संगम नगरी में हैं कई प्राचीन मंदिर महाकुंभ से पहले हो रहा है नवनिर्माण
संगम नगरी में हैं कई प्राचीन मंदिर महाकुंभ से पहले हो रहा है नवनिर्माण
Prayagraj News: प्रयागराज में गंगा जमुना के संगम पर कई प्राचीन मंदिर स्थित बने हुए हैं, जिसमे दश्वमेघ घाट का प्राचीन मंदिर, प्राचीन राम जानकी मंदिर के साथ ही देश का इकलौता भीष्म पितामह का मंदिर है.
रजनीश यादव/प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज भारत के प्रथम यज्ञ स्थल का साक्षी है. आस्था की नगरी प्रयागराज में संगम के तट पर ही ब्रह्मा जी द्वारा पहले यज्ञ किया गया था. अपनी इसी प्राचीनता को समेटे हुए प्रयागराज आज भी दुनिया में अपनी जगह बनाए हुए है.
संगम नगरी में 12 साल के अंतराल पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है, जो कि पूरे भारत के मात्र चार प्रमुख तीर्थ स्थान हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में लगता है. ऐसे में प्रयागराज की अपनी एक धार्मिक स्थलों को लेकर प्राचीनता है, जो महाकुंभ 2025 के चलते मंदिरों के नवनिर्माण से निखार कर सामने आया है.
संगम नगरी के घाट नहीं होंगे बनारस से कम
वैसे तो अपने घाटों के लिए जहां बनारस दुनिया भर में प्रसिद्ध है, तो अयोध्या भी पीछे नहीं है, लेकिन महाकुंभ 2025 के शुरू होने से पहले प्रयागराज भी अपने घाटों के लिए दुनिया भर में मशहूर हो जाएगा. क्योंकि यहां चल रहे मंदिरों के नव निर्माण कार्यक्रम से कई प्राचीन धरोहर निखर कर सामने आए हैं, जिनका इतिहास आदिकाल से है.
बता दें कि प्रयागराज में भगवान राम से जुड़े प्राचीन अक्षय वट मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर और राम जानकी मंदिर स्थित है, तो वहीं, श्रृंगवेरपुर धाम भगवान राम को पर करने वाले निषाद राज से संबंधित है. ऐसे में प्रयागराज में ही नागों के राजा नाग वासुकी का प्राचीन मंदिर स्थित है. वहीं, दुनिया का एकमात्र भीष्म पितामह का भी मंदिर भी यहां है.
संगम नगरी में हुआ था सबसे पहला यज्ञ
प्रयागराज में संगम तट पर स्थित अक्षय वट मंदिर में भगवान राम ने खुद अक्षय वट वृक्ष को लगाया, तो वहीं, इसी गंगा-जमुना के पवित्र संगम तट पर ब्रह्मा ने पृथ्वी का पहला यज्ञ किया था. इसी यज्ञ के बाद ब्रह्मा ने भगवान विष्णु मंदिर को भारत की रक्षा के लिए प्रयागराज के दारागंज में बीड़ी माधव नाम से एक मंदिर स्थापित किया, जिन्हें नगर का देवता भी कहा जाता है.
इसी कड़ी में बात करते हुए पंडित श्यामधर त्रिपाठी बताते हैं कि महाकुंभ 2025 से पहले प्रयागराज का रूप बदला बदला सा दिखेगा. क्योंकि संगम के किनारे स्थित प्राचीन मंदिर घाटों से दिखने लगेंगे, जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा होगा और प्रयागराज भी घाट और प्राचीन मंदिरों के मामले में बनारस और अयोध्या से पीछे नहीं रह जाएगा.
Tags: Allahabad news, Local18, Prayagraj Latest News, Prayagraj NewsFIRST PUBLISHED : July 9, 2024, 11:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed