अमरूद की बागवानी के लिए अपनाएं यह तरीका बढ़ जाएगी उत्पादन क्षमता

मुख्य उद्यान विशेषज्ञ ने बताया कि सर्दी के मौसम में तैयार होने वाले अमरूद के फलों में फूल सितंबर माह में आते हैं. बरसात के फलों पर कीड़ों का अधिक प्रकोप होता है. फल मक्खी के कीट बरसात की फसल से शरद ऋतु की फसल में भी चले जाते हैं. बचाव के लिए प्रति हेक्टेयर 15 से 20 फेरोमोन ट्रैप को 6 से 8 फिट की ऊंचाई पर अमरूद की टहनियों पर लगा सकते हैं. 

अमरूद की बागवानी के लिए अपनाएं यह तरीका बढ़ जाएगी उत्पादन क्षमता
प्रयागराज. उत्तर प्रदेश का प्रयागराज अमरूद की बागवानी के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यहां अमरूद की कई वैरायटी आपको मिल जाएगी. यह वैरायटी स्वाद और सेहत दोनों के लिए फायदेमंद है. प्रयागराज के विश्व विख्यात अमरूद को उच्च गुणवत्ता के मानक पर तैयार करने के उद्देश्य से औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरोबाग में लगातार काम चल रहा है. मुख्य उद्यान विशेषज्ञ कृष्ण मोहन चौधरी ने बताया कि अमरूद की फसल को फल मक्खी कीट से बचाने के लिए फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करना चाहिए. जनवरी-फरवरी माह में लगने वाले महाकुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को प्रयागराज का विश्व विख्यात अमरूद उपलब्ध कराने के लिए अमरूद बागवानों को अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. अमरूद की बागवानी में इन बातों का रखें ख्याल मुख्य उद्यान विशेषज्ञ कृष्ण मोहन चौधरी ने लोकल 18 को बताया कि अमरूद के पूर्ण परिपक्व 5 वर्ष से अधिक आयु के पौधे में 750 ग्राम यूरिया, 1875 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 500 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश तथा 50 किलोग्राम साड़ी गोबर की खाद को मिलाकर अगस्त और सितंबर माह में पौधे के पत्ती वाले क्षेत्र में थाला बनाकर प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने बताया कि यूरिया की 750 ग्राम प्रति पौधे की मात्रा जून माह में भी दी जाती है. सर्दी के मौसम में तैयार होने वाले अमरूद के फलों में फूल सितंबर माह में आते हैं तथा बरसात के फल को अधिक कीड़ों का प्रकोप होता है. फल मक्खी के कीट बरसात की फसल से शरद ऋतु की फसल में भी चले जाते हैं. उनके बचाव के लिए प्रति हेक्टेयर 15 से 20 फेरोमोन ट्रैप को 6 से 8 फिट की ऊंचाई पर अमरूद की टहनियों पर लगाया जाता है. अमरूद के फलों की फटने की समस्या ऐसे करें दूर मुख्य उद्यान विशेषज्ञ कृष्ण मोहन चौधरी ने बताया कि 15 दिनों के अंतराल पर ट्रैप के अंदर लगने वाले लेयर को बदलते रहना चाहिए. इस क्रिया से फल मक्खी का नर कीट डिब्बे के अंदर ट्रैप हो जाता है और मादा के साथ निषेचन ना होने के कारण इन कीटों की संख्या नियंत्रित होती है. जिससे अमरूद का फल सड़ने से बच जाता है. किसान को यह भी सलाह दी जाती है कि अमरूद के फल को उपभोक्ता सीधे प्रयोग करते हैं. इसलिए कीटनाशक रासायनिक दावों का अमरूद के फलों पर प्रयोग बिल्कुल ही ना करें. इससे मनुष्य के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. प्रयागराज एवं कौशांबी के अमरूद के बागों में शरद ऋतु के फलों में फल फटने की समस्या विगत तीन-चार वर्षो से बढ़ती जा रही है. इसके निदान के लिए अगस्त माह में 0.5 प्रतिशत बोरेक्स को गर्म पानी में घोलकर अमरूद की पत्ती पर छिड़काव कर देने से बोरान की कमी खत्म हो जाती है, जिससे फलों का फटना काम हो जाता है. Tags: Agriculture, Local18, Prayagraj News, UP newsFIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 20:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed