इस पावन धरा ने कुछ यूं रचा लोकसभा चुनाव में इतिहास नहीं पनपने दिया वंशवाद
इस पावन धरा ने कुछ यूं रचा लोकसभा चुनाव में इतिहास नहीं पनपने दिया वंशवाद
भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी पंचायत संसद में जिले का प्रतिनिधित्व करने वालों में बलिया लोकसभा क्षेत्र से राधामोहन सिंह, मुरली मनोहर लाल, चंद्रिका प्रसाद, चंद्रशेखर, जगन्नाथ चौधरी, भरत सिंह और वीरेन्द्र सिंह मस्त. सलेमपुर क्षेत्र से रामनरेश कुशवाहा, रामनगीना मिश्र, हरिकेवल कुशवाहा, हरिवंश सहाय, बब्बन राजभर सांसद रहे. लेकिन, किसी ने भी अपने जीते जी अपने बेटे-बेटी, परिवार के लोगों को अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी नहीं बनाया.
बलिया. राजनीति में वंशवाद एक कटू सत्य है. ये अलग बात है कि हर राजनीतिक दल खुद को दूसरे से कम वंशवादी बताते हैं. वर्तमान दौर में तो कई ऐसी पार्टियां हैं, जो केवल एक परिवार तक सिमट कर रह गई हैं. बात चाहे उत्तर भारत की हो या दक्षिण भारत की. हर क्षेत्र के दलों में वंशवाद कभी न मिटने वाली इबारत की तरह दिखाई पड़ता है. वर्तमान दौर मेंं सरपंच से लेकर सांसद तक अपने बच्चों या सगे संबंधियों को राजनीति पाठशाला में लाकर उन्हें पद दिलाने की जुगत में रहते हैं. लेकिन, यूपी का बलिया एक ऐसा शहर है, जहां से अधिकतर नेताओं ने अपने जीते जी वंशवाद को नहीं बढ़ाया. इनमें सबसे प्रमुख नाम तो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का है. जो अपने राजनीतिक दौर में कभी अपने परिवार को आगे नहीं लाए.
लोकतंत्र में परिवारवाद घातक
अध्यात्म, अवदान, बलिदान की पावन धरा बलिया के स्वस्थ लोकतंत्र के योगदान पर प्रकाश डालते हुए प्रख्यात इतिहासकार डाॅ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय लोकल 18 से कहते हैं कि बलिया ने हर कालखण्ड में उत्सर्ग की इबारत लिखी है. वंशवाद, परिवारवाद लोकतंत्र को समाप्त करने का सबसे घातक हथियार है. इससे राजतंत्र के सामंतवाद का जन्म होता है. राजनैतिक दलों में काम करने वाले सैद्धान्तिक कर्मठ कार्यकर्त्ताओं की प्रतिभा और स्वाभिमान का भी हनन होता है.
इन नेताओं नहीं पनपने दिया वंशवाद
ऋषि परम्परा के इस भू-भाग पर लोकतंत्र का परचम लहराने वाले सांसदों ने अपने जीवनकाल में वंशवाद और परिवारवाद को पनपने नही दिए. भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी पंचायत संसद में जिले का प्रतिनिधित्व करने वालों में बलिया लोकसभा क्षेत्र से राधामोहन सिंह, मुरली मनोहर लाल, चंद्रिका प्रसाद, चंद्रशेखर, जगन्नाथ चौधरी, भरत सिंह और वीरेन्द्र सिंह मस्त. सलेमपुर क्षेत्र से रामनरेश कुशवाहा, रामनगीना मिश्र, हरिकेवल कुशवाहा, हरिवंश सहाय, बब्बन राजभर सांसद रहे. लेकिन, किसी ने भी अपने जीते जी अपने बेटे-बेटी, परिवार के लोगों को अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी नहीं बनाया.
पिता के मृत्यु के बाद चुनाव में आए ये प्रत्याशी
डाॅ.कौशिकेय ने लोकल 18 से कहते हैं कि अभी चल रहे चुनाव में दिवंगत प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर बलिया से और सलेमपुर से दिवंगत हरिकेवल कुशवाहा के पुत्र रवींद्र कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं. लेकिन, यह दोनों अपने पिता कि मृत्यु के बाद अपने राजनैतिक पुरुषार्थ पर संसद भवन तक पहुंचे हैं. इस बात को स्पष्टता से समझा जाए तो बलिया की जनता ने पूर्व पीएम चन्द्रशेखर के दो राजनैतिक उत्तराधिकारियों भरतसिंह और वीरेंद्र सिंह मस्त को भी अवसर प्रदान किए थे.
Tags: 2024 Loksabha Election, Ballia lok sabha election, Hindi news, UP latest newsFIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 15:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed