प्रयागराज: प्रयागराज में 1890 से मनाया जाने वाला ऐतिहासिक दधिकांदो उत्सव इस वर्ष 1 सितंबर से शुरू होगा. यह उत्सव, जो अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांतिकारियों को संगठित करने के उद्देश्य से शुरू हुआ था, आज भी पूरे धूमधाम से मनाया जाता है. प्रयागराज के विभिन्न क्षेत्रों में यह उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस बार इसकी शुरुआत सुलेमान सराय से होगी.
इन जगहों पर होता है यह खास उत्सव
इस वर्ष दधिकांदो उत्सव का आगाज 1 सितंबर को सूलेमसराय, मुंडेरा, और धूमनगंज क्षेत्रों से होगा. इसके बाद 7 सितंबर को सलोरी में, 14 सितंबर को तेलियरगंज में, 15 सितंबर को राजापुर में, और 17 सितंबर को कीडगंज में इस उत्सव को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. यह उत्सव, जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ प्रयागराज में क्रांतिकारियों को एकजुट करने के लिए शुरू हुआ था, आज भी अपनी ऐतिहासिक परंपरा को बनाए हुए है.
अंग्रेजों ने उत्सव को रोकने की कोशिश
सलोरी दधिकांदो मेला उत्सव के अध्यक्ष राकेश शुक्ला ने बताया कि इस उत्सव को ब्रिटिश हुकूमत ने रोकने का प्रयास किया था, क्योंकि यह उत्सव आम जनमानस को इकट्ठा कर फिरंगियों के खिलाफ क्रांति की योजना बनाने का एक माध्यम था. बताया जाता है कि उस समय फिरंगियों की क्रूर कार्रवाई के कारण लोग अपने घरों से बाहर निकलने से डरते थे. इस उत्सव की रूपरेखा प्रज्ञा के तीर्थ पुरोहित राम कैलाश पाठक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विजय चंद्र सुमित्रा देवी ने तैयार की थी. 1890 से शुरू हुए इस उत्सव में शुरुआत में संसाधनों की कमी थी, लेकिन अब इसे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है.
ऐसे मचती है धूमधाम
दधिकांदो उत्सव का इंतजार न केवल प्रयागराज बल्कि आसपास के जिलों के लोग भी करते हैं. इस उत्सव के दिन प्रयागराज जश्न में डूबा रहता है. उत्सव में निकलने वाली राधा-कृष्ण, मां काली, और बजरंगबली की झांकियां लोगों को बेहद आकर्षित करती हैं. साथ ही, उत्सव के दौरान की गई सजावट और शानदार गाजे-बाजे के साथ निकलने वाली राधा-कृष्ण की बारात भी सभी का ध्यान खींचती है.
Tags: Allahabad news, Local18FIRST PUBLISHED : August 31, 2024, 12:42 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed