सांसद से नाराजगी और पायलट गुट की चुप्पी कांग्रेस पर पड़ी भारी बिखर गया तामझाम
सांसद से नाराजगी और पायलट गुट की चुप्पी कांग्रेस पर पड़ी भारी बिखर गया तामझाम
Deoli Uniara Upchunav Result: राजस्थान में हुए विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस के हाथ से टोंक की देवली उनियारा सीट भी निकल गई. राजनीति के जानकारों के अनुसार यहां कांग्रेस की नैया खुद कांग्रेस ने ही डूबाई है. जानें यहां कांग्रेस की करारी हार के कारण क्या रहे.
दौलत पारीक.
टोंक. टोंक जिले की देवली उनियारा विधानसभा सीट उपचुनाव में आखिरकार कांग्रेस बुरी तरह से हार ही गई. बीजेपी ने यहां कांग्रेस और उसके बागी को मात देकर यह सीट उससे छीन ली है. कांग्रेस की इस करारी हार के पीछे उसकी खुद की गलतियों को जिम्मेदार बताया जा रहा है. इसकी शुरुआत टिकट वितरण से हुई थी. टिकट को लेकर सांसद हरीश मीणा पर उठी अंगुलियां आखिरकार ईवीएम पर आ टिकी. वहीं रही सही कसर निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के थप्पड़ कांड ने पूरी कर दी और कांग्रेस यहां तिनके की तरह उड़ गई.
देवली उनियारा विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी के राजेन्द्र गुर्जर चुनाव जीत गए हैं. उन्होंने यहां अपने निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस के बागी नरेश मीणा को 40 हजार 914 वोटों से हराया है. राजेंद्र गुर्जर को कुल 1 लाख 259 वोट मिले. दूसरे नंबर पर रहे नरेश मीणा को 59345 वोट मिले. कांग्रेस प्रत्याशी केसी मीणा तीसरे नंबर पर रहे. उनको महज 31138 वोट मिले. कांग्रेस की हार के कई कारण गिनाए जा रहे हैं।
मीणा वोटों का विभाजन कांग्रेस को ले बैठा
इनमें एक बड़ा कारण मीणा वोटों का विभाजन बताया जा रहा है. कांग्रेस ने टिकट मांग रहे युवा नेता नरेश मीणा को दरकिनार कर नए नवेले केसी मीणा पर दांव खेला. नरेश मीणा ने आपत्ति जताई तो ध्यान नहीं दिया. इसका परिणाम उनकी बगावत के रूप में सामने आया. नरेश मीणा ने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरकर कांग्रेस से दोगुने वोट बटोर लिए. यह मामला केवल नरेश मीणा तक ही सीमित नहीं रहा था. टिकट वितरण में सांसद हरीश मीणा की भूमिका पर सवाल उठे. इससे सांसद के खिलाफ एक नैरेटिव बन गया और मीणा वोटर उनसे दूर हो गए बताए जा रहे हैं. बगावत के बाद नरेश मीणा को पार्टी से निकालने ने कोढ़ में खाज का काम किया.
पायलट गुट ने की रस्म अदायगी!
दूसरी सबसे बड़ी वजह इस चुनाव में पायलट गुट की चुप्पी बताई जा रही है. केसी मीणा की नामांकन सभा में पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली आए थे. इससे पायलट गुट चुनाव से दूर हो गया. उसने केवल रस्म अदायगी ही निभाई. इस रस्म अदायगी के तहत आखिरी समय में सचिन पायलट यहां आए और उनियारा में एक सभा की. इस बीच नरेश मीणा के प्रति सहानुभूति की लहर चल पड़ी.
थप्पड़ कांड ने बढ़ा दी कांग्रेस की मुसीबत
मतदान के दिन नरेश मीणा की ओर से समरावता में एसडीएम को मारे थप्पड़ के बाद वे युवा वर्ग में हीरो बनकर उभरे. युवाओं का कहना था कि ऐसा ही नेता चाहिए जो बेलगाम ब्यूरोक्रेसी पर लगाम कस सके. यह कांड भी चुनाव के दिन दोपहर में 12 बजे ही हो गया. उसके बाद फिजां ऐसी बदली कि बचे खुचे वोटर भी नरेश मीणा के समर्थन में आ गए और कांग्रेस का डिब्बा गोल कर डाला. इसका परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस मुसीबत में डूबती गई और बीजेपी तैरती गई.
Tags: Assembly by election, Political newsFIRST PUBLISHED : November 23, 2024, 19:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed