रियाज और गौस करते थे सबसे भड़काऊ जलसों के वीडियो वायरल जानें क्या है पाकिस्तान की दावत ए इस्लामी संस्था से लिंक
रियाज और गौस करते थे सबसे भड़काऊ जलसों के वीडियो वायरल जानें क्या है पाकिस्तान की दावत ए इस्लामी संस्था से लिंक
Udaipur News: दावत ए इस्लामी संस्था पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक संस्थाओं में से एक है जो व्यापक स्तर पर सिर्फ ऑनलाइन जलसे ही करती है, अन्य धार्मिक संस्थाओं की तरह ये किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ी है. 1981 में बनी इस संस्था का हेडक्वार्टर कराची में है इसके 300 मदरसे पाकिस्तान में है.
राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की हत्या के आरोपी मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस के पाकिस्तानी संस्था जमात उल दावा के जलसों के वीडियो को सुनियोजित तरीके से वायरल करते थे. ये दोनों आरोपी उस वीडियो को चुना करते थे जो सबसे भड़काऊ हुआ करते थे. जांच एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, उदयपुर हत्याकांड मामले में गिरफ्तार आरोपियों की पाकिस्तानी संस्था जमात उल दावा के अलावा तहरीक ए लब्बैक के धार्मिक गुरुओं से भी संपर्क की जानकारी सामने आ रही है.
कन्हैयालाल मर्डर केस की अब तक की जांच में ये पता चला है कि इसके अलावा पाकिस्तान की इस जमात उल दावा धार्मिक संस्था के भारत में भी व्यापक स्तर पर जलसे करवाने की ये योजना तैयार कर रहे थे. गिरफ्तार किए गए आरोपी गौस के बारे में जांच एजेंसियों को अहम जानकारी मिली है. पाकिस्तान में कराची के अलावा इसमें दो बार सऊदी अरब की यात्रा की थी, जिसमें से एक बार वह अपने परिवार के साथ दिया था और एक बार अकेले गया था.
जांच में सामने आया है कि 2014 से वह लगातार पाकिस्तान कि कुछ धार्मिक गुरुओं के संपर्क में था जिनकी विचारधारा की बातें वह अपने आसपास के लोगों से करता था. कराची के अलावा आरोपी गौस पाकिस्तान के मीरपुर, घारो और साकरो इलाके के करीब आधा दर्जन धर्मगुरुओं के संपर्क में था. जांच एजेंसियां अब इस बात की तफ्तीश कर रही है अमरावती कांड के आरोपियों का पाकिस्तान की किस संस्था से संपर्क था और उनके कौन से धार्मिक गुरुओं का वो वीडियो सुना करते थे.
क्या है दावत ए इस्लामी संस्था
यह पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक संस्थाओं में से एक है जो व्यापक स्तर पर सिर्फ ऑनलाइन जलसे ही करती है, अन्य धार्मिक संस्थाओं की तरह ये किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ी है. 1981 में बनी इस संस्था का हेडक्वार्टर कराची में है इसके 300 मदरसे पाकिस्तान में है. अधिकारिक रूप से ये संस्था अपने आपको समाजसेवी संस्था बताती है, लेकिन यह पाकिस्तान के विवादित ईश निन्दा कानून का समर्थन करती है. यह संस्था बरेलवी सुन्नी सेक्ट की विचारधारा को अपना मूल आधार मानती है. कराची और आसपास के इलाकों में सबसे प्रभावशाली संस्था है जिससे लाखों युवा जुड़े हैं.
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दरअसल 2020 में फ्रांस में प्रॉफिट मोहम्मद के संदर्भ में एक विवादित मुद्दा सामने आया था उसके विरोध में यह संस्था मांग कर रही थी कि फ्रांस के राजदूत को वापस बुलाया जाए. इसी के चलते मार्च 2021 में पूरे पाकिस्तान में इस संस्था ने विरोध किया और इसके 2000 कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए. साद रिजवी इस संस्था का सरगना है जिसने अपने पिता की मौत के बाद इस संस्था की कमान संभाली है. तत्कालीन इमरान खान सरकार और इस संस्था के पीछे विवाद को विराम देने के लिए एक समझौता भी हुआ था. इन दोनों संस्था का कराची गढ़ है.
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Tags: Rajasthan news, Udaipur newsFIRST PUBLISHED : July 04, 2022, 13:33 IST