महाराष्ट्र में यहां मिले 2000 साल पुराने खेल के अवशेष: क्या है खोज का महत्व

Ancient Pat Games: सातारा के चिखली गांव के भैरवनाथ मंदिर में करीब दो हज़ार साल पुराने पाट खेलों के अवशेष मिले हैं. ये अवशेष व्यापारी वर्ग के हैं और यादव काल से जुड़े हैं.

महाराष्ट्र में यहां मिले 2000 साल पुराने खेल के अवशेष: क्या है खोज का महत्व
सातारा: महाराष्ट्र के सातारा जिले के चिखली गांव के प्रसिद्ध भैरवनाथ मंदिर में प्राचीन पाट खेलों के अवशेष मिले हैं. प्राचीन खेल संरक्षण मिशन के तहत, पूरे राज्य में ऐतिहासिक प्राचीन पाटकायों के अवशेषों की खोज और संरक्षण का कार्य जारी है. कई जिलों में खोज के बाद, इतिहासकारों को सातारा जिले में प्राचीन पाटके के अवशेष खोजने में सफलता मिली है. नाशिक के पुरातत्ववेत्ता सोजवाल साली (Nashik archaeologist Sojwal Sali) और सातारा की इतिहास की छात्रा साक्षी महमुलकर का शोध इसमें अहम साबित हुआ है. चिखली गांव के प्राचीन भैरवनाथ मंदिर में करीब दो हज़ार साल पुराने प्राचीन पाट खेलों पर शोध किया गया है. इस खेल को दस्तावेजीकरण और पंजीकृत किया गया है, जिससे सातारा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है. बता दें कि इतिहास में, मनोरंजन के लिए कई खेल खेले जाते थे. पचीसी, चतुरंगा जैसे कई सभा खेलों का भारत में उद्भव हुआ. इसी के साथ, प्राचीन व्यापार के चलते इस मिट्टी की समृद्धि भारत में आई. आज भी इनके तराशे हुए अवशेष कई ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिरों में देखे जा सकते हैं. ऐसे पाट खेलों के अवशेष घाटों पर, जमीन पर पत्थरों पर, और प्राचीन लेणा मंदिर में भी पाए जाते हैं. इन ऐतिहासिक धरोहरों के चलते, इतिहास को उजागर करने का काम इन अभियानों के माध्यम से किया जा रहा है. महाराष्ट्र के कई स्थानों जैसे वेरुल, नाशिक, पुणे, सोलापुर में प्राचीन व्यापार मार्गों के निशान सामने आए हैं. अब सातारा में हुए इस शोध ने निश्चित रूप से इस सूची में महत्वपूर्ण वृद्धि की है और जिले और राज्य के प्राचीन इतिहास को समृद्ध किया है. यहां हिंगलाज माताजी के दर्शन के बाद ही शुरू होता है व्यापार! आस्था की अनोखी कहानी सातारा जिले में पहली बार खोजे गए इस प्राचीन पाट खेल के अवशेष ने पूरे देश और दुनिया में सातारा की प्राचीन और पवित्र भूमि को गौरवान्वित किया है. मिट्टी में इस इतिहास को लेकर सभी में खुशी का माहौल है. यह इतिहास और यह ऐतिहासिक धरोहर यहां के हर आम व्यक्ति की है, जो प्राचीन भारत के गौरवशाली अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़ी है. इसलिए इसके संरक्षण और प्रचार के साथ-साथ इसे प्रोत्साहित करना सभी महाराष्ट्रवासियों का कर्तव्य है, ऐसा इतिहास की छात्रा साक्षी महमुलकर ने कहा. मंदिर का निर्माण सिंहनदेव राजा ने करवाया था सातारा के चिखली गांव के भैरवनाथ मंदिर में सात प्रकार के पाट खेलों के अवशेष मिले हैं. इतिहासकारों के अनुसार, ये प्राचीन समय के व्यापारी वर्ग के निशान हैं. जिस मंदिर में ये अवशेष पाए गए हैं, उसे भी काफी प्राचीन माना जाता है, यानी यादव काल का. इस मंदिर का निर्माण सिंहनदेव राजा ने करवाया था. नवकंकरी, वाघ बकरी, अष्टचल्लास, पंचखेलिया जैसे पाट खेल यहां पाए गए हैं. पंचखेलिया का संबंध श्रीलंका से माना जाता है, जबकि बाकी खेलों का संबंध मिस्र, रोम आदि से जोड़ा गया है, ऐसा इतिहासकारों ने कहा है. इसका लिखित रूप में इतिहास के पन्नों में भी सबूत था; लेकिन इन खेलों के अवशेष मिलने के बाद, इसका स्पष्ट रूप सिद्ध हुआ है, ऐसा इतिहासकारों ने भी कहा है. Tags: Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : October 26, 2024, 12:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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