांसपोर्ट के अन्य माध्यमों के साथ बेहतर तालमेल बैठाने की भी थी. वाटरवेज, रोड और हाईवे के साथ रेलवे को भी ट्रांसपोर्ट का अहम हिस्सा माना जाता है और इन सभी सेक्टर्स की एक जगह समीक्षा और उसके लिए बजट आवंटन करना भी आसान हो गया.
Tags: Budget session, Business news, Indian railwayFIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 09:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed