सांवलिया सेठ मंदिर: भक्त दिल खोलकर भेंट करते हैं करोड़ों रुपये जानें आय

Chittorgarh News: चित्तौड़गढ़ के सांवलिया सेठ मंदिर में प्रतिमाह करोड़ों रुपये का चढ़ावा आता है. यह देवस्थान के मंदिरों में आय के मामले में पहले स्थान पर है. ऑवरऑल राजस्थान के मंदिरों के लिहाज से राजस्थान के सर्वाधिक आय वाले तीन मंदिरों में शुमार है. यह मंदिर करीब 450 साल पुराना है.

सांवलिया सेठ मंदिर: भक्त दिल खोलकर भेंट करते हैं करोड़ों रुपये जानें आय
चित्तौडगढ़. राजस्थान के मेवाड़ अंचल के चित्तौड़गढ़ जिले के मंडफिया में स्थित कृष्ण धाम सांवलिया सेठ मंदिर की मान्यता पूरे देश में है. सांवलिया सेठ के भक्त यहां खुले मन से नगदी, सोना और चांदी चढ़ाते हैं. हर महीने जब मंदिर का दानपात्र खुलता है तो उसमें करोड़ों रुपये और सोना-चांदी निकलता है. सांवलिया सेठ मंदिर देश में सबसे ज्यादा चढ़ावे आने वाले टॉप टेन मंदिरों में भले ही शुमार नहीं हैं लेकिन यह राजस्थान में देवस्थान विभाग के अधीन आने वाले मंदिरों में सबसे धनी है. राजस्थान में कई बड़े मंदिर हैं जहां धोक लगाने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं. राजस्थान के बड़े मंदिरों में खाटूश्याजी, सालासर बालाजी, नाथद्वारा के श्रीनाथजी और मेहंदीपुर बालाजी आस्था के बड़े केन्द्र हैं. राजस्थान के कई बड़े मंदिरों के अलग ट्रस्ट हैं. वे देवस्थान विभाग के अधीन नहीं आते हैं. लिहाजा उनमें आने वाले चढ़ावे का पूरी तरह से खुलासा नहीं हो पाता है. देवस्थान विभाग के मंदिरों की आय रिकॉर्डेड रहती है. सबसे ज्यादा चढ़ावे आने वाले टॉप तीन मंदिरों में शामिल है राजस्थान के सबसे धनी मंदिरों में मेहंदीपुर बालाजी और श्रीनाथ जी को माना जाता है. उसके बाद तीसरे नंबर पर सांवलिया सेठ का मंदिर में सबसे ज्यादा चढ़ावा आता है. यह प्रदेश सबसे ज्यादा चढ़ावे आने वाले टॉप तीन मंदिरों में शामिल है. जबकि देवस्थान विभाग के मंदिरों की सूची में नंबर वन पर है. हाल ही में सांवलिया सेठ मंदिर का दानपात्र खुला तो उसमें बीते एक माह के चढ़ावे के रूप में 17 करोड़ रुपये से ज्यादा का कैश और सोना-चांदी निकले हैं. 450 साल पुराना है यह मंदिर लगभग 450 साल पुराने इस मंदिर को लेकर कई किवदंतियां हैं और मान्यताए हैं. मेवाड़ राजपरिवार की ओर से इस मंदिर का निर्माण करवाया है. मान्यता है कि सांवलिया सेठ का संबंध मीरा बाई से है. किवदंतियों के अनुसार सांवलिया सेठ मीराबाई के वही गिरधर गोपाल है जिनकी वे पूजा किया करती थीं. यह मंदिर कृष्ण धाम के रूप में प्रसिद्ध है. साल 1961 से इस प्रसिद्ध स्थान पर देवझूलनी एकादशी पर विशाल मेले का आयोजन हो रहा है. इसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. बिजनेस में पाटर्नर मानते हैं व्यापारी बताया जाता है कि कालां​तर में सांवलिया सेठ मंदिर की कीर्ति इतनी फैली के बाद में उनके भक्त वेतन से लेकर व्यापार तक में उन्हें अपना पार्टनर मानने लगे. श्रद्धालुओं की आस्था है कि भक्त सांवलिया सेठ के खजाने में जितना देते हैं वे उससे कई गुना ज्यादा भक्तों को वापस लौटा देते हैं. इसी आस्था के कारण व्यापार जगत में उनकी ख्याति इतनी है कि लोग अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए सांवलिया सेठ को अपना बिजनेस पार्टनर बनाते और मानते हैं. चित्तौड़गढ़ के एडीएम हैं इसके कार्यकारी अधिकारी चित्तौड़गढ़ के अतरिक्त जिला कलेक्टर के पास सांवलिया सेठ के मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पदभार रहता है. मंदिर के वर्तमान मुख्य कार्यकारी अधिकारी राकेश कुमार के अनुसार सांवलिया सेठ मंदिर देवस्थान विभाग के अधीन है. विभाग के मंदिरों में आय में यह नंबर वन है. वैसे यह राजस्थान में तीसरे नंबर पर आता है. सांवलिया सेठ आय के हिसाब से भारत में किस स्थान पर आता है यह कहना मुश्किल है. यह जरुर है कि यह सबसे ज्यादा आय वाले भारत के टॉप टेन मंदिरों में शुमार नहीं है. (इनपुट-पीयूष मूंदड़ा) Tags: Chittorgarh news, Jaipur news, Rajasthan newsFIRST PUBLISHED : June 12, 2024, 15:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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